रांची। माकपा ने राज्य के विस्थापितों के अधिकारों की रक्षा के लिए विस्थापन आयोग के गठन को स्वागत योग्य कदम बताया है। पार्टी के राज्य सचिवमंडल की ओर से बुधवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा गया है कि कैबिनेट ने झारखंड राज्य विस्थापन एवं पुनर्वास आयोग गठन कार्य और दायित्व नियमावली की स्वीकृति देकर सकारात्मक पहल की है।
पार्टी की ओर से कहा गया है कि हालांकि वर्ष 2024 के जुलाई महिने में ही विस्थापन आयोग का गठन के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। लेकिन एक साल के बाद उसकी नियमावली तैयार की गई है।
माकपा झारखंड के गठन के पहले से ही राज्य की महत्वपूर्ण ज्वलंत समस्या विस्थापन जिसमें लाखों लोग खनन कार्य, बड़े डैम, सिंचाई परियोजनाओं, कल – कारखानों, सेंक्चुोरी और कॉरिडोर के निर्माण के लिए अपनी जमीन खोकर विस्थापित होने का दंश झेलते हुए गुमनामी के अंधेरे में खो गए इन्हें न्याय दिलाए जाने के लिए लगातार आवाज उठाती रही है।
पार्टी ने कहा है कि स्वतंत्र भारत में भी पूंजीवादी विकास के इस माडल ने झारखंड जैसे राज्य में आदिवासियों और दूसरे अन्य गरीब रैयतों और किसानों को अपनी कृषि योग्य भूमि से बेदखल कर उन्हें दर – दर की ठोकरें खाने के लिए विवश किया गया।
माकपा ने राज्य सरकार से अपील की है कि सरकार विस्थापन आयोग को कमिटी नहीं कानूनी अधिकारों से संपन्न आयोग का दर्जा दे। साथ ही नियमावली में विस्थापितों की चिन्हित समस्याओं का समयबद्ध निपटारा किए जाने की प्रणाली को शामिल करे, ताकि विस्थापितों को त्वरित न्याय मिल सके।
उल्लेखनीय है कि झारखंड में निजी कोल ब्लाकों की नीलामी से यहां तीसरे दौर का विस्थापन शुरू हो गया है इसलिए अधिकार संपन्न विस्थापन आयोग को जल्द अपना काम शुरू करना चाहिए।