रांची स्टेशन पर चाईल्ड लाईन ने दो बच्चियों को अंधेरी जिंदगी में जाने से बचा लिया. चाईल्ड लाईन अब इन बच्चियों को सीडबल्यूसी के सामने पेश कर इनके पुनर्वास की व्यवस्था करेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों ही बच्चियां किसी भी सूरत में अपने घर लौटना नहीं चाहती हैं.

मिली जानकारी के अनुसार परिवार के सदस्यों की प्रताड़ना झेल रही दोनों ही बच्चियां घर से भाग कर दिल्ली जा रही थीं. दोनों बच्चियां नक्सल प्रभावित खूंटी जिले की हैं. दोनों बच्चियां चाइल्ड लाइन के सामाजिक कार्यकर्ता के सामने अपनी पीड़ा ब्यां करते समय रो पड़ीं. एक बच्ची सौतेली मां और शराबी पिता की प्रताड़ना से तंग आ कर घर से भागी है तो दूसरी की कहानी अनूठी है. इस बच्ची पर एक साल से लगातार उसके मां-बाप जबरन शादी करने का दबाव बना रहे हैं. विरोध करने पर इन बच्चियों के साथ मारपीट और इन्हें घर से निकल जाने की धमकी मिलते रही है.

इन दोनों की किस्मत अच्छी ही कही जाएगी कि इनपर किसी मानव तस्कर की नजर नहीं पड़ी. वैसे रांची स्टेशन पर बच्चियों के रेस्क्यू का यह कोई पहला मामला नहीं है. लेकिन दूसरे मामलों से अलग जरूर है. दूसरे मामलों में जहां बच्चियों को भगाने में दलालों और मानव तस्करों की बड़ी भूमिका होती है वहीं इन बच्चियों के परिजनों ने ही इन्हें अंधेरी जिंदगी में ढकेलने का काम किया है.

ऐसे में जरूरत है कि सरकार और सामाजिक संगठनों के साथ-साथ समाज के लोग ही ऐसे परिजनों को समझाएं और नहीं समझने पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करें ताकि वे बच्चियों को प्रताड़ित ना करें.

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