Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Wednesday, June 18
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»गुजरात की बिसात
    विशेष

    गुजरात की बिसात

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीOctober 23, 2017No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह एक दिन का तूफानी गुजरात दौरा कर ताबड़तोड़ परियोजनाओं का उद्घाटन किया, उससे एक बार फिर जाहिर हुआ कि भाजपा में अपना गढ़ बचाने की बेचैनी बढ़ गई है। पिछले बीस दिनों में यह प्रधानमंत्री का तीसरा दौरा था। गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित होने वाली हैं। कायदे से हिमाचल प्रदेश चुनावों के साथ ही वहां की भी तारीखें घोषित हो जानी चाहिए थीं, पर ऐसा नहीं हुआ। कयास लगाए जा रहे हैं कि निर्वाचन आयोग पर दबाव बना कर सरकार ने गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखें टलवाईं, क्योंकि आचार संहिता लागू हो जाने के बाद परियोजनाओं के उद्घाटन आदि पर विराम लग जाता। रविवार को प्रधानमंत्री ने जिस तरह एक के बाद एक कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया, उससे इस कयास को बल ही मिला। हालांकि इसका लाभ भाजपा को गुजरात चुनावों में कितना मिलेगा, देखने की बात है।

    गुजरात में पिछले बीस वर्षों से भाजपा सत्ता में है। मगर इस बार कई वजहों से वहां बदलाव की सुगबुगाहट नजर आने लगी है। स्वाभाविक ही इसके चलते भाजपा में बेचैनी बढ़ी है। भाजपा अभी तक विकासवाद के नारे के साथ गुजरात में अपना जनाधार मजबूत बनाए रखने में कामयाब रही है। पर इस बार स्थितियां कुछ अलग हैं। पाटीदार, दलित और अन्य पिछड़े समुदाय के लोगों में भाजपा से नाराजगी दिखने लगी है। इसलिए इस बार का गुजरात चुनाव विकास के बजाय जातीय समीकरणों पर काफी कुछ निर्भर रहने वाला है। जीएसटी लागू होने के बाद सबसे अधिक विरोध का स्वर सूरत के व्यापारियों की तरफ से उभरा था, इसलिए भाजपा का जनाधार माने जाने वाले व्यापारी वर्ग में भी सेंध लगने की आशंका है। उधर कांग्रेस के प्रति लोगों में सकारात्मक रुझान दिखने लगा है। जिस राहुल गांधी को सबसे कमजोर नेता माना जा रहा था, उनकी रैलियों और भाषणों में लोग दिलचस्पी लेने लगे हैं। इस बीच पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर के कांग्रेस से जुड़ने की खबरों से भाजपा की परेशानी बढ़ गई है। अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस से हाथ मिला लिया है। हार्दिक पटेल के कांग्रेस के साथ आने की उम्मीद है। जिग्नेश मेवाणी ने भाजपा के विरोध का एलान पहले ही कर रखा है।गुजरात में अब तक के चुनावों का समीकरण यही बताता है कि जिधर पटेल, दलित और अन्य पिछड़ी जातियों का झुकाव होता है, चुनाव में जीत उसी पार्टी की होती है। हालांकि कांग्रेस के साथ जिन युवा नेताओं के जुड़ने के संकेत मिले हैं, उनका विधानसभा चुनाव में अपने समुदाय के लोगों पर कितना प्रभाव पड़ेगा, कहना मुश्किल है, पर इससे भाजपा के माथे पर बल तो पड़े ही हैं। पटेल न सिर्फ आरक्षण के मसले पर भाजपा के खिलाफ नजर आए, बल्कि आनंदीबेन पटेल के बाद उनके समुदाय के किसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री न बनाए जाने की वजह से अधिक नाराज हैं। दलितों में नाराजगी गोरक्षकों की ज्यादतियों और सरकारी योजनाओं में उपेक्षा के चलते है। इसी तरह अन्य पिछड़ी जातियों में यह भावना घर कर गई है कि भाजपा सिर्फ व्यापारियों-व्यवसायियों के हितों की सोचती है, गरीबों की चिंता उसे नहीं है। ऐसे में प्रधानमंत्री फेरी सेवा जैसी योजनाओं-परियोजनाओं-सेवाओं का उद्घाटन और विकास के सपने दिखा कर आम गुजरातियों का मन बदलने में शायद ही कामयाब हो पाएं। इसके लिए भाजपा को जमीनी स्तर पर उतर कर लोगों का भरोसा जीतना होगा, पर इसके लिए उसके पास समय अब बहुत कम है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleपहल की प्रतीक्षा
    Next Article न्यूजीलैंड ने हम पर दबाव बना दिया था : कोहली
    आजाद सिपाही
    • Website
    • Facebook

    Related Posts

    एक साथ कई निशाने साध गया मोदी का ‘कूटनीतिक तीर’

    June 8, 2025

    राहुल गांधी का बड़ा ‘ब्लंडर’ साबित होगा ‘सरेंडर’ वाला बयान

    June 7, 2025

    बिहार में तेजस्वी यादव के लिए सिरदर्द बनेंगे चिराग

    June 5, 2025
    Add A Comment

    Comments are closed.

    Recent Posts
    • फ्लाईओवर का नामकरण मदरा मुंडा के नाम पर करने की मांग
    • पूर्व पार्षद सलाउद्दीन को हाई कोर्ट से मिली अग्रिम जमानत
    • झारखंड मंत्रिपरिषद् की बैठक 20 को
    • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के साथ प्रशिक्षु अधिकारियों की शिष्टाचार भेंट
    • हिमाचल के लिए केंद्र से 2006 करोड़ रुपये की मंजूरी, जेपी नड्डा ने जताया आभार
    Read ePaper

    City Edition

    Follow up on twitter
    Tweets by azad_sipahi
    Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
    © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

    Go to mobile version