– ट्रिब्यूनल्स के सदस्यों की मनमानी नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल्स के सदस्यों की मनमानी नियुक्ति पर नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा जिस तरह से केंद्र ने नियुक्तियां की हैं, वह बहुत नाखुश हैं। कोर्ट ने सभी ट्रिब्यूनल्स के खाली पदों को दो हफ्ते में भरने की अंतिम समय-सीमा दी है।
कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जजों की अध्यक्षता वाली चयन समिति की सिफारिशों की इन नियुक्तियों में अहमियत नहीं दी गई। कमेटी ने सरकार के पास जिन नामों को भेजा, उनमें से कुछ नामों को ही चुना गया। सरकार ने बाकी नियुक्तियों के लिए प्रतीक्षा सूची से नामों को चुना। कोर्ट ने कहा कि सरकार के रवैये के चलते नियुक्ति के लिए चयन समिति की पूरी मेहनत और पूरी कवायद ही बेमानी हो गई है।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने विभिन्न ट्रिब्यूनल के लिए 84 नियुक्तियां की हैं। 39 नामों को सितंबर में हरी झंडी दी गई है। अटार्नी जनरल ने कहा कि सरकार को चयन समिति की ओर से भेजे गए नामों को नामंजूर करने का अधिकार है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि इस दलील को स्वीकार नहीं किया जा सकता। जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा कि तब इस पूरी चयन प्रक्रिया की अहमियत क्या रह जाएगी, अगर सब कुछ सरकार की आखिरी राय पर ही निर्भर करता है।
छह सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वो 13 सितंबर तक सभी ट्रिब्यूनल के खाली पद भरें। कोर्ट ने कहा था कि सरकार के टालमटोल भरे रवैए के चलते कई ट्रिब्यूनल बंद होने की कगार पर आ पहुंचे हैं। कोर्ट ने हाल में बने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट पर कहा था कि जो अध्यादेश हमने असंवैधानिक करार दिया। लगभग वैसा ही नया कानून बना दिया गया है। 16 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने संसद में पेश ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स बिल पर भी सवाल उठाया था। कोर्ट ने कहा था कि जिस अध्यादेश को असंवैधानिक करार दिया था, उसके प्रावधान बिल में शामिल किए गए हैं।
वकील अमित साहनी ने दायर याचिका में कहा है कि पीएमएलए अपीलीय ट्रिब्यूनल में सरकार नियुक्ति करने में नाकाम रही है। याचिका में कहा गया है कि ट्रिब्यूनल का गठन हाई कोर्ट और दूसरी कोर्ट का बोझ कम करने के लिए किया गया ताकि लोगों को जल्द न्याय मिल सके। याचिकाकर्ता ने पीएमएलए अपीलीय ट्रिब्यूनल में नियुक्ति के लिए सरकार से भी संपर्क किया था, लेकिन सरकार ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। याचिका में मांग की गई है कि पीएमएलए अपीलीय ट्रिब्यूनल में नियुक्ति के लिए दिशा-निर्देश जारी किया जाए।