नई दिल्ली। रोहिणी कोर्ट में 24 सितंबर को हुई फायरिंग के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर जजों, वकीलों और विधि व्यवसाय से जुड़े लोगों की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई है। याचिका वकील विशाल तिवारी ने दायर की है। उधर, दिल्ली हाई कोर्ट में भी इसी तरह की एक याचिका दायर की गई है।
सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारें अपने यहां की निचली अदालतों में सुरक्षा प्रबंध की पुख्ता व्यवस्था करने का दिशानिर्देश जारी करें। याचिका में सुझाव दिया गया है कि खूंखार अपराधियों और गैगस्टर्स को सीधे कोर्ट में पेश करने की बजाय उन्हें वर्चुअल तरीके से पेश किया जाए। निचली अदालतों में इस तरह के सीसीटीवी स्थापित किए जाएं, ताकि हर घटना उसमें कैद हो।
याचिका में कहा गया है कि कई राज्यों के दूर-दराज के जिला अदालतों में हथियारबंद पुलिस की व्यवस्था भी नहीं होती, जो कोर्ट के काम करने के दौरान सुरक्षा का बंदोबस्त कर सकें। अदालतों में कई पक्षकार अपने समर्थकों के साथ पहुंचते हैं, ताकि दूसरे पक्ष पर दबाव बनाया जा सके। ज्ञातव्य है कि रोहिणी कोर्ट में हुई घटना पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना ने चिंता जताई है। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल से बात कर सलाह दी कि वह देखें कि कोर्ट के काम पर असर न हो। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी वक्तव्य में कहा गया है कि अदालतों और जजों की सुरक्षा पर पहले ही संज्ञान लेकर सुनवाई चल रही है। अगले हफ्ते इसे प्राथमिकता से सुना जाएगा।