रांची। झारखंड हाइकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा है कि सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्कूल बसों और वैनों में एक महिला शिक्षक तब तक उपस्थित रहे, जब तक कि अंतिम बच्चा सुरक्षित अपने घर नहीं पहुंच जाता। दरअसल झारखंड के अलग-अलग जिलों में महिलाओं और स्कूली बच्चों समेत नाबालिग लड़कियों के साथ बढ़ते अपराधों पर रोक के लिए हाइकोर्ट की महिला अधिवक्ता भारती कौशल ने एक जनहित याचिका दायर की था, जिस पर हाइकोर्ट ने पिछले दिनों सुनवाई की थी।

अदालत ने महिलाओ एवं छोटे बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी
सुनवाई के दौरान अदालत ने महिलाओं एवं छोटे बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी। प्रार्थी के द्वारा अदालत को बताया गया कि सभी प्राइवेट स्कूलों में ड्राइवर और कंडक्टर पुरुष ही होते हैं। बसों में हर उम्र के स्कूली बच्चे और बच्चियां रहती हैं, लेकिन कोई महिला स्टाफ नहीं रहती। इसलिए यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी स्कूली बसों में एक महिला शिक्षक या वार्डन रहे। प्रार्थी के इस आग्रह पर अदालत ने इस बात पर सहमति जतायी है। हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ अब 18 सितंबर को इस जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी। उस दिन अदालत ने राज्य के गृह सचिव, नगर विकास विभाग के सचिव, महिला बाल विकास सचिव, रांची के डीसी, नगर निगम के आयुक्त और रांची एसएसपी को उपस्थित होने का निर्देश दिया है।

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