कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार नदियों और समुद्र में तेल ले जाने वाले जहाजों के हादसों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए विशेष ‘‘तेल रिसाव आपदा प्रबंधन योजना’’ तैयार कर रही है। शुक्रवार को मुख्य सचिव मनोज पंत ने आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों के साथ नवान्न में उच्चस्तरीय बैठक की। इसमें तटरक्षक बल और पोर्ट ट्रस्ट के अधिकारी भी मौजूद थे।
मुख्य सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई है, जिसकी अध्यक्षता वे स्वयं करेंगे। इसमें आपदा प्रबंधन, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण, सिंचाई, परिवहन, गृह और पर्यावरण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि तेल रिसाव की स्थिति में त्वरित कार्रवाई के लिए ठोस रणनीति तैयार की जाए, जिससे जल प्रदूषण और पर्यावरणीय नुकसान को कम किया जा सके।
बैठक में अवैध रेत और पत्थर खनन पर भी गंभीर चिंता जताई गई। मुख्य सचिव ने साफ किया कि सरकार किसी भी हाल में अवैध खनन बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इस पर सख्त कार्रवाई करें और जरूरत पड़ने पर पुलिस की मदद से छापेमारी भी करें।
राज्य सरकार ने पहले भी ऐसे खनन को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए थे, जिससे यह गतिविधियां कुछ समय के लिए कम हो गई थीं। लेकिन हाल के दिनों में यह फिर से बढ़ने लगी हैं। अधिकारियों ने बताया कि रात के अंधेरे में चोरी-छिपे रेत और पत्थर निकाले जा रहे हैं और तस्करी की जा रही है।
मुख्य सचिव ने स्पष्ट किया कि खनन कार्य केवल सरकार से उचित लाइसेंस लेने के बाद ही किया जा सकता है। यदि नियमों का उल्लंघन हुआ तो दोषियों को गिरफ्तार किया जाएगा और उन पर कड़ी सजा भी दी जाएगी।