विशेष
भारत के पास पहले से मौजूद है इस अनावश्यक बोझ से उबरने का उपाय
दुनिया के सबसे बड़े बाजार में अपनी स्थिति कमजोर कर गये डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले का भारत को सटीक जवाब देने की है जरूरत
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत पर ने 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो एक अगस्त से लागू होंगे। इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा, यह जानना जरूरी है। ट्रंप की एकतरफा घोषणा भारत पर दबाव बनाने की उनकी रणनीति का हिस्सा है, लेकिन इसका नुकसान भी अमेरिका को ही उठाना पड़ेगा, क्योंकि भारत इस समय दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है और इससे दुश्मनी का खामियाजा हर किसी को उठाना पड़ेगा। जहां तक भारत पर ट्रंप द्वारा टैरिफ लगाने से पड़नेवाले बोझ का सवाल है, तो भारत को शुरूआती झटका तो जरूर लगेगा और जीडीपी की विकास दर इस वित्त वर्ष में करीब 30 बेसिस प्वाइंट तक धीमी हो सकती है। यह कदम भारत की आर्थिक वृद्धि और चालू खाता घाटे पर सीधा असर डालेगा, लेकिन चूंकि भारत की अर्थव्यवस्था ज्यादातर घरेलू मांग पर आधारित है, इसलिए यह झटका सीमित रहेगा। भारत की अर्थव्यवस्था अन्य एशियाई देशों की तुलना में ज्यादा घरेलू मांग पर चलती है, इसलिए अमेरिकी टैरिफ का लंबी अवधि में कोई असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ेगा। भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जानेवाले कृषि और डेयरी सेक्टर पर असर तो पड़ेगा, क्योंकि इन क्षेत्रों में भारत ने परंपरागत रूप से बाजार पहुंच देने में सावधानी बरती है। लेकिन सबसे बड़ी बात है कि यह टैरिफ भारत की स्वदेशी अवधारणा को मजबूत करने में बहुत सहायक होगा। इसलिए ट्रंप के इस एकतरफा फैसले का माकूल जवाब दिये जाने की जरूरत है। क्या है अमेरिकी टैरिफ का मतलब और भारत पर क्या होगा इसका संभावित असर, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आखिरकार भारत पर टैरिफ और पेनाल्टी अर्थात जुर्माने का हमला कर ही दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप यह भूल गये कि भारतीयों ने उनके देश के विकास में कितनी अहम और महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। ट्रंप ने भारत पर सिर्फ 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की ही घोषणा नहीं की है, बल्कि भारत की दीर्घ अवधि व्यापार प्रणाली और वैश्विक नीति पर सवाल उठाने की कोशिश की है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत द्वारा रूस से हथियार और तेल खरीदने का जिक्र करते हुए भारत पर पेनाल्टी के रूप में अतिरिक्त जुर्माना लगाने की भी घोषणा की है। भारत का ब्रिक्स संगठन का महत्वपूर्ण देश होना भी अमेरिका को खटक रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा
भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश और भारतीयों के महत्व को किनारे करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारतीय सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का एलान कर दिया। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर बताया कि यह टैरिफ एक अगस्त से लागू होगा। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा घोषित 25 प्रतिशत टैरिफ पहले घोषित 10 प्रतिशत टैरिफ के अतिरिक्त होगा या उसी में समाहित होगा, क्योंकि ट्रंप ने इससे पहले दो अप्रैल को भारत सहित कई देशों पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी थी, जिसे पहले 90 दिनों तक और फिर बाद में एक अगस्त तक के लिए टाल दिया गया था। ट्रंप ने टैरिफ का यह एलान एकतरफा तरीके से करके अपने इरादों को जाहिर कर दिया है, जबकि टैरिफ और व्यापारिक रिश्तों पर भारत और अमेरिका के अधिकारी पिछले कई महीनों से चर्चा कर रहे हैं और छठे दौर की बातचीत के लिए अमेरिकी दल के 25 अगस्त को भारत आने का कार्यक्रम पहले ही तय हो चुका है।
