हेमंत सरकार कैबिनेट ने स्थानीय और ओबीसी आरक्षण पर लिया फैसला

  • -कैबिनेट ने स्थानीयता को परिभाषित करने संबंधित विधेयक को दी मंजूरी
  • -आरक्षण की सीमा को 77 प्रतिशत करने की विधेयक को भी मंजूरी
  • -केंद्र सरकार से नवीं सूची में शामिल करने का किया जायेगा अनुरोध
  • -कैबिनेट ने 43 प्रस्तावों को दी मंजूरी

आजाद सिपाही संवाददाता
रांची।
झारखंड में अब 1932 के खतियान वाले स्थानीय होंगे। हेमंत सोरेन कैबिनेट ने इससे संबंधित प्रस्ताव को पारित कर दिया। इसके साथ ही ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने की भी मंजूरी दी गयी। अब आरक्षण की सीमा 77 फीसदी हो जायेगी। इस पर भी कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में 43 प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी। जिनमें आंगनबाड़ी सेविका-साहियका के मानदेय, स्कूल में बच्चों को पांच दिन अंडा देने समेत अन्य प्रस्ताव शामिल हैं।

कैसे होगी स्थानीयता की पहचान:
कैबिनेट सचिव वंदना डाडेल ने बताया कि मंत्रिपरषिद ने झारखंड के स्थानीय निवासियों की परिभाषा एवं पहचान हेतु ‘झारखंड स्थनीय व्यक्तियों की परिभाषा एवं परिणामी, सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों के परिभाषित करने के विधेयक 2022’ के गठन की मंजूरी दी है। डाडेल ने कहा कि सरल भाषा में इसे कहा जा सकता है कि कैबिनेट ने 1932 खतियान लागू करने पर निर्णय लिया गया। इसके तहत वैसे व्यक्ति जिनका या जिनके पूर्वजों का नाम 1932 के खतियान में दर्ज है, उन्हें झारखंड का स्थानीय निवासी माना जाएगा। यदि किसी का खतियान पठनीय नहीं है या उसका नाम खतियान में दर्ज नहीं है तो उस व्यक्ति की पहचान ग्राम सभा द्वारा की जाएगी। इस विधेयक को विधानसभा से पारित होने के बाद केंद्र के पास 9वीं सूची में शामिल करने के लिए केंद्र को भेजा जायेगा।

ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण:
हेंमसत सरकार ने एक और अहम फैसला लेते हुए 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। सचिव वंदना डाडेल ने बताया कि कैबिनेट ने ‘झारखंड में पदों एवं सवाओं में आरक्षण (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग के लिए) अधिनियम 2001 में संशोधन 2022’ को मंजूरी दी। झारखंड में अब कुल 77 फीसदी आरक्षण दिया जायेगा। इस प्रस्ताव में एससी को 12 प्रतिशत, एसटी को 28 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 15 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग को 12 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया है। सामान्य वर्ग के लिए 23 फीसदी सीटें बची हैं। विधानसभा से विधेयक पारित होने के बाद इसे केंद्र सरकार के पास 9वीं सूची में शामिल करने के लिए भेजा जायेगा।

बीते कई माह से चल रहा था आंदोलन:
झामुमो ने 2019 के विधानसभा चुनाव में अपने मेनिफेस्टो में वादा किया था कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आयी, तो 1932 के खतियान को आधार बनाकर स्थानीयता को पारिभाषित करेगी। झामुमो के वरिष्ठ विधायक लोबिन हेंब्रम समेत कई अन्य विधायक इसे लागू करने की मांग कर रहे थे। पिछले कुछ महीनों से राज्य में स्थानीय नीति को लेकर विभिन्न संगठनों द्वारा आंदोलन किया जा रहा है। विभिन्न संगठन 1932 के खतियान लागू करने की मांग कर रहे थे। इसी तरह आजसू सूप्रीमो सुदेश महतो समेत विभिन्न संगठनों ने ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी करने की लगातार मांग कर रहे थे।

