कोलकाता। भारत की व्यापक आर्थिक स्थिति सकारात्मक है, लेकिन सार्वजनिक निवेश में सावधानी बरतनी होगी। क्षमता को ध्यान में रखे बिना अति-निवेश से बचना चाहिए। हालिया प्रत्यक्ष कर राहत और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों से लोगों की क्रय शक्ति बढ़ी है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को दिए जाने वाले ऋण में करीब 18 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। यह बातें भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ. वी. अनंथा नागेश्वरन गुरुवार को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में भारत चेम्बर ऑफ कॉमर्स की 125वीं वर्षगांठ के अवसर पर बाेल रहे थे। इस दाैरानउन्हाेंने देश की अर्थव्यवस्था की उपलब्धियों और चुनौतियों पर विस्तृत आकलन प्रस्तुत किया। इस समारोह का विषय ‘इंडिया: द मेकिंग ऑफ ए मिरेकल’ था।

उन्होंने डिजिटल भुगतान प्रणाली, विशेषकर यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) को आतिथ्य क्षेत्र की तेज वृद्धि में अहम कारक बताया। साथ ही, उन्होंने शहरी उपभोग को कमजोर बताने वाले दावों को “भ्रम” करार दिया और कहा कि यह धारणा चुनिंदा आंकड़ों पर आधारित है।

डॉ. नागेश्वरन ने भरोसा जताया कि अमेरिका द्वारा लगाए गए दंडात्मक शुल्क अगले कुछ महीनों में हल हो जाएंगे। डॉलर-रुपया विनिमय दर का लंबी अवधि का अनुमान कठिन है, लेकिन निकट भविष्य में रुपये के कमजोर होने की संभावना कम है। उन्होंने भविष्य में ऐसे अवरोधों से बचने के लिए बाजारों का भू-वैविध्यीकरण (जिओ डायवर्सिफिकेशन) जरूरी बताया। इस समय बड़ी कंपनियों को अतिरिक्त ऋण की आवश्यकता नहीं है, इसलिए राजकोषीय नीतियां उसी अनुसार तय की जानी चाहिए।

डॉ. नागेश्वरन ने ईमानदार कारोबार पर बढ़ते नियामकीय बोझ को चिंता का विषय बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि कई बार आंकड़ों में एक ही नियम को अलग-अलग राज्यों में लागू मानकर बार-बार गिना जाता है, जिससे जटिलता अधिक दिखाई देती है। उन्होंने बताया कि नियामकीय अड़चनों की समीक्षा और सरलीकरण के लिए उन्होंने अर्थशास्त्रियों की एक टीम गठित की है।

समारोह में भारत चेम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष नरेश पचिसिया ने मेक इन इंडिया अभियान के प्रति चेम्बर की प्रतिबद्धता दोहराई और सवाल रखा कि भारत अपनी जनसांख्यिकीय संपदा और डिजिटल प्रगति को सतत विकास में कैसे बदलेगा और विकसित भारत 2047 का लक्ष्य कैसे हासिल करेगा।

कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. एमजी खैतान ने बड़े सार्वजनिक आयोजनों से लेकर 1.20 लाख से अधिक स्टार्ट-अप और 120 से अधिक यूनिकॉर्न तैयार करने तक भारत की हाल की उपलब्धियों को रेखांकित किया। उन्होंने एमएसएमई पर अनुपालन के बोझ को कम करने और महंगे दस्तावेजी प्रक्रिया को सरल बनाने पर बल दिया। साथ ही, उन्होंने एक लाख करोड़ रुपये के अनुसंधान निधि (अनुसंधान रिसर्च फंड) को नवाचार को प्रोत्साहित करने की दिशा में बड़ा कदम बताया।

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