रांची। जन शिकायत समाधान कार्यक्रम की शुरूआत मगंलवार 10 सितंबर से होगी। इसे लेकर राज्य के सभी जिलों की पुलिस अलग- अलग जगहों पर कार्यक्रम का आयोजन करेगी। इस क्रम में 18 मुख्य मुद्दों पर लोगों की समस्याएं सुन कर झारखंड पुलिस उसका समाधान करेगी। इस कार्यक्रम की मॉनिटरिंग के लिए राज्य के 21 जिलों में 21 आइजी और डीआइजी रैंक के अधिकारियों को प्रतिनियुक्त किया गया है।
मुख्य मुद्दे जिन पर पुलिस आम लोगों की राय जानेगी और करेगी समाधान
– क्षेत्र से गुमशुदा बच्चों के संबंध में जानकारी प्राप्त करना और मामला दर्ज करना।
– क्षेत्र में संचालित विभिन्न संस्थाओं में महिलाओं और छात्राओं की सुरक्षा के संबंध में जानकारी प्राप्त करना।
– आम जनता को विक्टिम कंपनसेशन स्कीम के बारे में बताना।
– नये आपराधिक कानून और जीरो एफआइआर के बारे में जानकारी देना।
– आम जनता को साइबर ठगी होने पर 1930 पर कॉल कर शिकायत दर्ज कराने के बारे में बताना।
– कमजोर वर्ग के नागरिकों के लिए घटनाओं की जांच पूर्ण करने और ऐसी संभावित घटनाओं की जानकारी प्राप्त करना।
– क्षेत्र में होनेवाले अपराध, अपराधियों की सूचना, साइबर अपराध की घटना और अवैध रूप से नागरिकों से डिपोजिट प्राप्त करने वाली संस्था चीट-फंड की जानकारी प्राप्त करना।
– पुलिस थाना और संबंधित कर्मी होमगार्ड व चौकीदार का नागरिकों के साथ व्यवहार और शिकायतों पर उनके रिस्पॉन्स के संबंध में जानकारी प्राप्त करना।
– ऐसे क्षेत्र जहां मानव तस्करी की घटना घटती है, वहां पर विशेष रूप से मानव तस्करी के पीड़ित के बारे में जानकारी प्राप्त करना और मानव तस्करी में संलिप्त अपराधियों के बारे में जानकारी प्राप्त करना।
– ऐसे क्षेत्र जहां पर डायन प्रथा को लेकर अपराध होते हैं, वहां पर विशेष रूप से डायन से संबंधित अपराध के पीड़ित को आवश्यक सहायता देना और दोषी व्यक्तियों पर कार्रवाई करना।
– ऐसे क्षेत्र जहां पर अफीम की खेती होती है, वहां की जानकारी प्राप्त करना।
– ऐसे क्षेत्र जहां पर ब्राउन शुगर की खपत हो रही है, उसकी जानकारी प्राप्त करना और इसमें संलिप्त व्यक्ति की जानकारी जुटाना।
– ऐसे क्षेत्र (विशेष कर शहरी क्षेत्र) जहां रात में अड्डाबाजी आदि होती है, उसे चिह्नित करने का प्रयास करेंगे और जानकारी प्राप्त करेंगे की अड्डेबाजी हो रही है तो किसके द्वारा हो रही है और उसको कैसे रोका जाये।
– डीएसपी या उसके ऊपर स्तर के पदाधिकारी विशेष रूप से उन शिकायतों पर भी ध्यान देंगे, जहां पर अनुसंधानकर्ता ने किसी निर्दोष व्यक्ति को फंसाने व किसी दोषी व्यक्ति को बचाने के लिए गलत अनुसंधान किया हो। ऐसे मामलों में सुनिश्चित करेंगे कि पुन: जांच हो और बाद में न्याय हो सके।