प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कानपुर नगर के केशवपुर में उस्मानपुर झुग्गी बस्ती के ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार और कानपुर विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया कि सभी झुग्गी वासियों से आवेदन लेकर सरकारी योजना के तहत उनका पुनर्वास करें। तब तक विवादित स्थल पर कोई विकास कार्य या तीसरे पक्ष का हित सृजित नहीं किया जाएगा।

यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने प्रीति व 75 अन्य झुग्गी वासियों की याचिका पर दिया है। याचियों के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याची पिछले 60 वर्षों से झुग्गी बस्ती में रह रहे हैं। कानपुर विकास प्राधिकरण के विशेष कार्याधिकारी ने गत तीन सितम्बर को बस्ती के ध्वस्तीकरण का नोटिस जारी किया है।

अधिवक्ता का कहना था कि राज्य सरकार ने वर्ष 2009 में सर्वजन हिताय गरीब मालिकाना हक़ योजना शुरू की थी। लेकिन इन झुग्गी वासियों को अब तक कोई आवास नहीं मिला है। प्राधिकरण के अधिवक्ता ने कहा कि याचियों को सरकारी योजना के लिए कई बार अवसर दिया जा चुका है।

कोर्ट ने कहा प्राधिकरण यह नहीं बता सका कि योजना के लिए कितने लोगों ने आवेदन किया था। कोर्ट ने सभी झुग्गी वासियों को एक माह के भीतर योजना के तहत नियमानुसार आवेदन करने और प्राधिकरण को दो माह में उसका निस्तारण करने का निर्देश दिया है। साथ ही निस्तारण तक किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी है।

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