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    Home»Jharkhand Top News»1932 खतियान से जमशेदपुर को सबसे ज्यादा नुकसान, कोल्हान भी होगा प्रभावित
    Jharkhand Top News

    1932 खतियान से जमशेदपुर को सबसे ज्यादा नुकसान, कोल्हान भी होगा प्रभावित

    adminBy adminSeptember 15, 2022No Comments2 Mins Read
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    जमशेदपुर | झारखंड में 1932 के खतियान को स्थानीयता का आधार बनाने के बाद जमशेदपुर की बड़ी आबादी के सामने स्थानीयता का संकट उत्पन्न हो जायेगा. सबसे बड़ा सवाल यह है की 103 वर्ष पुराने जमशेदपुर शहर की बड़ी आबादी को स्थानीयता कैसे मिलेगी?.  जमशेदपुर का आधा से ज्यादा हिस्सा टाटा लीज में आता है. लाखों लोग टाटा लीज एरिया में बसे हुए हैं, जो खुद सबलीज की जमीन पर हैं, जिनके पास मालिकाना अधिकार नहीं है.

    यही नहीं, 107 बस्तियां ऐसी हैं, जो टाटा लीज एरिया में पहले थीं, अब टाटा लीज एरिया से बाहर हो चुकी हैं. यहां वर्षों से रह रहे लोगों के पास किसी तरह का कागजी आधार नहीं है. इनमें कई आदिवासी और मूलवासी भी हैं. तथ्य यह भी कि जमशेदपुर अक्षेस और मानगो एरिया में 1994 तक सर्वे सेटलमेंट हुआ है, जिसका प्रकाशन अलग-अलग तिथियों में हुआ है. जुगसलाई नगर पर्षद क्षेत्र में तो अंतिम सर्वे सेटलमेंट 1973 का है.

    ऐसे में वहां के लोगों की स्थानीयता कैसे प्रमाणित होगी, यह सवाल भी खड़ा है. यहां बता दें कि झारखंड में सिर्फ जमशेदपुर शहर ही ऐसा है, जहां कई बार सर्वे सेटलमेंट हुआ है. सिर्फ जमशेदपुर अक्षेस, मानगो नगर निगम और जुगसलाई नगर पर्षद एरिया में अलग-अलग तिथियों में सर्वे सेटलमेंट हुआ है. लेकिन राज्य के अन्य हिस्से में 1932 या 1964 का खतियान प्रभावी है.

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