Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, May 11
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Top Story»लद्दाख के बर्फीले पहाड़ों पर ‘जमने’ को सैनिक तैनात
    Top Story

    लद्दाख के बर्फीले पहाड़ों पर ‘जमने’ को सैनिक तैनात

    sonu kumarBy sonu kumarSeptember 16, 2020No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email
    लद्दाख सरहद पर चीनी सेना से लम्बी लड़ाई के लिए भारतीय सेनाओं की तैयारियां इन दिनों जोरों पर हैं। वायुसेना के परिवहन विमानों से सैनिकों की जरूरत का सामान लेह-लद्दाख पहुंचाया जा रहा है। आने वाली सर्दियों को देखते हुए जरूरी हथियार, राशन और साजो-सामान को अग्रिम चौकियों तक पहुंचाने के लिए चिनूक हेलीकॉप्टर को लगाया गया है। बर्फबारी से रास्ते बंद होने पहले लद्दाख में हर सामान का स्टॉक किये जाने की योजना है। इसलिए भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं से लदे ट्रक लगभग हर दिन बड़े सैन्य काफिले में लेह-लद्दाख पहुंच रहे हैं। हालांकि इससे पहले ठंड के दिनों में सड़कों को छह महीने के लिए बंद कर दिया जाता था लेकिन अब इस अवधि को घटाकर 120 दिन कर दिया गया है।  
     
