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    Home»Breaking News»भारत को मिला पहला न्यूक्लियर मिसाइल ट्रैकिंग जहाज आईएनएस ध्रुव
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    भारत को मिला पहला न्यूक्लियर मिसाइल ट्रैकिंग जहाज आईएनएस ध्रुव

    sonu kumarBy sonu kumarSeptember 11, 2021Updated:September 11, 2021No Comments4 Mins Read
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    भारत का पहला परमाणु मिसाइल ट्रैकिंग जहाज आईएनएस ध्रुव शुक्रवार को विशाखापत्तनम में नौसेना में शामिल कर लिया गया। 10 हजार टन वजनी इस जंगी जहाज का निर्माण इतना गोपनीय रखा गया था कि सिर्फ प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की निगरानी में ही इसे बनाने का काम सात साल में पूरा हुआ। इस तरह का नौसैन्य मिसाइल ट्रैकिंग सिस्टम केवल फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और चीन के पास ही है। इस ट्रैकिंग पोत के जरिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय नौसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा।

    सैटेलाइटों की भी करेगा निगरानी

    यह जहाज मिसाइल को ट्रैक करने के साथ-साथ पृथ्वी की निचली कक्षा में सैटेलाइटों की निगरानी भी करेगा। लंबी दूरी तक परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक करने की क्षमता होने से भारत की एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता बढ़ेगी। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ) के सहयोग से हिंदुस्तान शिपयार्ड ने आईएनएस ध्रुव का निर्माण किया है। निर्माण की शुरुआत के दौरान इस जहाज का नाम वीसी-11184 दिया गया था। इस शिप के केंद्रीय ढांचे का निर्माण 30 जून, 2014 को मोदी सरकार के आने के बाद शुरू किया गया था। इसे इतना गोपनीय रखा गया कि सिर्फ प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) की निगरानी में ही इसे बनाने का काम सात साल में पूरा हुआ। इस शिप के निर्माण के बाद इसके ट्रायल होने की भी भनक नहीं लगने दी गई।

    एक साल तक चला समुद्री परीक्षण

    आईएनएस ध्रुव का हार्बर ट्रायल जुलाई 2018 में शुरू हुआ। 2018 के अंत तक इसका समुद्री ट्रायल भी शुरू हो गया। तकरीबन दो साल तक पूरी जांच के बाद यह पोत अक्टूबर, 2020 में गुपचुप तरीके से नौसेना तक ट्रायल के लिए पहुंचा दिया गया। लगभग एक साल के समुद्री परीक्षण के बाद अब इसे नौसेना में शामिल किया गया है। इस शिप के पूरे निर्माण की लागत का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन 2014 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसे बनाने में तब लगभग 1500 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित था। इसकी लंबाई 175 मीटर, बीम 22 मीटर, ड्राफ्ट छह मीटर है और यह 21 समुद्री मील की गति प्राप्त कर सकता है। यह दो आयातित 9,000 किलोवाट संयुक्त डीजल और डीजल कॉन्फ़िगरेशन इंजन और तीन 1200 किलोवाट सहायक जनरेटर से संचालित है। इस तरह का नौसैन्य मिसाइल सिस्टम केवल फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और चीन के पास ही है। चीन पिछले काफी समय से समुद्री सीमा के जरिए भारत पर निगरानी रखने की कोशिश के तहत निगरानी करने वाले जहाजों को हिंद महासागर की ओर भेज रहा है।

    समुद्र तल का नक्शा बनाने की भी है क्षमता

    परमाणु मिसाइल ट्रैकिंग जहाज को भारतीय नौसेना के सामरिक बल कमान (एसएफसी) के साथ संचालित किया जाएगा। यह जहाज दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने के लिए समुद्र तल का नक्शा बनाने की क्षमता रखता है। यह जहाज भारतीय शहरों और सैन्य प्रतिष्ठानों की ओर जाने वाली दुश्मन की मिसाइलों के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य करेगा। यह जहाज इंडो-पैसिफिक में समुद्री डोमेन जागरुकता के लिए इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अब पानी के नीचे सशस्त्र और निगरानी ड्रोन का युग शुरू हो गया है। दरअसल चीन और पाकिस्तान दोनों के पास पहले से ही परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता है, इस कारण आईएनएस ध्रुव से भारत की समुद्री सुरक्षा मजबूत होने के साथ ही दुश्मन की वास्तविक मिसाइल क्षमता को समझने की क्षमता में भी वृद्धि होगी।

    एंटीना के जरिए सीधे सैटेलाइट से जुड़ा

    अत्याधुनिक सक्रिय स्कैन एरे रडार या एईएसए से लैस यह जहाज एंटीना के जरिए सीधे सैटेलाइट से जुड़ा है। ये सैटेलाइट ही दूर से आ रही मिसाइल का पता लगाकर शिप में मौजूद रडार तक जानकारी भेजता है। इसमें भारत पर नजर रखने वाले जासूसी उपग्रहों की निगरानी के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में मिसाइल परीक्षणों की निगरानी के लिए विभिन्न स्पेक्ट्रम को स्कैन करने की क्षमता है। इस ट्रैकिंग शिप पर लगे आधुनिक सर्विलांस रडार से बैलिस्टिक मिसाइलों को आसानी से ट्रैक करने के बाद नष्ट किया जा सकता है। यह भारतीय नौसेना की क्षमता को अदन की खाड़ी से मलक्का, सुंडा, लोम्बोक, ओमबाई और वेटार जलडमरूमध्य के माध्यम से दक्षिण चीन सागर में प्रवेश मार्गों तक क्षेत्र की निगरानी के लिए जोड़ देगा।

    जल, नभ और आसमान की भी करेगा सुरक्षा

    जमीनी जंग के बीच चीन और पाकिस्तान समुद्री रास्ते का इस्तेमाल करते हुए भारत पर नौसैनिक शिप से बैलिस्टिक मिसाइल दाग सकते हैं। ऐसे में भारत का यह ट्रैकिंग और सर्विलांस शिप भारत की जमीनी सीमा को किसी मिसाइल या एयरक्राफ्ट के हमले से सुरक्षित करेगा। हिन्द महासागर के तल का मानचित्रण करके आईएनएस ध्रुव भारतीय नौसेना को तीनों आयामों उप-सतह, सतह और हवाई में बेहतर सैन्य संचालन की योजना बनाने में मदद करेगा। यह नया जहाज भारत की इलेक्ट्रॉनिक खुफिया-एकत्र करने वाली जासूसी एजेंसी एनटीआरओ को भी वास्तविक खतरे का मुकाबला करने में मदद करेगा।

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