भारत सरकार की संतुलित प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने ट्रंप के इस टैरिफ बोझ पर फिलहाल संतुलित प्रतिक्रिया ही दी है। भारत सरकार ने कहा है कि सरकार ने द्विपक्षीय व्यापार के विषय पर अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान का संज्ञान लिया है। सरकार इसके संभावित प्रभावों का अध्ययन कर रही है। भारत और अमेरिका पिछले कुछ महीनों से एक निष्पक्ष, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। हम इस उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत के बयान में आगे कहा गया है कि सरकार भारत के किसानों, उद्यमियों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमइ) के कल्याण और हितों को सर्वोच्च महत्व देती है। राष्ट्रहित में सरकार सभी आवश्यक कदम उठायेगी, जैसा कि हाल ही में ब्रिटेन के साथ हुए समझौते सहित अन्य व्यापार समझौतों में किया गया है।
उजागर हो गया ट्रंप का पाकिस्तान प्रेम
भारत की इस संतुलित प्रतिक्रिया को कूटनीतिक और वैश्विक रिश्तों के लिहाज से भले ही महत्वपूर्ण माना जा रहा हो, लेकिन ट्रंप के रुख को देखते हुए भारत पर उसी भाषा में जवाब देने का दबाव भी बढ़ता ही जा रहा है, क्योंकि भारत पर टैरिफ और जुर्माना लगाने की घोषणा के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ मिल कर तेल के एक बड़े भंडार को विकसित करने की भी घोषणा कर दी है। इतना ही नहीं, ट्रंप ने इशारों-इशारों में यह कहने की भी कोशिश की है कि आने वाले समय में भारत पाकिस्तान से तेल खरीद सकता है।
चौंकानेवाले हैं ट्रंप के बयान
वर्ष 2030 तक भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक ले जाने के लिए हो रही बातचीत के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति के ये दोनों एलान काफी चौंकाने वाले हैं और उनके इरादों को स्पष्ट भी करते हैं। ट्रंप को यह बखूबी पता है कि व्यापारिक रिश्ते अपनी जगह हैं, लेकिन भारत दुनिया के किसी भी अन्य देश को अपनी विदेश नीति तय करने का अधिकार नहीं दे सकता है। भारत हर हाल में अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर चलने की कोशिश करेगा और अमेरिका किसी भी हालत में भारत को यह आदेश देने में कभी भी सक्षम नहीं हो पायेगा कि हम उसके आधार पर अपनी विदेश नीति तय करें। भारत में सरकारें बदलने के बावजूद विदेश नीति में एक प्रकार की निरंतरता ही रही है। भारत रूस जैसे भरोसेमंद देश के साथ अपनी दोस्ती अमेरिका जैसे देश के लिए तो कतई नहीं छोड़ सकता है। रूस की बजाय पाकिस्तान से तेल खरीदने की ट्रंप की नसीहत भी भारत के लिए सही नहीं है, क्योंकि आतंकवाद फैलाने वाले देश पाकिस्तान पर तो भरोसा किया ही नहीं जा सकता।
भारत के लिए जवाब देना जरूरी
ऐसे में निश्चित तौर पर भारत सरकार पर अमेरिका को उसी की भाषा में जवाब देने का दबाव बढ़ता जा रहा है। ध्यान देने वाली बात है कि चीन सहित दुनिया के कई देशों ने डोनाल्ड ट्रंप को उन्हीं की भाषा में जब जवाब दिया, तो उन्हें पीछे हटना पड़ा। अमेरिका में रह रहे जिन भारतवंशियों के वोट पर ट्रंप राष्ट्रपति बने हैं, उन दबाव समूहों का भी इस्तेमाल करने का सही वक्त आ गया है। आज भारत भी अमेरिका की घरेलू राजनीति को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। लेकिन इस जवाबी कार्रवाई के लिए भारत में राजनीतिक एकता की भी जरूरत है। इसलिए समय की मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस समेत देश के सभी महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों से बात कर एक साझी जवाबी रणनीति बनायें, जिस पर देश के अंदर राजनीतिक बयानबाजी कतई नहीं हो, क्योंकि अगर 143 करोड़ से भी ज्यादा आबादी वाला देश एक सुर में डोनाल्ड ट्रंप को जवाब देगा, तो अमेरिका से भी उनके खिलाफ आवाज उठनी शुरू हो जायेगी। भारत के हितों के साथ-साथ भारत के मान-सम्मान और प्रतिष्ठा को बचाने के लिए यह बहुत जरूरी है।