रांची। होटवार जेल में बंद रांची के पूर्व डिप्टी कमिश्नर छवि रंजन को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। सेना के कब्जे वाली भूखंड की खरीद-बिक्री मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें बेल देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद छवि ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है।
क्षेत्र स्थित चेशायर होम रोड स्थित जमीन मामले में झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिली हुई है. सेना की जमीन मामले में यदि उन्हें जमानत मिल जाती, तो वो जेल से बाहर आ जाते, छवि रंजन को पांच अप्रैल को ईडी ने गिरफ्तार किया था।
दरअसल जब छवि रंजन रांची के डीसी थे तब उनके कार्यकाल में बड़े पैमाने पर फर्जी कागजातों के आधार पर जमीन की खरीद बिक्री की गयी, उनमें सबसे प्रमुख बरियातू स्थित सेना की जमीन थी। बरियातू में सेना की 4.55 एकड़ जमीन को फर्जी कागजात के जरिए कोलकाता के प्रदीप बागची ने जगत बंधु टी एस्टेट को बेच दी थी. इस जमीन की सरकारी दर 20 करोड़ 75 लाख 84200 रुपये थी, लेकिन बिक्री महज सात करोड़ में दिखायी गई, उसमें भी 25 लाख रुपये प्रदीप बागची के खाते में आए थे, बाकी पैसों के ब्रेक के जरिए भुगतान की जानकारी डीड 6888/2021 में दी गई थी. लेकिन ईडी ने जब चेक के जरिए भुगतान की जांच की तो पता चला कि खातों में पैसे गए ही नहीं हैं।
चेक के भुगतान की गलत जानकारी डीड में दी गई थी, ताकि खरीद बिक्री सही प्रतीत हो. इस दौरान छवि रंजन के परिजनों के खातों में बड़े ट्रांजेक्शन और लाभान्वित होने के सबूत इडी को मिले हैं, जमीन की रजिस्ट्री करने वाले सब रजिस्ट्रार घासीराम पिंगुआ ने भी अपने बयान में बताया था कि डीसी के आदेश पर उन्होंने जमीन की रजिस्ट्री की थी. तत्कालीन कमिश्नर नितिन मदन कुलकर्णी ने भी डीसी की गड़बड़ी पकड़ी थी।
वहीं रांची के बाजरा में भी 7.16 एकड़ जमीन की घेराबंदी से लेकर म्यूटेशन तक में डीसी रहते छवि रंजन की भूमिका काफी संदेहास्पद रही. जमीन के 83 साल का दखल खारिज एक ही दिन में डीसी रहते छवि रंजन ने करायी, इस जमीन की रजिस्ट्री भी सरकारी दर 29.88 करोड म में महज 15.10 करोड में की गयी थी।