नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए कृषि क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में योगदान बढ़ाना जरूरी है। जब तक कृषि का योगदान 18 प्रतिशत से बढ़ाकर कम से कम 26 प्रतिशत नहीं होगा, तब तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा नहीं हो पाएगा।

गडकरी बुधवार को ‘क्रॉप केयर फेडरेशन ऑफ इंडिया’ की 62वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कृषि का योगदान जीडीपी में 18 प्रतिशत है, जबकि मैन्युफैक्चरिंग का 24 से 26 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र का 52 से 56 प्रतिशत योगदान है। कृषि क्षेत्र देश की 55 प्रतिशत जमीन पर आधारित है और करीब 40 प्रतिशत आबादी को रोजगार देता है, जिनमें 33 प्रतिशत महिलाएं भी शामिल हैं।

मंत्री ने कहा कि आज भी 65 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है, लेकिन आर्थिक मजबूरियों के चलते 30 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण आबादी शहरों की ओर पलायन कर चुकी है। उन्होंने कहा कि यदि गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तो पलायन रुक जाएगा।

गडकरी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान जहां अन्य वस्तुओं की उपलब्धता में कठिनाई हुई, वहीं खाद्यान्न की कमी महसूस नहीं हुई। देश ने बायो-फ्यूल और वैकल्पिक ईंधन को अपनाया है। पिछले वर्ष 1,400 करोड़ लीटर एथनॉल का उत्पादन हुआ, जिसमें 70 प्रतिशत हिस्सा फूड ग्रेन से बना। इसके बावजूद खाद्यान्न संकट नहीं आया।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मक्के से एथनॉल उत्पादन की अनुमति मिलने के बाद मक्के की कीमत 1,200 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। इसके चलते बिहार और उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में मक्के की खेती तीन गुना बढ़ी है। वर्तमान में 22 प्रतिशत एथनॉल का उत्पादन मक्के से हो रहा है।

गडकरी ने कहा कि कृषि क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ उत्पादन लागत कम करना भी समान रूप से जरूरी है। तभी जीडीपी में कृषि का योगदान बढ़ेगा और विकसित भारत का सपना साकार होगा।

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