नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने जवाहरलाल नेहरू विश्विविद्यालय की छात्रा से यहां कथित बलात्कार के लिए गिरफ्तार एक अफगान नागरिक को जमानत देने से इनकार कर दिया है और कहा है कि याचिकाकर्ता अफगान नागरिक के न्याय के दायरे से भागने की संभावना है।

उच्च न्यायालय ने सुलेमान अहमदी की जमानत याचिका खारिज कर दी जो 10 वर्षों से एक शरणार्थी के तौर पर भारत में रह रहा है। अदालत ने सुलेमान की जमानत याचिका उसके खिलाफ आरोपों की गंभीर प्रकृति को देखते हुए और इस आशंका के मद्देनजर खारिज की कि वह महत्वपूर्ण गवाहों को अपने पक्ष में कर सकता है।

न्यायमूर्ति विनोद गोयल ने मामले में दोषसिद्धि की दशा में सजा की गंभीरता पर गौर किया जो कि आजीवन कारावास तक हो सकती है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता अफगान नागरिक के न्याय के दायरे से भागने की संभावना है।

अदालत ने कहा कि जमानत देने के लिए व्यक्ति के पक्ष में कोई आधार नहीं है क्योंकि मौके पर मौजूद व्यक्तियों सहित गवाह और वे सभी जिसे महिला ने घटना के तत्काल बाद उसके बारे में जानकारी दी थी, उनसे अभी जिरह की जानी बाकी है।

जमानत याचिका का अभियोजक ने विरोध किया और कहा कि आरोपी एक अफगान नागरिक है और उसे जमानत दिए जाने पर उसके न्याय से भागने की संभावना है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण गवाहों से अभी जिरह की जानी बाकी है जिसमें आरोपी के मित्र भी शामिल हैं। उन मित्रों में से एक ने दो आरोपियों को उस शयनकक्ष में प्रवेश करते देखा था जहां वह अकेली सो रही थी।

अभियोजन के अनुसार अहमदी और उसके मित्र तवाब अहमद उर्फ सलीम ने 21 वर्षीय जेएनयू छात्रा से दक्षिणी दिल्ली के ग्रीन पार्क क्षेत्रा में इस वर्ष जनवरी में बलात्कार किया था। अदालत ने अहमदी के वकील की यह दलील खारिज कर दी कि महिला के कपड़ों पर मिले शरीर के तरल पदार्थ का मिलान आरोपियों से नहीं हुआ है और इसलिए उसे जमानत दे दी जानी चाहिए।

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