रांची। सुप्रीम कोर्ट में झारखंड टेट (जेटेट) पास अभ्यर्थी की ओर से सहायक आचार्य नियुक्ति परीक्षा में सीटेट पास और झारखंड के पड़ोसी राज्य से टेट परीक्षा पास झारखंड निवासी अभ्यर्थी को शामिल करने के मामले में दायर एसएलपी पर गुरुवार को सभी पक्षों की सुनवाई पूरी हो गयी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया। मामले में लगातार तीन दिनों तक बहस चली।

प्रार्थी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण, वरीय अधिवक्ता वी मोहना एवं झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पक्ष रखा। उनकी ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि सहायक आचार्य नियुक्ति नियमावली 2022 एवं सहायक आचार्य परीक्षा के विज्ञापन को हाइकोर्ट में चुनौती नहीं दी गयी थी। उक्त परीक्षा के लिए आवेदन फार्म की तिथि बंद हो चुकी थी, उसके बाद झारखंड हाइकोर्ट के आये आदेश का अनुपालन करते हुए नियमावली एवं उक्त परीक्षा के विज्ञापन में संशोधन कर दिया गया। जबकि नियमानुसार एक बार विज्ञापन जारी हो जाने के बाद विज्ञापन में बदलाव का प्रावधान नहीं है। साथ ही अभ्यर्थियों की न्यूनतम अहर्ता के साथ कोई छेड़छाड़ भी नहीं की जा सकती है।

वहीं राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि सहायक आचार्य की परीक्षा नियमानुसार ली गयी है, अब रिजल्ट प्रकाशित होना बाकी है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जेके महेश्वरी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की। यहां बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल माह में आदेश दिया था कि झारखंड सरकार और जेएससीसी सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बिना सहायक आचार्य नियुक्ति का रिजल्ट प्रकाशित नहीं कर सकती है। क्योंकि यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए लंबित है, इसलिए मामले के लंबित रहने तक रिजल्ट प्रकाशित नहीं किया जाये।

क्या है मामला
झारखंड सीटेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी संघ की ओर से दायर जनहित याचिका पर झारखंड हाइकोर्ट ने दिसंबर 2023 में अपना फैसला सुनाया था। हाइकोर्ट ने 26001 पदों पर सहायक आचार्य की नियुक्ति परीक्षा में सीटेट पास अभ्यर्थी या झारखंड के पड़ोसी राज्य से टेट परीक्षा पास करनेवाले झारखंड के निवासी अभ्यर्थियों को इस परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी थी। उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में झारखंड टेट पास अभ्यर्थियों परिमल कुमार एवं अन्य ने हाइकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर चुनौती दी थी।

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