विशेष
विधानसभा चुनाव से पहले इसकी काट खोज रही भाजपा
प्रधानमंत्री मोदी के झारखंड दौरे से भाजपा नेताओं की बढ़ी उम्मीद
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
विधानसभा चुनाव के दरवाजे पर खड़े झारखंड में अब सब कुछ चुनावी लाभ-हानि की कसौटी पर कसा जाने लगा है। झारखंड के ढाई दशक के राजनीतिक इतिहास में यह पहला मौका है, जब यहां के सियासी माहौल में इतनी तल्खी और आक्रामकता है। यह राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का चरम है। चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, हर कोई अपनी चाल सधे हुए अंदाज में चल रहा है और हर चाल के पीछे वोट का गणित छिपा है। ऐसे में झारखंड की सत्ता को दोबारा हासिल करने की कोशिश में जुटी भाजपा के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हर दिन नयी चुनौती पेश कर रहे हैं। पिछले महीने हेमंत सोरेन ने राज्य की महिलाओं को हर महीने एक-एक हजार रुपये देने की योजना की शुरूआत की। उस समय उम्र सीमा 21 साल से 50 थी। अब इसमें सुधार हो रहा है। इस योजना का लाभ अब 18 वर्ष की उम्र से ही मिलने लगेगा। अब तक 52 लाख आवेदकों में से 47 लाख को यह रकम दी जा चुकी है। झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना को लेकर राज्य की बहनों-माताओं में उत्साह है। इसने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। शुरू में भाजपा ने इसे बहुत ही हल्के ढंग से लिया था और इसे चुनावी स्टंट करार दिया था, लेकिन जैसे-जैसे मां-बहनों के खाते में पैसे ट्रांसफर हो रहे हैं, इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। जब तक चुनाव होगा, तब तक तीन इंस्टालमेंट उनके खाते में चला जायेगा। यानी चुनाव तक प्रत्येक के खाते में कम से कम तीन हजार रुपये ट्रांसफर हो चुके होंगे। समझा जा सकता है कि भाजपा चिंतित क्यों है। केंद्र सरकार की फ्री राशन वाली योजना के सामने डायरेक्ट खाते में पैसे वाली योजना बाजी मारती हुई दिख रही है। जनता तो खुश है, फ्री राशन के साथ सम्मान राशि भी मिल रही है। उसके तो दोनों हाथों में लड्डू है। अब भाजपा के लिए सबसे बड़ी चिंता यही है कि अब केवल किसी जाति विशेष को साधने से काम नहीं चलनेवाला, बल्कि उसे हर जाति और वर्ग पर ध्यान देना होगा। इन चिंताओं के बीच झारखंड भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 15 सितंबर को होनेवाली जमशेदपुर यात्रा से उम्मीदें बांध रखी हैं कि वह हेमंत सोरेन की योजना के जवाब में कोई क्रांतिकारी योजना की घोषणा कर दें। क्या है मंईयां योजना की चुनौती और झारखंड के चुनावी माहौल में इसने कैसे भाजपा के सामने चुनौती पेश कर दी है, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
विधानसभा चुनाव के मुहाने पर खड़े झारखंड की स्थिति आज यह है कि यहां की हर गतिविधि, चाहे वह उत्पाद सिपाही बहाली के दौरान युवाओं की मौत हो या फिर मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत राज्य की महिलाओं के खाते में रकम का ट्रांसफर होना या फिर कोई अन्य मुद्दा, अब चुनावी लाभ-हानि और वोट के गणित के साथ जोड़ कर देखा जा रहा है। राजनीतिक दलों के बीच यह प्रतिद्वंद्विता झारखंड के लिए नयी बात है, क्योंकि इस राज्य के ढाई दशक के राजनीतिक इतिहास में चुनाव से पहले इस तरह का माहौल पहले कभी नहीं हुआ था। भाजपा विपक्ष में है और दोबारा सत्ता हासिल करने की कोशिश में है, जबकि झामुमो-कांग्रेस-राजद का गठबंधन सत्ता में है और इस कारण उसके पास असीमित संसाधन हैं। आक्रामक चुनावी प्रतिद्वंद्विता के इस दौर में चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, कोई भी दांव आजमाने से पीछे नहीं हटना चाहता। हर दांव के जवाब में एक नया दांव चलने की मजबूरी हो गयी है।
ऐसे में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा पिछले महीने शुरू की गयी झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना की इन दिनों बहुत चर्चा है। यह योजना वास्तव में भाजपा के लिए कड़ी चुनौती पेश कर रही है और इसका असर अभी से महसूस होने लगा है।
क्या है मंईयां सम्मान योजना
झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना झारखंड की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य 18 से 50 वर्ष तक की उम्र की महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करना है। यह योजना हेमंत सोरेन के कार्यकाल में लागू की गयी है और उनकी सरकार की सफलतम योजनाओं में से एक मानी जा रही है। इस योजना की शुरूआत 3 अगस्त को हुई थी और 18 अगस्त से लाभुकों के खाते में रकम ट्रांसफर होने लगी। अब तक कुल 52 लाख महिलाओं ने आवेदन किया है और 47 लाख महिलाओं को इस योजना का लाभ मिल चुका है। हाल ही में सरकार ने उम्र सीमा को घटा कर 18 वर्ष कर दिया है, जिससे लाभार्थियों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है। सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि इस योजना के तहत साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे, जिसे पूरा करने के लिए सरकार ने ग्रीन सेस लगाने का निर्णय लिया है। इस विधेयक को झारखंड विधानसभा से मंजूरी मिल चुकी है और यह वित्तीय स्रोत सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
क्यों कहा जा रहा है गेमचेंजर
मंईयां सम्मान योजना को झारखंड की राजनीति का गेमचेंजर कहा जा रहा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इसने वर्ग, जाति, संप्रदाय आदि का भेद खत्म कर दिया है। इस योजना में हर वह महिला शामिल हो सकती है, जो सरकार की किसी दूसरी योजना की लाभुक नहीं हो। यानी कि इसमें आदिवासी-गैर आदिवासी, अगड़े-पिछड़े और बहुसंख्य-अल्पसंख्यक का फर्क खत्म कर दिया गया है। इसलिए अब माना जा रहा है कि इस योजना का राजनीतिक असर भी बड़ा होगा। महिलाएं इस योजना से संतुष्ट हैं और इससे उन्हें आर्थिक सहायता मिल रही है। यह भी देखा गया है कि इस योजना के चलते महिलाओं में उत्साह बढ़ा है। यदि योजना की सफलता और लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया बनी रहती है, तो यह चुनाव परिणामों पर प्रभाव डाल सकती है। विपक्ष और खासकर की यह चुनौती होगी कि वह योजना के प्रभाव को कैसे टालता है और अपनी योजनाओं और वादों को कैसे प्रस्तुत करता है।
क्या हो सकता है राजनीतिक असर
मंईयां योजना के तहत हर वह महिला आवेदन के योग्य है, जो 18 साल से 50 साल की उम्र की हो। यानी यदि एक घर में तीन महिलाएं हैं, तो उस घर में हर महीने तीन हजार रुपये नियमित रूप से पहुंचने लगे हैं और ये महिलाएं अब खर्च के लिए पुरुषों पर निर्भर नहीं रहेंगी। यह रकम मतदान केंद्रों में लगायी जानेवाली इवीएम पर सत्ता पक्ष को वोट देने में कितनी सहायक होगी, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। झारखंड मुक्ति मोर्चा और अन्य सहयोगी दल इस योजना को अपने पक्ष में पेश करेंगे और इसे भाजपा के खिलाफ एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बना सकते हैं। इतना ही नहीं, वर्ग भेद को खत्म करने की बात भी जोर-शोर से प्रचारित की जायेगी।
भाजपा के लिए है बड़ी चुनौती, लेकिन रास्ता भी उसी से
यह योजना भाजपा के लिए एक चुनौती बन गयी है, खासकर चुनावी मौसम में, जिस तरह से यह योजना लोकप्रिय हो रही है, यह निश्चित तौर पर वोट बैंक पर प्रभाव डाल सकती है। भाजपा के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि यह योजना सीधे तौर पर महिलाओं को वित्तीय लाभ पहुंचा रही है। यदि योजना की सफलता के चलते महिलाओं के बीच सकारात्मक भावना बनती है, तो यह वोट बैंक को प्रभावित कर सकती है। भाजपा के लिए चुनौती होगी कि वह इस योजना का मुकाबला कैसे करती है और अपने चुनावी वादों को कैसे प्रस्तुत करती है।
इसके अलावा भाजपा की दूसरी बड़ी चुनौती इसकी रणनीति को लेकर है। पार्टी ने अब तक विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए आदिवासी वोटरों पर ही ज्यादा ध्यान केंद्रित किया था, लेकिन मंईयां योजना ने उसे समक्ष चुनौती पेश कर दी है। पार्टी को अब आदिवासी, कुरमी-महतो के साथ दूसरे वर्ग के वोटरों को साधने के लिए नये सिरे से कोशिश करनी होगी। युवाओं को भी साधने के लिए अलग रणनीति पर काम करना होगा। पैसा का काट तो पैसा ही होता है, भाजपा उस पर फोकस भी कर रही होगी। लेकिन उसकी तरफ लोग तो तभी आकर्षित होंगे, जब उनके खाते में कुछ मिलेगा।
पीएम मोदी की यात्रा से उम्मीद
इस परिस्थिति में झारखंड भाजपा की उम्मीदें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 15 सितंबर को होनेवाली जमशेदपुर यात्रा पर टिक गयी हैं। कहा जा रहा है कि पीएम मोदी अपनी यात्रा के दौरान झारखंड को करीब 10 हजार करोड़ की योजनाओं की सौगात देंगे। झारखंड भाजपा को उम्मीद है कि पीएम मोदी ऐसी किसी योजना की घोषणा जरूर करेंगे, जिनका तत्काल लाभ मिलने लगे, क्योंकि मंईयां सम्मान योजना में तो महिलाओं के खाते में रकम जाने लगी है। वे तो यही चाहेंगे कि तत्काल उनके खाते में कुछ आये।