‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव कैबिनेट में मंजूर
-विधानसभा-लोकसभा चुनाव साथ होंगे
-अगले 100 दिन में निकाय चुनाव
-नवंबर-दिसंबर में बिल आयेगा
आजाद सिपाही संवाददाता
नयी दिल्ली। देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ (एक राष्ट्र, एक चुनाव) करवाने के प्रस्ताव को बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। बिल शीतकालीन सत्र यानी नवंबर-दिसंबर में संसद में पेश किया जायेगा। कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पहले फेज में विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ होंगे। इसके बाद 100 दिन के भीतर दूसरे फेज में निकाय चुनाव साथ कराये जायें। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त को कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा पैदा कर रहे हैं। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा था कि सरकार इसी कार्यकाल में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ लागू करेगी।

कमेटी रिपोर्ट सौंप चुकी है:
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर विचार के लिए बनायी गयी पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। रिपोर्ट 18 हजार 626 पन्नों की है। पैनल 2 सितंबर 2023 को बनाया गया था। कमेटी ने सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक करने का सुझाव दिया है।

रामनाथ कोविंद पैनल के पांच सुझाव
-सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाये।
-हंग असेंबली (किसी को बहुमत नहीं), नो कॉन्फिडेंस मोशन होने पर बाकी पांच साल के कार्यकाल के लिए नये सिरे से चुनाव कराये जा सकते हैं।
-पहले फेज में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराये जा सकते हैं, उसके बाद दूसरे फेज में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकायों के चुनाव कराये जा सकते हैं।
-चुनाव आयोग लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आइ कार्ड तैयार करेगा।
-कोविंद पैनल ने एक साथ चुनाव कराने के लिए उपकरणों, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश की है।

सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने
-कांग्रेस पार्टी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव का विरोध करती है। हमारा मानना है कि लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए जब भी जरूरत हो चुनाव होने चाहिए। चुनाव नजदीक आते हैं, तो असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा ऐसी बातें करती है। -मल्लिकार्जुन खड़गे,

कांग्रेस अध्यक्ष
-संघ परिवार भारत की चुनावी राजनीति को राष्ट्रपति प्रणाली की ओर ले जाने का गुप्त प्रयास कर रहा है। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का नारा भारतीय संसदीय लोकतंत्र की विविधतापूर्ण प्रकृति को खत्म करने के लिए गढ़ा गया है। -पी विजयन, मुख्यमंत्री केरल
-भारत ऐतिहासिक चुनाव सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम उठा रहा है। यह स्वच्छ और वित्तीय रूप से कुशल चुनावों के माध्यम से हमारे लोकतंत्र को मजबूत करने और संसाधनों के अधिक उत्पादक आवंटन के माध्यम से आर्थिक विकास में तेजी लाने की मोदी जी की

दृढ़ इच्छाशक्ति को दर्शाता है। -अमित शाह, गृह मंत्री
-1961 से 1957 तक इलेक्शन एक साथ कराये जाते थे। 1999 में लॉ कमीशन ने लोकसभा और विधानसभा इलेक्शन अलग-अलग करने की सिफारिश की थी। हमारी कंस्टल्टेशन प्रॉसेस के दौरान देशभर से 80 फीसदी लोगों ने वन नेशन वन इलेक्शन को पॉजिटिव रेस्पांस दिया है। खासकर युवाओं ने सपोर्ट किया है। -अश्विनी वैष्णव, केंद्रीय मंत्री

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