संजीव || कोडरमा। सपनों का शहर कहलाने वाला और कभी न सोने वाला अमेरिका का न्यूयॉर्क शहर एक यादगार शाम का गवाह बन गया। यादगार इसलिए, क्योंकि यहां भारत के एक पिछड़े राज्य झारखंड से आनेवाली बेटी काजल, जो कभी बाल मजदूर थी, वैश्विक नेताओं के सामने बाल मजदूरों की पीड़ा को लेकर अपनी बात रख रही थी। यह मौका था संयुक्त राष्ट्र की ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन समिट का। 20 साल की काजल ने कहा, बालश्रम और बाल शोषण के खात्मे में शिक्षा की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए बच्चों को शिक्षा के अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने होंगे और इसके लिए वैश्विक नेताओं को आर्थिक रूप से अधिक प्रयास करने चाहिए।
बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए एक ही चाबी है शिक्षा : इसके समानांतर आयोजित हुई लॉरिएट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन समिट में नोबेल विजेताओं और वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए काजल ने बालश्रम, बाल विवाह, बाल शोषण और बच्चों की शिक्षा को लेकर अपनी आवाज बुलंद की। उसने कहा, बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए शिक्षा एक चाबी के समान है। इससे ही वे बालश्रम, बाल शोषण, बाल विवाह और गरीबी से बच सकते हैं। इस मौके पर नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित लीमा जीबोवी, स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन लोवेन और जाने-माने बाल अधिकार कार्यकर्ता केरी कैनेडी समेत कई वैश्विक हस्तियां मौजूद थीं।
कौन है काजल
बचपन में काजल, माइका माइन में ढिबरी चुनने का काम करने को मजबूर थी, ताकि अपने परिवार की आर्थिक मदद कर सके। 14 साल की उम्र में बाल मित्र ग्राम ने उसे ढिबरा चुनने के काम से निकाल कर स्कूल में दाखिला करवाया गया। इसके बाद से काजल कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन के फ्लैगशिप प्रोग्राम बाल मित्र ग्राम की गतिविधियों में सक्रियता से भाग लेने लगी। काजल अब तक 35 बच्चों को माइका माइन के बाल मजदूरी के नर्क से आजाद करवा चुकी है और तीन बाल विवाह रुकवा चुकी है। कोरोना काल में जब स्कूल बंद थे, तब उसने बच्चों को आॅनलाइन शिक्षा देने में अहम भूमिका निभायी। फिलहाल काजल कॉलेज में फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रही है और जिसका लक्ष्य है कि वह पुलिस फोर्स ज्वाइन करे।