जम्मू। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 व 35ए की समाप्ति और कोरोना काल के बाद यह पहला ऐसा मौका है जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत जम्मू के तीन दिवसीय प्रवास पर आ रहे हैं। वह 30 सितंबर को जम्मू पहुंचेंगे और एक अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर में कार्यरत प्रांत प्रचारक सहित सभी प्रचारकों के साथ बैठक कर संघ कार्यों की समीक्षा करेंगे।
इस दौरान वह संघ संगठनों के पदाधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे और विभिन्न क्षेत्रों में चल रहे संघ कार्यों की जानकारी लेंगे। संघ और उससे संबंधित संगठन किस प्रकार और किस गति से चल रहे हैं और जम्मू-कश्मीर में बदलाव के बाद विकास किस प्रकार चल रहे हैं, इन सभी मुददों की समीक्षा करेंगे। उनके अपने इस प्रवास के दौरान केवल एक ही कार्यक्रम सार्वजनिक रूप से रखा गया है, जो जम्मू विश्वविद्यालय के जनरल जोरावर सिंह सभागार में सायं चार बजे से शुरू होगा। इसके अलावा ऐसा कोई भी सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं है, जहां आम जनता सहित नागरिक भाग ले सकते हैं। उनके इस प्रवास के दौरान वह प्रजा परिषद आंदोलन, गोवा मुक्ति आंदोलन व स्वतंत्रता सेनानियों ‘जो अभी जीवित हैं’ उनके साथ मिलकर भोजन पर चर्चा भी करेंगे।
उल्लेखनीय है कि संघ की शाखाओं के कार्य और विभिन्न गतिविधियों की समीक्षा, कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण, समाज के विभिन्न गण्यमान्य और प्रबुद्धजनों से संवाद व संपर्क को लेकर देश के सभी प्रांतों में सरसंघचालक और सरकार्यवाह का प्रवास प्रत्येक वर्ष होता है, जो एक वर्ष पहले ही तय हो जाता है। उसी क्रम में जम्मू कश्मीर प्रांत में सरसंघचालक का प्रवास 30 सितम्बर से 3 अक्टूबर को तय हुआ है। इससे पूर्व वर्ष 2016 में वह जम्मू आये थे।
इस प्रवास के दौरान जम्मू-कश्मीर में शाखाओं की स्थिति, कोरोना की पहली और दूसरी लहर में समाज में स्वयंसेवकों की भूमिका, सेवा व संबल प्रदान करने के कार्यों की समीक्षा होगी। इसके अलावा स्वयंसेवकों द्वारा चलाए जा रहे समाज सेवा के कार्य, पर्यावरण, जल संरक्षण, पौधरोपण, ग्राम विकास, कुटुंब प्रबोधन, धर्म जागरण इत्यादि विषयों पर चर्चा होगी।