नई दिल्ली। दवा और क्लीनिकल रिसर्च क्षेत्र में नियामक अनुपालन को सरल बनाने और कारोबार की सुगमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय “न्यू ड्रग्स एंड क्लीनिकल ट्रायल्स रूल्स, 2019” में संशोधन करने जा रहा है। प्रस्तावित संशोधन 28 अगस्त 2025 को भारत के राजपत्र में प्रकाशित किए गए थे और इस पर जनता से सुझाव मांगे गए हैं। इन संशोधनों का उद्देश्य टेस्ट लाइसेंस और बायोअवेलेबिलिटी/बायोइक्विवेलेंस (बीए/बीइ) स्टडी से संबंधित आवेदनों की प्रक्रिया को सरल बनाना है।

बुधवार को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी जानकारी के अनुसार इस नए नियमों में आवेदकों को अब लाइसेंस (कुछ उच्च जोखिम वाली श्रेणी की दवाओं को छोड़कर) के लिए प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि केवल केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण को सूचित करना होगा। साथ ही, टेस्ट लाइसेंस आवेदन की कुल वैधानिक प्रोसेसिंग अवधि को 90 दिनों से घटाकर 45 दिन कर दिया गया है।

इसके साथ बायोअवेलेबिलिटी/बायोइक्विवेलेंस की कुछ श्रेणियों के लिए मौजूदा लाइसेंस की आवश्यकता समाप्त कर दी जाएगी। ऐसे मामलों में केवल सूचना या दस्तावेज प्रस्तुत करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

इन नियामक सुधारों से हितधारकों को काफी लाभ होगा क्योंकि आवेदन की प्रक्रिया और समयसीमा में उल्लेखनीय कमी आएगी। प्रस्तावित संशोधनों से लाइसेंस आवेदनों की संख्या लगभग 50प्रतिशत तक कम हो जाएगी। इससे स्टडी, परीक्षण और शोध के लिए दवाओं की जांच शीघ्र शुरू हो सकेगी तथा दवा विकास और अनुमोदन प्रक्रिया में होने वाली देरी कम होगी।

इसके अलावा, ये संशोधन केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन को अपने मानव संसाधनों की तैनाती को और अधिक प्रभावी बनाने में सक्षम करेंगे, जिससे नियामक निगरानी की दक्षता और प्रभावशीलता बढ़ेगी।

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