    भारत ने पिछले चार माह में द्विपक्षीय, सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के जरिये चीन से सीमा विवाद हल करने की हरसंभव कोशिश कर ली है लेकिन चीनियों के अड़ियल रुख को देखते हुए अब भारतीय सेना ने भी ठंड के दिनों में एलएसी पर जमे रहने की तैयारी शुरू कर दी है। आने वाले दिनों में बर्फबारी और भीषण ठंड के मौसम को ध्यान में रखते हुए सेना ने एक साल के लिए पर्याप्त मात्रा में आवश्यक वस्तुओं का स्टॉक कर लिया है। याद रहे कि चीन ने सन 1962 का युद्ध अक्टूबर के महीने में ही शुरू किया था, इसलिए वार्ताओं के जरिये चार माह का समय बिताकर इस बार फिर चीन की तरफ से अक्टूबर में किसी भी तरह का दुस्साहस किये जाने की आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। सैनिकों के लिए सामानों का स्टॉक करने में लगे सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि भारत एलएसी पर लम्बी तैनाती नहीं चाहता लेकिन अब ऐसी स्थिति बन रही है तो हम उसके लिए भी पूरी तरह तैयार हैं।
    सेना ने किया राशन-ईंधन का स्टॉक
    वायुसेना का परिवहन विमान सी-17 ग्लोब मास्टर और अमेरिकी हेलीकॉप्टर चिनूक सेना तालमेल के साथ काम कर रहे हैं।​ ​सी-17 ग्लोब मास्टर से सर्दियों के कपड़े, टेंट, हीटिंग उपकरण और राशन लेह-लद्दाख लाया जा रहा है। जो अनलोडिंग होने के बाद सेना के अधिकारियों की देखरेख में चिनूक हेलीकॉप्टरों के जरिये ऊंचाइयों की अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों तक पहुंचाया जा रहा है। एयर कमाडोर डीपी हिरानी ने कहा कि भारतीय सेना के लोकेशन पर ​​भेजे गए टेंट माइनस 50 डिग्री तक तापमान को झेलने की क्षमता रखते हैं। भारतीय सेना के राशन गोदाम एलएसी माउंट पर भरे हुए हैं। लेह में सेना का ईंधन डिपो तेल टैंकर लाइन से भरा हुआ है।​ ​सेना ने राशन, गरम कपड़े, उच्च ऊंचाई वाले टेंट और ईंधन का भी बड़े पैमाने पर स्टॉक कर लिया है।
    लेह स्थित 14 कोर के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल अरविंद कपूर ने कहा कि हमारा लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर इतने स्मार्ट तरीके से बनाया गया है कि बाहर से किसी तरह की सूचना मिलते ही प्लग एंड प्ले मोड के तहत प्रभावी तरीके से यूनिट में शामिल हो सकते हैं। फ्रंटलाइन पर तैनात हर जवान को अत्याधुनिक शीतकालीन कपड़े और तंबू दिए गए हैं। सबसे अच्छी गुणवत्ता वाले राशन का इंतजाम किया गया है, जो अत्यधिक पोषण और उच्च कैलोरी वाले हैं। सेना के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि भारत के पास ऐसे स्ट्रैटजिक एयरलिफ्ट प्लेटफॉर्म हैं, जिससे सड़क मार्ग कटने पर भी भारतीय सेना और एयरफोर्स मिलकर एक-डेढ़ घंटे के भीतर ही दिल्ली से लद्दाख और अग्रिम चौकियों तक जरूरी सामान पहुंचाया जा सकता है। हालांकि इसी महीने रोहतांग टनल का भी उद्घाटन होने की उम्मीद है, जिसके बाद लद्दाख रीजन तक हर मौसम में पहुंच आसान हो जाएगी।
    बर्फीले पहाड़ों पर तैनात हुए भारतीय सैनिक   
    चीन के साथ लद्दाख में लंबे समय से बना तनावपूर्ण माहौल जल्द खत्म होता दिखाई नहीं देता, इसलिए कई अन्य राज्यों में तैनात उन सैनिकों को भी रिजर्व के तौर पर यहां लाया जा रहा है, जो शून्य तापमान में भी सीमा की रक्षा करने का अनुभव रखते हैं। ताकि ठंड के दिनों में अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों की अदला-बदली में कोई दिक्कत न हो। भारतीय सैनिकों को शून्य तापमान और बर्फबारी के बीच भी देश की हिफाजत के लिए डटे रहने की आदत है। सेना के जवान सियाचिन और सिक्किम जैसी ठंडी जगहों पर पहले से तैनात हैं। एलएसी पर जो अतिरिक्त फ़ौज भेजी गई है, वह पहले से बर्फीले पहाड़ों पर तैनात रह चुकी है। कारगिल में 18 हजार फीट ऊंची बर्फ की चोटियों से पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने का अनुभव रखने वाली भारतीय सेना के लिए लद्दाख की खून जमा देने वाली बर्फीली पहाड़ियां कोई मायने नहीं रखतीं। इसलिए सेना ने ठंड के दिनोंं में भी चीनियों से मोर्चा संभालने के इरादे से खुद को तैयार कर लिया है। लद्दाख के उच्च ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले भारतीय बल तैनात हैं।
    प्रति माह 8,000 करोड़ रुपये का खर्च 
    लद्दाख में सर्दियों के दिनों में 30-40 हजार अतिरिक्त ​​सैनिकों की तैनाती पर प्रति माह 8,000 करोड़ रुपये (1.8 बिलियन डॉलर) खर्च होने का अनुमान है, जिसके लिए केंद्र सरकार की मंजूरी मिल चुकी है। 9000 से 12000 फीट की ऊंचाई तक तैनात सैनिकों को एक्सट्रीम कोल्ड क्लाइमेट (ईसीसी) क्लोदिंग दी जाती है। इससे ज्यादा ऊंचाई पर तैनात सैनिकों को स्पेशल क्लोदिंग एंड माउंटेनियरिंग इक्विपमेंट (एससीएमई) दिए जाते हैं। एक जवान को एससीएमई देने पर करीब 1.2 लाख रुपये तक खर्च आता है। एलएसी पर तैनात सभी सैनिकों के लिए क्लोदिंग सहित सभी जरूरी सामान पहुंचा दिया गया है और रिजर्व स्टॉक भी भेजने का काम जारी है। एक अधिकारी ने बताया कि अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों को स्पेशल राशन दिया जाता है। दरअसल अत्यधिक ऊंचाई पर तैनात सैनिकों को ज्यादा भूख नहीं लगती लेकिन उन्हें सही पोषण और जरूरी कैलरी देने के लिए हर दिन 72 आइटम दिए जाते हैं, जिसमें से वह अपनी पसंद की चीज चुन सकते हैं। 
    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleऑक्सफोर्ड के कोरोना वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल होगा शुरू, डीसीजीआई ने दी अनुमति
    Next Article मॉनसून सत्र LIVE: आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान बिल 2020 राज्यसभा से पास
    sonu kumar

      Related Posts

      बाबूलाल मरांडी ने विभिन्न मुद्दों पर की हेमंत सरकार की आलोचना

      May 11, 2025

      झारखंड कैडर के 4 आईपीएस अधिकारियों को आईजी रैंक के पैनल में किया गया शामिल

      May 11, 2025

      रांची में टायर दुकान में लगी भीषण आग, फायर बिग्रेड काबू पाने में लगी

      May 11, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ने अंतरराष्ट्रीय जगत में अपना परचम लहराया : लाजवंती झा
      • दुश्मन के रडार से बचकर सटीक निशाना साध सकती है ब्रह्मोस, रफ्तार ध्वनि की गति से तीन गुना तेज
      • कूटनीतिक जीत: आतंकवाद पर भारत ने खींची स्थायी रेखा, अपने उद्देश्य में भारत सफल, पाकिस्तान की फजीहत
      • भारत के सुदर्शन चक्र ने पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को तबाह कर दिया
      • वायुसेना का बयान- ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी, जल्द दी जाएगी ब्रीफिंग
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version