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    Home»झारखंड»पेसा कानून को अंतिम रूप देना क्रांतिकारी कदम, जल्द लागू करे सरकार : बंधु तिर्की
    झारखंड

    पेसा कानून को अंतिम रूप देना क्रांतिकारी कदम, जल्द लागू करे सरकार : बंधु तिर्की

    adminBy adminSeptember 26, 2023No Comments6 Mins Read
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    -आदिवासी हितों के लिए अपना सब कुछ झोंक देनेवाले एक राजनेता का सुझाव
    -जमीन से जुड़े हजारों लोगों के संघर्ष के बाद अब करम परब पर लाखों चेहरे पर मुस्कान, खुशी लौटने का भरोसा
    आजाद सिपाही संवाददाता
    रांची। झारखंड में यदि किसी को ऐसे राजनेताओं की सूची बनाने को कहा जाये, जिसने आदिवासी हितों के लिए अपना सब कुछ झोंक दिया, तो उसमें एक प्रमुख नाम बंधु तिर्की का जरूर होगा, क्योंकि यह नाम झारखंड की राजनीति में ही नहीं, सामाजिक कार्यों में भी प्रमुख स्थान पर है। मांडर के पूर्व विधायक और झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की का आदिवासी हितों के मुद्दों पर स्टैंड हमेशा से अलग रहा है। बंधु तिर्की ने झारखंड में पेसा कानून लागू करने समेत दूसरे आदिवासी मुद्दों पर न केवल ठोस स्टैंड लिया, बल्कि उन मुद्दों के लिए निर्णायक लड़ाई भी लड़ी। इस क्रम में उन्होंने बड़ी-बड़ी रैलियां कीं, आक्रामक तरीके से आदिवासी हितों को जनमुद्दा बनाने की खातिर वह जेल तक गये। बंधु तिर्की ने झारखंड सरकार द्वारा पेसा कानून को अंतिम रूप दिये जाने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए इसे क्रांतिकारी कदम करार दिया है।

    क्या कहा है बंधु तिर्की ने
    झारखंड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य बंधु तिर्की ने कहा है कि झारखंड सरकार द्वारा पेसा कानून को अंतिम रूप देना वैसा क्रांतिकारी कदम है, जो प्रदेश के जमीनी हालात और यहां के गांवों की तस्वीर बदलने के साथ ही ग्रामीणों के चेहरे पर मुस्कान लौटाने में सफल होगा। उन्होंने करम परब के अवसर पर झारखंड वासियों को दिये गये पेसा कानून के उपहार के लिए सकारात्मक, मजबूत और निर्णायक कदम उठाने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रति आभार व्यक्त किया है।

    कांग्रेस की देन है पेसा कानून
    बंधु ने कहा कि राजीव गांधी के कारण ही पंचायती राज कानून लागू हुआ था, जिससे ग्रामीणों को उनका अधिकार मिला और पेसा कानून भी कांग्रेस की ही देन है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों और पारंपरिक ग्राम सभाओं के अधिकारों को लेकर विरोधाभास था, जिसका आदिवासियों द्वारा विरोध किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही पांचवीं अनुसूची के तहत आनेवाले क्षेत्रों के लिए 1996 में पेसा कानून बनाया था। इसके बाद सभी संबंधित राज्यों को इससे संबंधित कानून एक साल के अंदर बनाना था, पर भाजपा शासित राज्यों ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही हमेशा से ग्रामीणों, आदिवासियों, पिछड़ों, दलितों, अल्पसंख्यकों आदि के कल्याण के प्रति समर्पित रही है। उन्होंने कहा कि ऐसा महत्वपूर्ण कदम उठाना केवल कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार के बस की ही बात थी, अन्यथा जिस भारतीय जनता पार्टी ने 15 नवंबर 2000 को झारखंड गठन के बाद से अब तक लगभग 23 साल के कार्यकाल में अधिकांश समय तक शासन किया, वह आम जन की इस आकांक्षा को जरूर पूरा करती, लेकिन भाजपा मूलत: वैसे तत्वों की पार्टी है, जो आम लोगों एवं ग्रामीणों का केवल शोषण करना ही जानती है। इसीलिए भाजपा सरकारों के शासनकाल में ऐसा कानून बना ही नहीं। उन्होंने कहा कि भाजपा ने यदि पंचायती राज अधिनियम लागू भी किया, तो उसमें पांचवीं अनुसूची की अवहेलना की।

