रांची। झारखंड में महिलाओं एवं बच्चों के साथ बढ़ते यौन उत्पीड़न के मामले को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। हाइकोर्ट की खंडपीठ ने मामले में नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव, रांची डीसी, डीजीपी को कोर्ट में 18 सितंबर को सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने उनसे पूछा है कि राज्य सरकार द्वारा काफी प्रयास के बाद भी महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न की घटना क्यों नहीं रुक रही है।
मामले में रांची नगर निगम एवं नगर विकास विभाग को प्रतिवादी बनाया है। खंडपीठ ने कहा कि स्कूल बसों में बच्चे आना-जाना करते हैं। उनके साथ यौन उत्पीड़न की घटना ना हो, इसके लिए स्कूल प्रबंधन को बस में एक-दो स्कूल स्टाफ का रहना जरूरी है, ताकि ऐसी घटनाओं की रोकथाम हो सके। कोर्ट ने कहा कि महिलाएं घर से काम करने के लिए निकलती हैं। जब तक उन्हें सुरक्षा नहीं मिलेगी, तब तक वह फ्री माइंड से कैसे काम कर सकेंगी। कोर्ट ने जमशेदपुर में स्कूल वन के ड्राइवर के द्वारा 3.5 साल की बच्ची के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट एवं रिम्स में बीते दिनों स्टाफ के साथ छेड़खानी की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे विषय पर पुलिस प्रशासन को गंभीर रहने की जरूरत है।
रांची नगर निगम से कोर्ट ने कहा कि रांची शहर में स्ट्रीट लाइट और सीसीटीवी कैमरा सभी जगह पर ठीक रखने की जरूरत है, ताकि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध पर रोकथाम हो सके। प्रार्थी भारती कौशल की ओर से कोर्ट को इस वर्ष जनवरी से जून तक महिलाओं के खिलाफ रेप की घटना का ब्योरा दिया गया इसमें बताया गया कि महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म की घटना में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। कोर्ट ने यह भी मौखिक कहा कि यह गंभीर मामला है। पुलिस के पीसीआर वैन द्वारा लगातार मॉनिटरिंग होती रहनी चाहिए। यह सिर्फ रांची में महिलाओं एवं अपराध की घटना की बढ़ोतरी की बात नहीं, बल्कि पूरे झारखंड में कमोबेश यही स्थिति है। खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर निर्धारित की है।