क्यों 1932 के खतियान की थी मांग
प्राप्त जानकारी के मुताबिक आजादी के पश्चात अंतिम सर्वे सेटलमेंट केवल सिंहभूम इलाके में हुआ था। ये सर्वे 1960 से 1964 के बीच हुआ था। मौजूदा झारखंड प्रदेश के अन्य इलाकों में 1932 के पहले ही अंतिम सर्वे सेटलमेंट हुआ था। बता दें कि साल 2002 में तात्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने 1932 को आधार बनाकर स्थानीयता परिभाषित करना का प्रयास किया था, लेकिन यह हो नहीं पाया था। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने र्कायकाल के दौरान स्थानीय नीति पारिभाषित किया था। रघुवर सरकार ने 1985 से प्रदेश में रहने वाले लोगों को स्थानीय माना था।

किसानों को राहत देने का फैसला
इसके अलावा कैबिनेट में सुखाड़ को देखते हुए किसानों को राहत देने का फैसला लिया गया। किसानों को रबी में 90% अनुदान पर बीज दिया जाएगा। वर्तमान बीज नीति को सरकार ने शिथिल किया है। कृषि विभाग की ओर से किसानों को बीज देने के लिए नीति बनायी गयी है। नीति में प्रावधान है कि पहले 50 फीसदी अनुदान पर किसानों को बीज दिया जाता था अब इसे बढ़ाकर 90 प्रतिशत किया गया है। इस बार रबी के मौसम में किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान पर बीज मिलेगा।

एक सदस्यीय समिति का गठन:
झारखंड विधानसभा सचिवालय नियुक्ति प्रोन्नति अनियमितता की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग ने जो रिपोर्ट दी है, उसके कुछ बिंदुओं के समाधान के लिए एक सदस्यीय आयोग का गठन किया गया। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एस के मुखोपाध्याय इसप् ार रिपोर्ट देंगे।

  • कैबिनेट के अन्य फैसले:
  • -आंगनबाड़ी केंद्र और लघु आंगनबाड़ी केंद्रों में बर्तनों खरीदने के लिए 6000 प्रतिवर्ष राशि प्रति आगनबाड़ी खर्च किया जाएगा।
  • -86 प्रखंडों में प्रखंड कार्यालय भवन निर्माण के लिए 468 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
  • -झारखंड में जमीन और फ्लैट की खरीद-बिक्री में 2 % स्टांप शुल्क बढ़ा। अब जमीन और फ्लैट का रजिस्ट्रेशन शुल्क कुल 9 % होगा।
  • -झारखंड वित्त विधेयक- 2022 के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गयी।
  • -कोल्हान विश्वविद्यालय अंतर्गत डिग्री महाविद्यालय (जुगसालय) में प्राचार्य समेत 29 अध्यापकों के पद सृजित।
  • -बिनोवा भावे विश्वविद्यालय अंतर्गत 5 नव डिग्री विश्वविद्यालय में प्राचार्य समेत 145 अध्यापकों के पद सृजित।
  • -मंत्रियों के लिए खरीदे जाएंगे स्कॉट वाहन, चार करोड़ रुपये होंगे खर्च।
  • -स्कूलों में बच्चों को अब 5 दिन मिलेगा अंडा।
  • -झारखंड सरकार अब सभी बाजार समितियों में अध्यक्ष भी मनोनीत करेगी।
  • -धनबाद में अंतर राज्यीय बस पड़ाव के लिए 48.11 करोड़ रुपये स्वीकृत।
  • -झारखंड लोकसेवा आयोग की अध्यक्ष मैरी नीलिमा केरकेट्टा के प्रस्ताव पर मुहर।
  • -झारखंड इलेक्ट्रिक वाहन नीति को हेमंत सोरेन सरकार ने स्वीकृति दे दी है।
  • -इटकी में अजीम प्रेमजी विश्विद्यालय के लिए 150 एकड़ जमीन दिया जायेगा।
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