मैसूर। कन्नड़ साहित्य के महान लेखक, उपन्यासकार, दार्शनिक और पटकथा लेखक एस.एल. भैरप्पा शुक्रवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। राजकीय सम्मान के साथ और हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार उनका इंतिम संस्कार किया गया।

कन्नड़ सारस्वत जगत के दिग्गज, प्रतिष्ठित लेखक, उपन्यासकार, सरस्वती सम्मान से सम्मानित, पद्भूषण डॉ. एस.एल. भैरप्पा का अंतिम संस्कार चामुंडी पहाड़ियों की तलहटी में स्थित श्मशान घाट पर राज्य सरकार द्वारा निर्धारित सभी सम्मानों और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ किया गया। सबसे पहले उनकी बेटी सहाना विजयकुमार ने पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि अर्पित की, उसके बाद उनके दोनों बेटों रविशंकर और उदय शंकर ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।

ब्राह्मण (हिन्दू) परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार से पहले भैरप्पा के पार्थिव शरीर को तिरंगे झंडे से लपेटा गया और राजकीय सम्मान दिया गया। इसके बाद पुलिस बैंड की धुन बजाई गई और राष्ट्रीय ध्वज सौंपने का समारोह हुआ।

अंतिम संस्कार में केन्द्र सरकार की ओर से मंत्री प्रहलाद जोशी, राज्य मंत्री एच.सी. महादेवप्पा, के. वेंकटेश, पूर्व सांसद प्रताप सिम्हा सहित कई गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। केंद्रीय मंत्रियों ने भैरप्पा को श्रद्धांजलि भी अर्पित की।

दरअसल, एस.एल. भैरप्पा कन्नड़ साहित्य जगत में साहित्य के जादूगर थे और युवाओं में साहित्य की भावना जगाने में सफल रहे। अपने लंबे साहित्यिक जीवन में उन्होंने कन्नड़ साहित्य जगत को अनेक कृतियां प्रदान की हैं, जिनमें 25 उपन्यास, 6 निबंध संग्रह और 1 आत्मकथा शामिल है। उनके उपन्यासों के आधार पर 4 फ़िल्में भी बन चुकी हैं। उनके कुछ उपन्यासों का 40 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।

दशकों तक कन्नड़ साहित्य जगत को रोशन करने वाले भैरप्पा के निधन पर साहित्य जगत ने शोक व्यक्त किया है और इसे एक अपूरणीय क्षति बताया है। इस बीच, राज्य सरकार ने घोषणा की है कि भैरप्पा की स्मृति में मैसूर में एक स्मारक बनाया जाएगा।

 

 

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