    पेसा कानून की कई खूबियां हैं
    वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि पेसा कानून के संदर्भ में सरकार का सबसे महत्वपूर्ण कदम यह रहा कि उसने पिछले 31 अगस्त तक आम जनता एवं संगठनों से आपत्तियां एवं सुझाव की मांग की थी और उसके अनुरूप उसने व्यावहारिक सुझावों को भी इस पेसा कानून में शामिल किया है, जो प्रशंसनीय कदम है। उन्होंने कहा कि इस कानून में अनेक वैसे प्रावधान हैं, जिनसे ग्रामीण क्षेत्रों में अपराध पर नियंत्रण लगेगा। साथ ही लोगों में आपसी सहयोग, सामंजस्य एवं सद्भावना की वृद्धि होगी। तिर्की के अनुसार इस कानून के कारण वैसे तत्वों के रास्ते में रुकावटें खड़ी होंगी, जो ग्रामीणों को दिग्भ्रमित कर उनकी जमीन आदि को धोखे से अपने नाम करवा लेते हैं। उन्होंने कहा कि गांव के पारंपरिक प्रधान मानकी, मुंडा, मांझी, परगना, दिउरी, डोकलो, सोहरो, पड़हा राजा जैसे पारंपरिक प्रधान को अधिकार सौंपना वैसा सही कदम है, जिससे झारखंड को उसका पुराना स्वाभिमान लौटाने में सहायता मिलेगी। इससे न केवल झारखंड में विकास एवं स्वाभिमान को सही स्थान मिलेगा, बल्कि पूरे देश में इस प्रदेश की प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया यह शक्तिशाली एवं क्रांतिकारी कदम है।

    ग्रामीण क्षेत्रों में अपराधों पर लगेगी लगाम
    श्री तिर्की ने कहा कि वैसे तो आइपीसी की कुल 36 धाराओं के तहत अपराध करने वालों पर न्यूनतम 10 रुपये से लेकर अधिकतम एक हजार रुपये तक के दंड का प्रावधान है और मोटे तौर पर देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि जल स्रोतों को प्रदूषित करने, जीव-जंतुओं के साथ उपेक्षापूर्ण व्यवहार, अश्लील काम करने, अश्लील गाना बजाने, धार्मिक भावनाओं को भड़काने या उसे ठेस पहुंचाने, दंगा-फसाद, चोरी करने, छल-कपट, जीव-जंतु को मारने या विकलांग करने, मानहानि, खोटे बाट का इस्तेमाल, जबरन काम कराने, लोक शांति भंग करने आदि पर दंडित करने का अधिकार ग्राम सभा को होगा, लेकिन वास्तविकता यह है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सभी तरह के अपराधों पर नियंत्रण लगेगा।

    शुरू से ही किया गया आंदोलन
    श्री तिर्की ने कहा कि पेसा कानून को लागू करवाने की मांग करते हुए उन्होंने पूरे झारखंड में सैकड़ों रैलियां की थीं। उनके साथ ही अनेक लोगों को जेल की प्रताड़ना सहनी पड़ी। झारखंड गठन के तत्काल बाद उनके द्वारा पेसा कानून को लागू करने के लिए तीव्र आंदोलन किया गया। पारंपरिक शासन व्यवस्था को लागू करने के लिए सैकड़ों रैलियां एवं जनसभाएं की गयी थीं। आंदोलन के तहत सेंदरा सगाड़ (रथ) निकाला गया था, जिसकी यात्रा पूरे झारखंड में हुई। उन्होंने कहा कि आज 23 साल बाद उनके मन में जो प्रसन्नता है, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।
    श्री तिर्की ने कहा कि पेसा कानून की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि यह भी है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सही रास्ते पर चलते हुए आय अर्जित करने और असामाजिक गतिविधियों से बचने पर नियंत्रण लगेगा, क्योंकि अनेक अपराध के दोषी व्यक्तियों को दंडित करने का उसे अधिकार होगा, लेकिन प्राकृतिक जल स्रोतों के प्रबंधन के साथ ही गैर इमारती वन प्रबंधन के संदर्भ में निर्णय लेने का पेसा कानून का प्रावधान वस्तुत: क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राज्यपाल की सकारात्मक सहमति पेसा कानून को प्राप्त होगी, जिससे इस कानून को जल्द से जल्द जमीनी स्तर पर इसका व्यावहारिक लाभ न केवल आदिवासियों या मूलवासियों, बल्कि झारखंड के सभी लोगों को मिलेगा और जमीन की लूट रुकेगी।

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