झारखंड के नक्शा घोटाले में एंटी करप्शन ब्यूरो की जांच में तेजी आ गई है. रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण यानी आरआरडीए और बिल्डरों की सांठगांठ से राजधानी रांची में हुए इस नक्शा घोटाला मामले में सभी आरोपियों को नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया गया है.
2009 में तत्कालीन राज्यपाल के आदेश पर नगर विकास विभाग ने 2006 से 2009 के बीच आरआरडीए से पारित 3492 बहुमंजिली इमारतों के नक्शों की जांच मंत्रिमंडल निगरानी को सौंपी थी. मंत्रिमंडल निगरानी ने इसकी जांच निगरानी ब्यूरो (अब एसीबी) को दे दी थी. प्रारंभिक जांच में ब्यूरो ने 21 मामलों की पड़ताल की जिसमें सात में गड़बड़ी पाई.
ऐसे हुई गड़बड़ी
शहर में बिल्डरों ने चार मंजिला अपार्टमेंट का नक्शा पास करावा कर आठ मंजिला अपार्टमेंट बना दिए. इतना ही नहीं नक्शा पास करने में आरआरडीए के अफसरों और अभियंताओं की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई. एसीबी ने आरआरडीए के तत्कालीन उपाध्यक्ष एमपी मिश्र व गोपाल दास के अलावा अभियंता नागेंद्र कुमार वर्मा, अशोक कुमार, राजीव रंजन, राजेंद्र त्रिपाठी, दीप नारायण शर्मा, बिल्डर नागेंद्र कुमार बुटाला सहित अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. 2007 में वीरेंद्र प्रधान ने नार्थ आफिस पाड़ा में बहुमंजिली इमारत के निर्माण के लिए आरआरडीए से नक्शा पास करवाया था. इस मामले में कोलकाता के एक व्यक्ति ने जांच एजेंसी को बताया कि बिना उनकी अनुमति के उनकी जमीन पर अपार्टमेंट का निर्माण कार्य कराया गया. ऐसी ही कई गड़बड़ियां सामने आने पर अवैध नक्शा घोटाले पर प्रशासन ने सख्त कार्रवाई करते जांच एसीबी को सौंप दी थी.