कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कोलकाता स्थित विजय दुर्ग स्थित भारतीय सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय में तीन दिवसीय संयुक्त कमांडर सम्मेलन (सीसीसी) का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने सशस्त्र सेनाओं की बहादुरी और ऑपरेशन सिंदूर में निभाई गई उनकी भूमिका की प्रशंसा की।

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका निभाने वाले जवानों की जमकर हौसलाफजाई की और उनका जोश बढ़ाया। उन्होंने कहा कि सेनाओं का योगदान केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि वे राष्ट्र निर्माण की दिशा में भी अहम भूमिका निभा रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह केवल सैन्य संचालन का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा की व्यापक रणनीति का मंच है। सुधार, परिवर्तन और भविष्य की तैयारी—यही हमारी दिशा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सेना को नई तकनीक, डोमेन एकीकरण और साइबर तथा स्पेस सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भी तेजी से सशक्त होने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने इस मौके पर ‘भारतीय सशस्त्र सेनाएं विजन 2047’ दस्तावेज का अनावरण भी किया। यह दस्तावेज भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए सेनाओं को तैयार करने की दिशा में रोडमैप प्रस्तुत करता है।

सम्मेलन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह तथा तीनों सेनाओं के प्रमुख शामिल हुए।

सम्मेलन में शामिल रक्षा अधिकारियों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर सीमापार आतंक ढांचे को ध्वस्त करने के लिए एक सुनियोजित अभियान था। इसमें थल, वायु और नौसेना की संयुक्त कार्रवाई ने पेशेवराना कौशल और सटीक रणनीति का प्रदर्शन किया।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस सम्मेलन में सेनाओं के आधुनिकीकरण, संयुक्त अभियानों, एकीकरण और बहु-क्षेत्रीय युद्ध क्षमता को बढ़ाने जैसे रणनीतिक विषयों पर मंथन हो रहा है। यह सम्मेलन हर दो वर्ष में आयोजित होने वाला शीर्ष स्तर का मंच है, जहां देश की नागरिक और सैन्य नेतृत्व रणनीतिक एवं संस्थागत प्राथमिकताओं पर विचार-विमर्श करता है। इस वर्ष सम्मेलन की थीम ‘वर्ष सुधारों का – भविष्य के लिए रूपांतरण’ रखी गई है।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी का यह पिछले पांच महीनों में पश्चिम बंगाल का चौथा दौरा है और एक महीने के भीतर दूसरी यात्रा है। रविवार शाम वे असम से कोलकाता पहुंचे और राजभवन में रात्रि विश्राम किया। सोमवार सुबह करीब 9:30 बजे वे सम्मेलन स्थल विजयदुर्ग पहुंचे और लगभग चार घंटे तक उद्घाटन सत्र में मौजूद रहे। दोपहर 1:30 बजे प्रधानमंत्री हेलिकॉप्टर से नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचे और वहां से बिहार के पूर्णिया के लिए रवाना हो गए।

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