नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि दिल्ली सहित देश के कई शहर गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में हैं, जिनमें वाहन सबसे बड़ा कारण हैं। दिल्ली के वायु प्रदूषण में 40 प्रतिशत योगदान वाहनों का है और इस समस्या का स्थायी समाधान केवल वैकल्पिक ईंधन यानी जैव ईंधन ही है।

गडकरी ने बुधवार को भारत जैव ऊर्जा एवं प्रौद्योगिकी एक्सपो के उद्घाटन समारोह में कहा कि जैव ईंधन नीति का आधार कच्चे तेल का प्रतिस्थापन, प्रदूषण मुक्त वातावरण और घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए स्वदेशी ऊर्जा का उपयोग तीन मिशनों पर टिका है। किसी भी समाज की मजबूती के लिए अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिकी और पर्यावरण तीन स्तंभ होते हैं। आज पूरी दुनिया पारिस्थितिकी और पर्यावरण से जुड़ी चुनौतियों का सामना कर रही है। उन्होंने कहा कि कृषि को ऊर्जा और बिजली उत्पादन की ओर मोड़ना समय की मांग है, क्योंकि जीवाश्म ईंधन की तुलना में जैव ईंधन काफी सस्ता विकल्प है। भारत को इथेनॉल का अधिशेष उत्पादन निर्यात करने पर विचार करना चाहिए। हम पेट्रोलियम और वित्त मंत्रियों से इस पर चर्चा करेंगे। इथेनॉल का उत्पादन 70 प्रतिशत खाद्यान्न से हो रहा है, जो भी अधिशेष है। भारत को जैव ईंधन उत्पादन में अग्रणी बनना चाहिए।

उन्होंने सोशल मीडिया पर ई-20 और इथेनॉल कार्यक्रम के खिलाफ चल रहे अभियानों को निहित स्वार्थों का सशुल्क प्रयास बताया और कहा कि लोग सच्चाई समझते हैं। हम दिल्ली में लोगों की जीवन प्रत्याशा 10 साल बढ़ाएंगे और इसके लिए जैव ईंधन बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने उद्योग जगत से वैकल्पिक ईंधन उत्पादन के प्रयासों को जारी रखने की अपील की और भरोसा जताया कि उद्योग की मदद से भारत ऊर्जा के आयातक से निर्यातक बनकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करेगा।

उन्होंने मक्के से इथेनॉल उत्पादन की अनुमति देने को एक सफलता की कहानी बताया और कहा कि इस कदम से मक्के का बाजार भाव 1,200 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2,800 रुपये प्रति क्विंटल पहुंचा है, जिससे किसानों की आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।

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