-राज्यपाल गुरमीत सिंह ने किया भारतीय न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावशाली बनाने के लिए दो दिवसीय उत्तर क्षेत्रीय न्यायिक संगोष्ठी का औपचारिक शुभारंभ

नैनीताल। उत्तराखंड के नैनीताल जनपद में भवाली स्थित उत्तराखंड न्यायिक एवं कानूनी अकादमी (उजाला) में भारतीय न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावशाली बनाने के लिए दो दिवसीय उत्तर क्षेत्रीय न्यायिक संगोष्ठी शनिवार को शुरू हो गयी। उत्तराखंड के राज्यपाल सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जर्नल गुरमीत सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के साथ संगोष्ठी का दीप प्रज्ज्वलित कर औपचारिक शुभारंभ किया।

इस अवसर पर क्रिप्टो करेंसी, ब्लॉक चेन और एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नये दौर के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विशेषज्ञ वक्ताओं ने भारतीय न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावशाली बनाने के लिए उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी, देश के अटॉर्नी जर्नल आर वैंकटरमणी, न्यायमूर्ति संजय करोल, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा आदि विशिष्ट अतिथियों ने अपने विचार रखे।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कहा कि यह संगोष्ठी तकनीक की मदद से न्याय को सरल बनाने के लिए आयोजित हुई है। उन्होंने एआई को भविष्य के लिये खतरा बताते हुए कहा कि यह हमें परेशानियों और रोगों से निजात देंगे, लेकिन हमारी जिंदगियों पर कब्जा कर लेंगे। वक्ताओं ने कहा कि ऐसी संगोष्ठियों से न्यायिक प्रक्रिया का भविष्य का मार्ग तय होगा।

इसमें बताया गया कि रविवार को न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन, न्यायमूर्ति एएम मुस्ताक और न्यायमूर्ति सूरज गोविंद राज अपने व्याख्यान देंगे।

इस अवसर पर उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज तिवारी, न्यायमूर्ति शरद शर्मा, न्यायमूर्ति आलोक वर्मा, न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल, न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा के साथ ही महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. महेंद्र पाल आदि विशिष्ट अतिथि और उत्तराखंड के साथ जम्मू कश्मीर और लेह लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और असम आदि राज्यों के न्यायाधीश उपस्थित रहे।

हिन्दी को न्यायालयों में जगह दिलाने पर बोले, उत्तराखंड के राज्यपाल –
मुख्य अतिथि राज्यपाल सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जर्नल गुरमीत सिंह ने कहा कि एआई दुनिया की सबसे बड़ी भावी चुनौती है। इस तरह की कनेक्टिविटी अध्यात्म जैसी है, आप इंटर करते हैं तो दुनिया से जुड़कर उसका आनंद लेते हैं। उन्होंने कहा कि अपराधी हमेशा कोई न कोई सुराग छोड़ते हैं और न्याय वही है, जिसमें ऐसे लोगों को इन सबूतों के आधार पर सजा दी जाए। उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि क्या हिन्दी को न्यायालय में जगह मिल सकती है? उन्होंने संगोष्ठी की सराहना करते हुए इसके लाभदायक और प्रभावशाली परिणाम आने का विश्वास भी जताया।

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