युवा और प्रतिभाशाली अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत का मामला बेहद रहस्यमय होता जा रहा है। हालांकि 12 दिन से गहन जांच और पूछताछ के बीच देश की सर्वश्रेष्ठ जांच एजेंसी सीबीआइ किसी ठोस नतीजे पर पहुंचने की दिशा में बढ़ रही है। लेकिन इस मामले में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के एक्शन में आने के बाद पूरी दुनिया की जुबान पर एक बार फिर झारखंड का नाम चढ़ गया है। ऐसा इसलिए हुआ है, क्योंकि एनसीबी की कमान एक झारखंडी अधिकारी के हाथों में है। इस अधिकारी का नाम है राकेश अस्थाना। राकेश अस्थाना झारखंड में ही जन्मे और यहीं उन्होंने अपनी शिक्षा ग्रहण की। राकेश अस्थाना का बचपन नेतरहाट के अलावा रांची के बरियातू हाउसिंग कॉलोनी में बीता। उनके पिता प्रतिष्ठित नेतरहाट स्कूल के प्रिंसिपल थे। सुशांत मामले की जांच में राकेश अस्थाना की इंट्री से लोगों को भरोसा हो गया है कि अब यह मामला अपने अंजाम तक जरूर पहुंचेगा। राकेश अस्थाना की गिनती देश के तेज-तर्रार आइपीएस अधिकारियों में होती है, जो आज तक न किसी राजनीतिक दबाव के आगे झुके हैं और न ही कभी अपनी पोजिशन का बेजा इस्तेमाल किया है। इस चर्चित आइपीएस अधिकारी की कार्यशैली और इनके कामों का विश्लेषण करती आजाद सिपाही ब्यूरो की खास रिपोर्ट।
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मौत के मामले में अब नशीली दवाओं, जिसे आम बोलचाल में ड्रग्स कहा जाता है, का एंगल सामने आ गया है। इसलिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो इस केस में एक्शन में आ गया है। पिछले 12 दिनों से सीबीआइ और इडी सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच कर रही है, लेकिन अभी तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। दूसरी तरफ एनसीबी ने महज तीन दिन की जांच में नशीली दवाओं के तीन तस्करों को गिरफ्तार कर इस मामले की तह तक पहुंचने का संकेत दे दिया है।
हाल के दिनों में एनसीबी पहली बार सुर्खियों में आया है, क्योंकि आम तौर पर इसकी भूमिका सहायक एजेंसी की होती है। लेकिन इसके चीफ की अलग कार्यशैली के कारण इस बार यह केंद्रीय भूमिका में है। एनसीबी के चीफ हैं देश के चर्चित आइपीएस अधिकारी राकेश अस्थाना, जो मन-मिजाज और कर्म से झारखंडी हैं।
राकेश अस्थाना के परिजन हालांकि मूल रूप से आगरा के रहनेवाले थे, लेकिन राकेश अस्थाना रांची में 1961 में पैदा हुए और यहीं पले-बढ़े। उनके पिता नेतरहाट स्कूल के प्रिंसिपल थे। वहां और फिर रांची के सेंट जेवियर्स स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद राकेश आगरा चले गये और वहां से स्नातक बने। फिर उन्होंने दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमए किया। वह 1984 में पहले ही प्रयास में आइपीएस चुने गये और उन्हें गुजरात कैडर मिला। सीबीआइ और बीएसएफ के महानिदेशक रहे राकेश अस्थाना की गिनती तेज-तर्रार अधिकारियों में होती है।
चारा घोटाले में लालू से पूछताछ से सुर्खियों में
