रांची। पटना के निलंबित गिरफ्तार प्रिंसिपल कमिश्नर संतोष कुमार सात बिचौलियों की मदद से काली कमाई किया करते थे। इन बिचौलियों में दो आयकर अधिकारी (आइटीओ) भी शामिल हैं। सीबीआइ द्वारा गिरफ्तार अशोक चौरसिया उनका खास आदमी था। वह संतोष कुमार की काली कमाई से चल और अचल संपत्ति खरीदता था। साथ ही उनका खजांची भी था। सीबीआइ की प्रारंभिक जांच में ये तथ्य सामने आये हैं।
टैक्स में राहत देने के बदले संतोष कुमार कराते थे वसूली
जांच में पाया गया कि व्यापारियों को टैक्स में राहत देने और संतोष कुमार को बदले में अनुचित आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए सात बिचौलिये कार्यरत हैं। इन बिचौलियों में प्रभाकर प्रसाद, विकास कुमार, अशोक चौरसिया, अनिल कुमार सांवरिया, धीरज कुमार सिंह, अमर दारूका और नीरज अग्रवाल सहित अन्य अज्ञात शामिल हैं। प्रभाकर प्रसाद धनबाद में आयकर अधिकारी और विकास कुमार देवघर में आइटीओ के रूप में कार्यरत हैं। संतोष कुमार टैक्स में राहत देने के बदले हुई अपनी काली कमाई को अशोक चौरसिया के पास ही जमा रखते थे। चौरसिया इस रकम से संतोष कुमार और उनके पारिवारिक सदस्यों के लिए चल अचल संपत्ति खरीदता था। सीबीआइ द्वारा संतोष कुमार के खिलाफ जारी प्रारंभिक जांच के दौरान कई करदाताओं को राहत देने की सूचना है।
पाकुड़ के व्यापारी के ठिकानों पर भी की जा चुकी है छापेमारी
इसमें ओपी अग्रवाल, कृष्ण गोपाल अग्रवाल, नवीन कुमार, अरुण कुमार सिंह, हाकिम मोमिन और कौशल सिंह शामिल हैं। कौशल सिंह, मेसर्स कौशल कंचन कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के निदेशक बताये जाते हैं। यह कंपनी जमशेदपुर की है। सीबीआइ द्वारा जारी जांच के दौरान पाकुड़ के व्यापारी हाकिम मोमिन के ठिकानों पर छापेमारी की जा चुकी है। सीबीआइ ने प्रारंभिक जांच में मिली सूचना के साक्ष्यों के आधार पर 26 अगस्त को बिहार, झारखंड और नोएडा के कुल 21 ठिकानों पर छापा मारा था। इन ठिकानों में संतोष कुमार और धनबाद के व्यापारी गुरुपाल सिंह और बिचौलिया अशोक चौरसिया सहित कुछ अन्य लोगों के ठिकाने शामिल थे। गुरुपाल सिंह से उसकी कंपनी मेजर्स जीटीएस कोल सेल्स पर लगाये गये 54 लाख रुपये के टैक्स को कम करने के लिए संतोष कुमार ने 10 लाख रुपये रिश्वत की मांग की थी। इसी लेन-देन के चक्कर में सीबीआइ ने छापा मार कर संतोष कुमार सहित पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। फिलहाल पांचों अभियुक्तों से पूछताछ जारी है।