पूर्णिया। साल के तीसरे राष्ट्रव्यापी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन शनिवार काे किया गया। इसी कड़ी में पुर्णिया न्यायमंडल में भी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। व्यवहार न्यायालय प्रांगण में जिला एवं सत्र न्यायाधीश पुरुषोत्तम मिश्रा के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव पल्लवी आनंद ने वादों के निष्पादन हेतु कुल 16 बेंचों का गठन किया था। इसके अलावे पूर्णिया जिले के तीनों अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय में भी एक-एक बेंच का गठन किया गया था।
पूर्णिया न्याय मंडल में कुल 2174 मामले राष्ट्रीय लोक अदालत के तहत निष्पादित किए गए। बैंक ऋण के 1507 मामले में यथासंभव सूद की राशि में माफी देते हुए कुल 8 करोड़ 34 लाख 83 हजार रुपए का समझौता हुआ। तत्काल वसूली 2 करोड़ 90 लाख 74 हजार 692 रुपए की हुई। बिजली चोरी के 87 मामले में 6 लाख 31 हजार 677 रुपए की जुर्माना राशि लगाकर मामले को सुलझाए गए। परिवार न्यायालय के तलाक को छोड़कर 13 मामले और आपराधिक वाद के 475 मामले दोनों पक्षों के समझौता के आधार पर समाप्त किए गए। बीएसएनएल के 50 मामले में 63 हजार 45 रुपए वसूली कर मामलो के अलावा माप तौल विभाग के आठ मामले में 40 हजार रुपए की वसूली हुई।
मोटर दुर्घटना के एक मामले में एक पीड़िता को 1 लाख रुपए बीमा कंपनी से दिलाने का समझौता हुआ जबकि मनी रिकवरी के 9 मामले एवं चेक बाउंस के 24 मामले में 8 लाख 22 हजार 88 रुपए में समझौता कर केस को समाप्त किया गया।
वादों के निष्पादन के लिए न्यायाधीश के साथ पैनल अधिवक्ता भी लगातार बने हुए थे। परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश दिनेश शर्मा, एक्साइज कोर्ट के एडीजे जितेश कुमार, अपर जिला जज निशांत कुमार प्रियदर्शी, दीपांजन मिश्रा, सुश्री स्वाति कुमारी सिंह, धर्मेंद्र सिंह, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी श्रीमति राधा कुमारी, अवर न्यायाधीश प्रथम प्रमोद रंजन, अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी श्रीमति श्वेता शारदा, सदर मुंसिफ प्रभात कुमार रंजन मौजूद थे। इस बड़े लोक अदालत में प्रथम तथा द्वितीयश्रेणी के मजिस्ट्रेट मौजूद थे।
इस लोक अदालत में जगह-जगह पीने के पानी की व्यवस्था थी। सिविल कोर्ट के प्रांगण में पक्षकारों की अच्छी खासी भीड़ थी। पक्षकारों की सुविधा के लिए कुल पांच हेल्प डेस्क बनाए गए थे। प्रत्येक हेल्प डेस्क में पाराविधिक स्वयंसेवक तैनात किए गए थे।।, जो पक्षकारों को अगर किसी प्रकार की असुविधा हो, अगर उन्हें यह जानना हो कि हमारे वाद का निष्पादन किस बेंच पर होगा तथा कहां कौन सा मुकदमा चल रहा है, इन सारे बातों की जानकारी हेतु पाराविधिक स्वयंसेवक तत्काल सुविधा प्रदान करते थे। महिला एवं पुरुष पुलिस बल की पर्याप्त संख्या में तैनाती भी की गई थी।