भारत के पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने मोदी सरकार पर कोरोना महामारी से निपटने में असफल रहने और जीडीपी को बुरी तरह गिरने देने का आरोप लगाया है.

पी. चिदंबरम ने बीबीसी से विशेष बातचीत में कहा कि वो जीडीपी में गिरावट से बिल्कुल भी हैरान नहीं हैं.

उन्होंने कहा, ”हमने सरकार को इसे लेकर चेतावनी भी दी थी. दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों ने भारत को चेतावनी दी थी. सिर्फ़ तीन दिन पहले ही आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में इसके संकेत दिए थे.”

केंद्र सरकार के सांख्यिकी मंत्रालय के अनुसार 2020-21 वित्त वर्ष की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच विकास दर में 23.9 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई है.

कोरोना वायरस महामारी और उसे रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन को पहले से सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था की हालत और ख़राब करने के लिए ज़िम्मेदार बताया गया है.

चिदंबरम कहते हैं कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को छोड़कर हर कोई ये जानता था कि भारत की अर्थव्यवस्था का संकट गहराने वाला है.

उन्होंने कहा, ”पूरा देश इसकी कीमत चुका रहा है. गरीब निराशा में हैं. लेकिन, मोदी सरकार इसे लेकर बेफिक्र है और उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं. सरकार ने एक फ़र्जी कहानी गढ़ी थी जिसकी हक़ीक़त सबके सामने आ गई है.”

सरकार को थोड़ा और वक़्त मिलना चाहिए?

मोदी सरकार के महामारी के दौरान और पहले की गई घोषणाओं और उपायों के नतीजे आने के लिए सरकार को थोड़ा समय देना क्या ठीक नहीं होगा?

इस सवाल के जवाब में पी चिदंबरम ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ”कोई अर्थशास्त्री ये नहीं मानेगा कि मोदी सरकार ने वो किया जो उसे करना चाहिए था. आरबीआई की रिपोर्ट ही पढ़ लीजिए. अगर आपको लगता है कि मोदी सरकार ने महामारी से पहले और उसके दौरान कुछ किया है और हमें उन्हें और समय देना चाहिए, तो मैं आपके लिए सिर्फ़ दुख जता सकता हूं.”

चिदंबरम ने कहा कि जिस एकमात्र क्षेत्र में 3.4% की वृद्धि हुई है, वो कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन है.

‘भगवान को धन्यवाद दें निर्मला सीतारमण’

उन्होंने कहा, “कृषि का सरकार से बहुत ज़्यादा लेना-देना नहीं है. हर क्षेत्र जिसमें सरकार की नीतियां ये निर्धारित करती हैं कि क्या उत्पादित होना है, क्या बेचा जाना है और क्या खरीदा जाना है. सौभाग्य से कृषि इस देश के किसानों के हाथों में है और भगवान का उन पर आशीर्वाद है.”

“मैंने अपने बयान में कहा है कि वित्त मंत्री ने आर्थिक गिरावट के लिए भगवान के जिस प्रकोप को ज़िम्मेदार ठहराया है उन्हें असल में चुपके से भगवान को धन्यवाद देना चाहिए कि उन्होंने देश के किसानों पर अपनी कृपा बनाए रखी. कृषि के अलावा सभी क्षेत्रों में तेज गिरावट देखी गई है. विनिर्माण, निर्माण, व्यापार, होटल सभी में 40 और 50 प्रतिशत के बीच गिरावट आई है.”

भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास

देर से आई आरबीआई की चेतावनी

आरबीआई ने बताया था कि 2020 की पहली छमाही में आए संकुचन को 2008 की मंदी से ज़्यादा गंभीर और घातक माना गया है. इस रिपोर्ट से चिदंबरम ने सहमति जताई.

उन्होंने कहा, “हां, आरबीआई की चेतावनी सही थी लेकिन ये बहुत देर से आई. ये सिर्फ़ तीन दिन पहले आई. हम पिछले छह महीनों बल्कि महामारी से बहुत पहले से इसे लेकर आगाह कर रहे हैं. हम लॉकडाउन लगने के बाद पिछले तीनों महीनों से इसे लेकर चेतावनी देते आए हैं. आरबीआई ने बस उन चेतावनियों को एक जगह इकट्ठा करके सामने रख दिया है.”

चिदंबरम ने पूछा, “क्या हमने नहीं कहा था कि देश में मांग और खपत को बड़ा झटका लगा है? क्या हमने नहीं कहा था कि खपत को बढ़ाना चाहिए, मांग को बढ़ाना चाहिए? क्या हमने ग़रीबों को नगद पैसे देने की बात नहीं की थी?”

उन्होंने कहा, “आज मुझे बताया गया है कि सीईए और अन्य अर्थशास्त्री कह रहे हैं कि आपको प्रोत्साहन की, पे रोल प्रोटेक्शन की, मांग बढ़ाने की ज़रूरत है? तीन और छह महीने पहले ये ज्ञानी कहां थे?”

भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य के सवाल पर चिदंबरम ने कहा,”मैं अल्पावधि में कोई वृद्धि नहीं नहीं देख रहा हूं. यहां तक कि आरबीआई का भी कहना है कि इसमें सुधार होने और फिर से रफ़्तार पकड़ने में लंबा समय लगेगा.”

”मुझे लगता है कि पहली सकारात्मक वृद्धि आने में कई महीने लग जाएंगे. लेकिन, ये सरकार और इसके अप्रत्याशित व अनिश्चित कदमों के कारण और ग़लतियां हो सकती हैं. अगर सरकार ने ग़लतियां की तो सुधार होने में और लंबा समय लग जाएगा. ”

जब पूरा विश्व महामारी के प्रभावों का सामना कर रहा है तो इसका क्या समाधान है?

इस सवाल पर चिदंबरम ने कहा, “महामारी ने अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है. महामारी अर्थव्यवस्था को आगे भी प्रभावित करेगी. इसलिए हमने महामारी के प्रभाव से निपटने के लिए उपाय सुझाए थे. कोरोना ने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है. मैं मानता हूं कि भारत इससे अछूता नहीं रह सकता. सवाल ये है कि आप कितनी जल्दी सुधार करते हैं.”

उन्होंने कहा, “आप सिर्फ़ दो आधारों पर सुधार कर सकते हैं. पहला, आपकी लड़ने की क्षमता और महामारी फैलने से रोकना. दूसरा, महामारी के प्रभाव से निपटने के लिए उपाय करने की क्षमता.”

”सबसे पहले मैं ये मानता हूं कि कुछ चीजें ऐसी हैं जो सरकार के नियंत्रण से बाहर हैं लेकिन, फिर भी आपको महामारी को नियंत्रित करने के लिए मजबूत कदम उठाने चाहिए. दूसरा, सरकार को उसके पास मौजूद सभी उपाय अपनाने चाहिए. लेकिन, ये सरकार ऐसा नहीं कर रही है. हम जानते हैं कि मोदी सरकार को कोई शर्म नहीं है और वो अपनी ग़लती नहीं मानेगी.”

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