-झारखंड के आदिवासी-मूलवासियों के हक-अधिकारों का होगा हनन
-कोयला मंत्रालय के बिल पर राज्य सरकार ने भेजा अपना मंतव्य
-बिल देश और राज्यहित में नहीं, मूल भावनाओं में कई अनुचित बदलाव
आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। राज्य सरकार ने केंद्रीय कोयला मंत्रालय के द कोल बियरिंग एरिया (एक्यूजिशन एंड डेवलप्मेंट) एमेंडमेंट बिल 2023 पर अपना मंतव्य रखा है। खान एवं भूतत्व विभाग ने अपना पक्ष कोयला मंत्रालय को भेज दिया है। सरकार का मानना है कि कोयला मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित बिल के प्रावधानों में कई अनुचित बदलाव किये गये हैं। इन बदलावों से राज्य को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। यह बदलाव जनभावना के अनुरूप नहीं है, बल्कि यह विकास विरोधी बदलाव है, जिसका झारखंडवासियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। झारखंड के आदिवासी-मूलवासियों के हक-अधिकारों का हनन होगा। हमारी सरकार राज्यवासियों और जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा से जुड़े मुद्दों को उठाती रहती है। लोगों के हक-अधिकार को संरक्षित रखना राज्य सरकार की प्राथमिकता है।
सरकार ने बिल के इन निम्न बिंदुओं पर आपत्ति जतायी है:
– खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 की धारा 8 तथा खनिज समनुदान नियमावली, 1960 के नियम-24 (सी) के तहत सरकारी कंपनियों को कोयला खनिज के खनन पट्टा की अवधि निर्धारित है। केंद्र सरकार के द्वारा खनन पट्टा की अवधि खान का संपूर्ण जीवन काल प्रस्तावित है, जो खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम एवं खनिज समनुदान नियमावली के विपरीत है।
-खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 यथा संशोधित 2021 की 05वीं अनुसूची में सरकारी कंपनियों को कोयला खनिज के खनन पट्टा की स्वीकृति/अवधि विस्तार के मामलों में अतिरिक्त राशि का प्रावधान किया गया है। प्रस्तावित संशोधन में खनन पट्टा की अवधि खान का संपूर्ण जीवन काल होने के कारण सरकारी कंपनियों को कोयला खनिज के खनन पट्टा की स्वीकृति/ अवधि विस्तार के मामलों में राज्य सरकार को अतिरिक्त राशि की प्राप्ति नहीं हो पायेगी।
-द कोल बियरिंग एरिया (एक्यूजिशन एंड डेवलप्मेंट) एक्ट 1957 के प्रावधानुसार कोयला खनन एवं खनन आनुषंगिक गतिविधियों के लिए ही सरकारी कंपनियों हेतु भू-अर्जन का प्रावधान है। अन्य आवश्यकताएं, जैसे कि स्थायी आधारभूत संरचना कार्यालय, आवासीय सुविधाओं आदि के लिए एलए एक्ट, 1894 के तहत भू-अर्जन का प्रावधान है। जबकि प्रस्तावित संशोधन के द्वारा मूल अधिनियम के उद्धेश्य प्रस्तावना, लक्ष्य एवं कारणों को कमजोर करते हुए सरकारी कम्पनियों हेतु अधिग्रहित भूमि को निजी संस्थाओं को अनेकों आधारभूत परियोजनाओं हेतु दिया जाना है।
-भारतीय संविधान की 05वें अनुसूची के तहत आदिवासियों और मूलवासियों की भूमि को प्रदत्त सुरक्षा एवं अधिकार से वंचित करते हुए सरकारी कंपनियों के लिए अधिग्रहित भूमि को निजी संस्थाओं को अनेकों आधारभूत परियोजनाओं हेतु भूमि उपलब्ध कराये जाने का प्रावधान प्रस्तावित है। द कोल बियरिंग एरिया (एक्यूजिशन एंड डेवलप्मेंट) एक्ट 1957 के तहत सरकारी कम्पनियों के लिए अधिग्रहित भूमि को निजी संस्थाओं को आधारभूत परियोजनाओं हेतु उपलब्ध कराये जाने से आदिवासियों/मूलवासियों के संवैधानिक अधिकारों पर अतिक्रमण होगा।
5). मूल अधिनियम की धारा-13 एवं 17 में प्रस्तावित संशोधन से भूमि मालिकों को प्रदत्त अधिकारों का हनन होगा।