राकेश अस्थाना का नाम सुर्खियों में आया साल 1996 में। बिहार में हुए बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में जांच की जिम्मेदारी राकेश अस्थाना को मिली। उस समय लालू के रसूख के आगे कोई भी अधिकारी मामले में हाथ डालने को तैयार नहीं था। ऐसे में राकेश ने कई-कई घंटों तक बैठाकर लालू से पूछताछ की। उन्होंने राजनीति और प्रशासनिक दबाव की परवाह ना करते हुए लालू के खिलाफ चार्जशीट पेश की। इसके बाद 1997 में लालू को जेल जाना पड़ा। इस घटना के बाद राकेश अस्थाना का नाम सुर्खियों में आ गया।
तेजतर्रार अधिकारियों में होती है गिनती
एंटी करप्शन ब्यूरो में एसपी रहते हुए राकेश अस्थाना ने धनबाद के खान सुरक्षा महानिदेशक को घूस लेते हुए गिरफ्तार किया था। ऐसा पहली बार हुआ था कि इस रैंक का अधिकारी घूस लेते हुए पकड़ा गया हो। वह पुरुलिया आर्म्स ड्रॉप केस की फील्ड इन्वेस्टिगेशन सुपरविजन में शामिल थे। रिकॉर्ड समय में जांच पूरी कर मामले का खुलासा करने की खासियत वाले अस्थाना के खाते में 2002 का गोधरा कांड और 2008 के अहमदाबाद ब्लास्ट की जांच का मामला भी दर्ज है।
गोधरा कांड और अहमदाबाद ब्लास्ट की जांच
दरअसल 2002 की फरवरी में गुजरात के गोधरा में साबरमती ट्रेन को जलाये जाने के बाद दंगा भड़क उठा था। दंगों की जांच के लिए गठित हुई एसआइटी का नेतृत्व राकेश अस्थाना ने किया था। तब एसआइटी ने कारसेवकों से भरी ट्रेन में सुनियोजित तरीके से आग लगाये जाने की बात कही थी। इसके बाद जुलाई 2008 में अहमदाबाद में सीरियल ब्लास्ट हुआ। बम ब्लास्ट की जांच का जिम्मा राकेश को ही दिया गया था। महज 22 दिनों के अंदर ही ब्लास्ट केस को सुलझा कर राकेश ने मिसाल पेश की थी।
आसाराम बापू रेप मामले की भी की जांच
वर्ष 2014 में आश्रम की बालिका से रेप के मामले में आसाराम बापू और उनके बेटे नारायण साईं की जांच भी राकेश अस्थाना ने की। फरार चल रहे नारायण साईं को हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर पर पकड़ा गया था। राकेश सूरत और वड़ोदरा जैसी प्रमुख जगहों के पुलिस कमिश्नर भी रह चुके हैं।
बार-बार विवादों में घेरने की कोशिश
साल 2016 में अस्थाना को सीबीआइ का अतिरिक्त निदेशक बनाया गया। हालांकि यहां उनके साथ एक विवाद जुड़ गया, जिसके तहत उन पर सीबीआइ ने ही घूसखोरी का मामला दर्ज किया था। यह सब हुआ था सीबीआइ के तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा से किसी मामले में टकराव के कारण। सीबीआइ ने उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश भी की, लेकिन कोर्ट से उन्हें न्याय मिला। बाद में सीबीआइ से उनका तबादला कर दिया गया।
बीएसएफ के महानिदेशक भी हैं
राकेश अस्थाना एनसीबी प्रमुख होने के साथ देश की सरहदों की सुरक्षा करनेवाले सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक भी हैं। उनके सामने पाकिस्तान और बांग्लादेश बॉर्डर की चुनौतियां भी हैं। राकेश अस्थाना के बैच के आइपीएस अधिकारियों का कहना है कि वे शुरू से ही तेज-तर्रार और अपने काम को सबसे ऊपर रखनेवाले अधिकारी रहे। वह बड़े से बड़ा दबाव भी आसानी से झेल जाते हैं और कभी कोई पक्षपात नहीं करते। इसलिए अब लोगों को भरोसा हो गया है कि सुशांत मामले में राकेश अस्थाना की इंट्री से दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।