सुनील भंडारी
धनबाद। धनबाद की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। नीरज सिंह हत्याकांड में निचली अदालत से पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह समेत सभी आरोपितों की बरी होने के बाद अब यह मामला सिर्फ अदालती नहीं, बल्कि पूरी तरह से राजनीतिक भी हो गया है। इस फैसले के साथ ही कांग्रेस नेत्री पूर्णिमा नीरज सिंह और भाजपा विधायक रागिनी सिंह के बीच वर्षों से चल रही सियासी और पारिवारिक जंग एक नये मोड़ पर पहुंच गयी है।
जिन्होंने गोली चलायी, वे कौन थे : पूर्णिमा
पूर्व विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने अदालत के फैसले को अन्यायपूर्ण बताते हुए जस्टिस फॉर नीरज अभियान की शुरूआत की है। जिस स्थान पर 2017 में उनके पति नीरज सिंह और उनके तीन सहयोगियों की सरेआम गोली मारकर हत्या की गयी थी, वहीं स्टील गेट पर उन्होंने मोमबत्ती जलाकर न्याय की मशाल उठायी।
पूर्णिमा ने भावुक होते हुए कहा, चार लोगों की नृशंस हत्या के बाद अदालत कहती है कि किसी ने नहीं मारा? फिर मारे किसने? अगर आज हम चुप हो गये तो कल किसी और की बारी होगी। हम हाइकोर्ट और जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट तक जायेंगे। हत्यारों को फांसी के फंदे तक पहुंचा कर ही दम लेंगे।
रागिनी सिंह का पलटवार: कानूनी लड़ाई अब भी बाकी है
वहीं अदालत के फैसले के बाद झरिया की भाजपा विधायक रागिनी सिंह ने संजीव सिंह की रिहाई पर जश्न मनाते हुए इसे न्याय की जीत बताया। रागिनी ने कहा कि आठ साल पांच महीने तक एक निर्दोष व्यक्ति को सलाखों के पीछे रखने वालों को हिसाब देना होगा। जिन लोगों ने राजनीतिक साजिश के तहत हमारे परिवार को बदनाम किया, अब हम उनसे कानून के दायरे में जवाब मांगेंगे।
रागिनी ने यह भी कहा कि उनका परिवार न्यायपालिका में पूरी आस्था रखता है और यदि किसी को अदालत के फैसले पर आपत्ति है तो वह उच्च अदालत जा सकता है।
2017 की वह भयावह शाम, जिसने धनबाद को झकझोर दिया था
21 मार्च 2017 की शाम झरिया के स्टील गेट पर गोलीबारी की वह घटना आज भी धनबाद के लोगों की स्मृति में ताजा है। कांग्रेस नेता और पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह, उनके अंगरक्षक, चालक और पीए को गोलियों से भून दिया गया था। आरोप सीधे तौर पर नीरज के चचेरे भाई और तत्कालीन भाजपा विधायक संजीव सिंह पर लगे। घटना के बाद संजीव सिंह ने आत्मसमर्पण किया और करीब आठ साल जेल में रहे।
राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की लंबी फेहरिस्त
इस हत्याकांड ने दो महिलाओं—पूर्णिमा और रागिनी के बीच ऐसी राजनीतिक लड़ाई की नींव रखी, जिसकी मिसाल पूरे झारखंड में कम ही देखने को मिलती है। 2019 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की पूर्णिमा सिंह ने भाजपा की रागिनी सिंह को हराया। 2024 के चुनाव में रागिनी सिंह ने जोरदार वापसी करते हुए पूर्णिमा को शिकस्त दी और झरिया सीट भाजपा के पाले में लौटी।
अब जब अदालत ने संजीव सिंह को बरी कर दिया है, यह जंग केवल चुनावी नहीं, बल्कि न्याय बनाम साजिश के विमर्श में बदल चुकी है।
कोयलांचल की राजनीति और ‘हत्या की विरासत’
धनबाद, विशेषकर झरिया क्षेत्र, लंबे समय से राजनीतिक हत्याओं का गवाह रहा है। लेकिन नीरज सिंह हत्याकांड कोयलांचल का अब तक का सबसे बड़ा और सनसनीखेज मामला माना गया। कोर्ट का ताजा फैसला इस अधूरे न्याय की बहस को फिर हवा दे रहा है।
क्या आगे बढ़ेगी सीबीआइ जांच की मांग?
पूर्णिमा सिंह लगातार सीबीआइ जांच की मांग करती रही हैं। उनका आरोप है कि तत्कालीन भाजपा सरकार ने राजनीतिक दबाव में उनकी मांग नहीं मानी। अब जबकि न्याय की तलाश फिर से तेज हो गयी है, इस बात की भी प्रबल संभावना है कि वह इस मामले को राष्ट्रीय पटल तक ले जायें।
न्याय और राजनीति की दो राहें, लेकिन मंजिÞल एक-जीत का दावा
एक तरफ पूर्णिमा नीरज सिंह हैं, जो न्याय के नाम पर आंदोलन और जनसमर्थन जुटा रही हैं। दूसरी तरफ रागिनी सिंह हैं, जो कानूनी जीत को अपनी राजनीतिक पूंजी में बदलने को तैयार दिख रही हैं।
धनबाद का अगला चुनावी संग्राम अब केवल विकास, रोजगार और बिजली-पानी के मुद्दों पर नहीं, बल्कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ? जैसे सवालों पर लड़ा जायेगा। झरिया की पूर्व विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह पर अधिवक्ता वकार यूनुस ने धनबाद कोर्ट में मुकदमा दर्ज कराया है। अधिवक्ता यूनुस का आरोप है कि दिनांक 1 सितंबर को संध्या 6:00 बजे से 7:30 बजे के बीच पूर्णिमा सिंह ने मीडिया को संबोधित करते न्यायपालिका एवं न्यायाधीश के संबंध में आपत्तिजनक और अनुचित भाषा का प्रयोग किया। उनका कहना है कि यदि पूर्णिमा सिंह न्यायालय के किसी निर्णय से असंतुष्ट थीं, तो उन्हें विधिसम्मत तरीके से उच्चतर न्यायालय में अपील करनी चाहिए थी, न कि सार्वजनिक मंच से न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले शब्दों का प्रयोग करना चाहिए था।
झरिया के चर्चित नीरज सिंह हत्याकांड के कुछ दिन पहले रंजय सिंह की हत्या के बाद नीरज हत्याकांड की योजना बनायी गयी थी।
कयास लगाये जा रहे हैं कि रंजय के भाई, संजय सिंह ने ही नीरज सिंह की हत्या की योजना बनायी थी। रंजय सिंह पूर्व विधायक संजीव सिंह के करीबी माने जाते थे, और यह घटना रघुकुल आवास के पास हुई थी। इस हत्या का आरोप सीधे तौर पर हर्ष सिंह पर लगा था। बताया जाता है कि रंजय सिंह और हर्ष सिंह के बीच दुश्मनी धनबाद के कोयला नगर कार्यालय से शुरू हुई थी, जहां दोनों ने एक-दूसरे से देख लेने की धमकी दी थी। इस तनाव के बाद ही झरिया निवासी रंजय सिंह की हत्या अपराधियों ने कर दी थी। सूत्रों के मुताबिक, रंजय सिंह अपनी स्कूटी पर सवार होकर बिग बाजार की ओर जा रहे थे, तभी शाम 5 बजे के आसपास उनकी निर्मम हत्या कर दी गयी थी।