धनबाद। कहते हैं बेटी आगे बढ़ती है, तो पूरा परिवार आगे बढ़ता है। तोपचांची प्रखंड की विशुनपुर पंचायत के आदिवासी बहुल गांव लक्ष्मीपुर निवासी स्व। डिलू राम महतो की बेटी आशा कुमारी (24) इसे चरितार्थ कर रही है। आज आशा नेशनल फुटबॉल टीम का हिस्सा बनकर अपने परिवार और क्षेत्र का नाम राष्ट्रीय फलक तक ले गयी है। आशा ने पिता की मौत, अपनी मां की मेहनत और संघर्ष को समझते हुए फुटबॉल पर पूरा फोकस किया। उसकी मेहनत रंग लायी। आशा न सिर्फ इंडियन टीम में जगह बनाने में कामयाब हुई, बल्कि भूटान के थिंफू में आयोजित इंटरनेशनल फुटबाॅल टूर्नामेंट में पांच मैच भी खेले हैं। आशा ने वर्ष 2014 में फुटबॉल खेलना शुरू किया था। करियर की शुरुआत में ही आशा का चयन मिनी राष्ट्रीय फुटबॉल टीम में हो गया था। 2014 में ही मिनी नेशनल खेलने के बाद आशा का चयन स्कूल लेवल की नेशनल टीम में हो गया। वह वर्ष 2016 से 19 तक अंडर-17 ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन के लिए भी खेल चुकी है। आशा 2018 में अंडर-18 वर्ग के भूटान में हुए खेल में इंडिया की तरफ से खेली थी। 2018 के दिसंबर में थाइलैंड में हुए अंडर-19 में भी इंडिया की तरफ से खेल चुकी है। अभी हाल में आशा ने असम में हुए ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में भी हिस्सा लिया था।
ये उपलब्धियां हैं आशा के नाम :
आशा ने 2014 में पहली बार नेशनल खेला था। 2015 में स्कूली नेशनल खेला। आशा स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया, रांची में वर्ष 2014 से 2020 तक रह चुकी है। इस दौरान आशा का सारा खर्च स्पोर्ट्स अथॉरिटी उठाती थी। आशा ने भारत के लिए अंडर-18 व 19 वर्ग मैच खेले हैं। ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स, खेलो इंडिया भी खेल चुकी है। अभी वर्तमान में आशा सीनियर नेशनल टीम का हिस्सा है। आशा बताती है कि उनके पिता की मौत वर्ष 2002 में हो गयी थी। पिता की मौत के बाद पूरे परिवार को आशा की मां पुटकी देवी ने संभाला। मां सब्जी बेच कर परिवार का पालन-पोषण करती है।