राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020) और उसके परिवर्तनकारी प्रभाव के विषय पर आयोजित होने वाले राज्यपालों और विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलरों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित कर रहे हैं।
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर ‘राज्यपालों के सम्मेलन’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए शुरूआत में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, मैं सर्वप्रथम राष्ट्रपति जी का आभार व्यक्त करता हूं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में ये आयोजन बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। शिक्षा जगत का सैकड़ो वर्षों का अनुभव यहां एकत्रित है।
देश की आकांक्षाओं को पूरा करने का महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षा नीति और शिक्षा व्यवस्था होती है।शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से केंद्र , राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, सभी जुड़े होते हैं। लेकिन ये भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार, उसका दखल, उसका प्रभाव, कम से कम होना चाहिए।
नई शिक्षा नीति अध्ययन के बजाय सीखने पर ध्यान केंद्रित करता है और महत्वपूर्ण सोच पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पाठ्यक्रम से आगे जाता है। इस नीति में, हमने जुनून, व्यावहारिकता और प्रदर्शन पर जोर दिया है।
देश के लाखों लोगों ने दिए अपने सुझाव
पीएम मोदी ने कहा,शिक्षा नीति से जितना शिक्षक, अभिभावक जुड़े होंगे, छात्र जुड़े होंगे, उतना ही उसकी प्रासंगिकता और व्यापकता, दोनों ही बढ़ती है। देश के लाखों लोगों ने, शहर में रहने वाले, गांव में रहने वाले, शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने, इसके लिए अपना फीडबैक दिया था, अपने सुझाव दिए थे।
गांव में कोई शिक्षक हो या फिर बड़े-बड़े शिक्षाविद, सबको राष्ट्रीय शिक्षा नीति, अपनी शिक्षा शिक्षा नीति लग रही है। सभी के मन में एक भावना है कि पहले की शिक्षा नीति में यही सुधार तो मैं होते हुए देखना चाहता था। ये एक बहुत बड़ी वजह है राष्ट्रीय शिक्षा नीति की स्वीकारता की।
नई शिक्षा नीति, पढ़ने के बजाय सिखने पर फोकस करती है
आज दुनिया भविष्य में तेजी से बदलते नौकरी, काम की प्रकृति को लेकर चर्चा कर रही है। ये पॉलिसी देश के युवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के मुताबिक knowledge और skills, दोनों मोर्चों पर तैयार करेगी
नई शिक्षा नीति, पढ़ने के बजाय सिखने पर फोकस करती है और पाठ्यक्रम से और आगे बढ़कर गहन सोच पर जोर देती है। इस पॉलिसी मेंप्रक्रिया से अधिक जुनून, व्यावहारिकता औरप्रदर्शन पर बल दिया गया है।
इसमें मूलभूत शिक्षा और भाषाएं भी फोकस हैं। सीखने के परिणाम और शिक्षक प्रशिक्षण पर भी ध्यान केंद्रित है। इसमें पहुंच और मूल्यांकन को लेकर भी व्यापक रिफॉर्म्स किए गए हैं।
सामान्य परिवारों के युवाओं के लिए भी सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों का रास्ता खुला
पीएम मोदी ने कहा, लंबे समय से ये बातें उठती रही हैं कि हमारे बच्चे बैग और बोर्ड एग्ज़ाम के बोझ तले, परिवार और समाज के दबाव तले दबे जा रहे हैं। इस पॉलिसी में इस समस्या को प्रभावी तरीके से व्याख्यान किया गया है।
21 वीं सदी में भी भारत को हम एक ज्ञान अर्थव्यवस्था बनाने के लिए प्रयासरत हैं। नई शिक्षा नीति ने ब्रेन ड्रेन को निपटने के लिए और सामान्य से सामान्य परिवारों के युवाओं के लिए भी सर्वश्रेष्ठ अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के कैंपस भारत में स्थापित करने का रास्ता खोला है।
जब किसी भी सिस्टम में इतने व्यापक बदलाव होते हैं, तो कुछ शंकाएं-आशंकाएं स्वाभाविक ही हैं। माता-पिता को लगता होगा कि अगर इतनी आज़ादी बच्चों को मिलेगी, अगर स्ट्रीम खत्म हो जाएंगी तो आगे कॉलेज में उनको दाखिला कैसे मिलेगा, करियर का क्या होगा?
ये शिक्षा नीति नहीं, देश की शिक्षा नीति है
प्रोफेसर्स, टीचर्स के मन में सवाल होंगे कि वो खुद को इस बदलाव के लिए तैयार कैसे कर पाएंगे? इस प्रकार का पाठयक्रम कैसे मैनेज हो पाएगा? आप सभी के पास भी अनेक सवाल होंगे, जिन पर आप चर्चा भी कर रहे हैं।
ये सभी सवाल महत्वपूर्ण हैं,हर सवाल के समाधान के लिए सब मिलकर काम कर रहे हैं। शिक्षा मंत्रालय की तरफ से भी लगातार संवाद जारी है। राज्यों में हर स्टेकहोल्डर की पूरी बात,हर राय को खुले मन से सुना जा रहा है।आखिर हम सभी को मिलकर ही तो तमाम शंकाओं और आशंकाओं का समाधान करना है।
ये शिक्षा नीति, सरकार की शिक्षा नीति नहीं है। ये देश की शिक्षा नीति है। जैसे विदेश नीति देश की नीति होती है, रक्षा नीति देश की नीति होती है, वैसे ही शिक्षा नीति भी देश की ही नीति है।