बता दें कि पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन और तेजाब कांड में अपने तीन बेटों को खो चुके सिवान के व्यवसायी चंदा बाबू ने शहाबुद्दीन के सिवान में रहने पर जान का भय और केस को प्रभावित होने की बात कहते हुए उनके स्थानांतरण की मांग की थी।
क्या कहा था आशा रंजन ने
पिछले दिनों आशा रंजन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर कहा था कि शहाबुद्दीन के सिवान जेल में होने से उनकी और उनके परिवार की जान को खतरा है और इसके साथ ही उनके पति की हत्याकांड की जांच के प्रभावित होने का भी खतरा है। शहाबुद्दीन के सिवान में होने से गवाहों को भी खतरा है। आशा रंजन ने चिंता जताई थी कि शहाबुद्दीन और उनके समर्थक साक्ष्य को भी प्रभावित कर सकते हैं।
प्रशांत भूषण ने दायर की थी याचिका
उधर व्यवसायी चंदा बाबू की ओर से चर्चित अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी याचिका दायर कर मो.शहाबुद्दीन को सिवान और बिहार से बाहर करने की अपील की थी। याचिका में शहाबुद्दीन के सिवान जेल में रहने के दौरान के घटनाक्रमों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि शहाबुद्दीन के सिवान में होने से न केवल चंदा बाबू के परिवार को बल्कि विभिन्न मामलों के गवाहों को भी खतरा है।
क्या पूछा सुप्रीम कोर्ट ने
इन तमाम याचिकाओं पर सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शहाबुद्दीन को तिहाड़ जेल शिफ्ट करने का नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों ना आपको तिहाड़ जेल शिफ्ट किया जाए? कोर्ट की इस नोटिस के बाद शहाबुद्दीन और उनके समर्थकों को एक और झटका लगा है । वहीं आशा रंजन और चंदा बाबू ने राहत की सांस ली है।

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