नई दिल्‍ली। नीति आयोग के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप का वार्षिक एच-1 बी वीजा शुल्क को 1,00,000 अमेरिकी डॉलर (करीब 90 लाख रुपये) तक बढ़ाने का निर्णय अमेरिकी नवाचार पर असर डालेगा। यह भारत में नए लैब, पेटेंट और स्टार्टअप की लहर को बढ़ावा देगा, जिससे बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहर उभरेंगे।

अमिताभ कांत ने एक्स पोस्ट में कहा कि वैश्विक प्रतिभाओं के लिए दरवाजे बंद करके, अमेरिका प्रयोगशालाओं, पेटेंटों, नवाचार और स्टार्टअप्स की अगली लहर को बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और गुड़गांव की ओर धकेल रहा है। भारत के बेहतरीन डॉक्टरों, इंजीनियरों, वैज्ञानिकों, नवप्रवर्तकों के पास विकसित भारत की दिशा में देश के विकास और प्रगति में योगदान करने का अवसर है। अमेरिका का नुकसान भारत के लिए लाभ होगा।

इस बीच इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) मोहनदास पई ने कहा कि एच-1बी वीजा आवेदकों पर एक लाख अमेरिकी डॉलर का भारी वार्षिक शुल्क लगाने के अमेरिकी फैसले से कंपनियों के नए आवेदन कम होंगे। आने वाले महीनों में अमेरिका में आउटसोर्सिंग बढ़ सकती है।

वहीं, अमेरिका के संघीय आंकड़ों के अनुसार टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) 2025 तक 5,000 से अधिक स्वीकृत एच-1बी वीजा के साथ इस कार्यक्रम की दूसरी सबसे बड़ी लाभार्थी है। इस लिहाज से पहले स्थान पर अमेजन है। अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाओं (यूएससीआईएस) के अनुसार जून, 2025 तक अमेजन के 10,044 कर्मचारी एच-1बी वीजा का उपयोग कर रहे थे, जबकि दूसरे स्थान पर 5,505 स्वीकृत एच-1बी वीजा के साथ टीसीएस रही।

अमेरिका में वीजा पर काम कर रहे भारतीय पेशेवरों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले एक कदम के तहत राष्‍ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। इससे एच-1 बी वीजा के लिए आवेदन शुल्क बढ़कर सालाना 100,000 डॉलर हो जाएगा। यह आव्रजन पर नकेल कसने के प्रशासन के प्रयासों का नवीनतम कदम है। इस कदम का उद्देश्य अमेरिकी कर्मचारियों की सुरक्षा करना है। एच-1बी वीजा आवेदकों को स्पॉन्सर करने के लिए कंपनियां शुल्क का भुगतान करती हैं।

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