नेशनल कॉन्फ्रेंस (National Conference) के नेता उमर अब्दुल्ला ( Omr Abdullah) ने नई किताब – ‘India Tomorrow: Conversation with the Next Generation of Political Leaders’ में कहा कि न तो वे दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी राजनेताओं की सोच वाले भारतीय हैं और न ही भारत के अभिन्न अंग की तरह कश्मीर का भविष्य न देखने वाले कश्मीरियों की समूह में शामिल हैं। अब्दुल्ला ने किताब में कहा है कि ऐसे में सबसे अच्छा यही है कि आप दूसरों के अनुसार खुद को नहीं ढालें। आप जैसे हैं वैसे ही रहें। इस किताब का विमोचन हाल में ही किया गया था।

पिछले साल हिरासत में लिए गए थे अब्दुल्ला

उल्लेखनीय है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता को वर्ष 2019 में हिरासत में लिया गया था जब केंद्र सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा हटाया गया था और इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर व लद्दाख में विभाजित किया गया था। फरवरी में उमर अब्दुल्ला पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) का मामला दर्ज किया गया और 24 मार्च 2020 को उनको रिहा किया गया। उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला पर भी PSA के तहत मामला दर्ज किया गया था और 221 दिनों तक हिरासत में बिताने के बाद 13 मार्च को रिहाई हुई थी । PDP नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती घर पर ही नजरबंद थे।

नहीं बदली है सोच, भारत का अभिन्न हिस्सा है कश्मीर

अब्दुल्ला ने किताब के लेखकों प्रदीप छिब्बर और हर्ष शाह के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न हिस्सा है। मेरी हिरासत और पांच अगस्त के बाद के हालात से भी मेरा यह विचार नहीं बदला है कि कश्मीर भारत का है।’ उन्होंने कहा कि क्योंकि मैंने यह सोच सभी तरह की चीजों को जोड़ते हुए बनाई है। मुझे नहीं लगता कि भारत से अलग जम्मू-कश्मीर का कोई भविष्य हो सकता है। यह किताब पाठकों को देश की अगली पीढ़ी के 20 सबसे प्रभावशाली नेताओं के साक्षात्कारों के जरिए भारत की समकालीन राजनीति की दिशा जानने का मौका देती है।

कश्मीर के साथ बुरा सलूक: अब्दुल्ला

उन्होंने इस बात पर जोर दिया और कहा, ‘भारत ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के साथ जो किया वह कहीं से भी जायज नहीं है।’ उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के साथ ‘बहुत, बहुत बुरा’ सलूक किया गया और ‘उससे किया गया हर एक वादा तोड़ दिया गया।’ उन्होंने कहा, ‘दिल्ली ने हमें इस मुद्दे पर और बात करने लायक नहीं छोड़ा लेकिन प्रधानमंत्री मोदी से कभी भी जम्मू-कश्मीर में जो किया गया है, उसे वापस लेने को नहीं कहेंगे।’

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