नई दिल्ली: वैज्ञानियों ने अब तक अज्ञात रहे ऐसी 76 जीनों की पहचान की है जो बैक्टीरिया को आखिरी सहारा माने जाने वाले एंटीबायोटिक्स के प्रतिरोधी बनाते हैं। इस खोज से सुपरबग्स के खिलाफ इंसानों की जंग को नया आधार मिल सकता है।
एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया द्वारा संक्रमण के बढ़ते मामले तेजी से बढ़ रही वैश्विक समस्या हैं। बीमारी के कारक बैक्टीरिया अपने खुद के डीएनए के उत्परिवर्तन के जरिये प्रतिरोधी बन जाते हैं या फिर अक्सर गैरहानिकारक बैक्टीरियाओं से प्रतिरोधी जीन हासिल कर लेते हैं।
स्वीडन की चाल्मर्स युनिर्विसटी ऑफ टेक्नोलॉजी और युनिर्विसटी ऑफ गोथेनबर्ग के शोधकर्ताओं ने काफी मात्रा में डीएनए के आंकड़ों का विश्लेषण किया और 76 नये प्रतिरोधी जीनों का पता लगाया। इनमें से कुछ जीन एक बैक्टीरिया को कार्बापीनेम्स की क्षमता को कमतर करने की शक्ति देते हैं। कार्बापीनेम्स कई तरह के प्रतिरोधी बैक्टीरिया का इलाज करने के लिये इस्तेमाल होने वाला सबसे शक्तिशाली श्रेणी का एंटीबायोटिक है।
चाल्मर्स युनिर्विसटी ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर एरिक क्रिस्टिएंसन ने कहा कि हमारा अध्ययन दिखाता है कि अनेक अज्ञात प्रतिरोधी जीन हैं। इन जीनों के बारे में जानकारी से बहु-प्रतिरोधी बैक्टीरिया को ज्यादा प्रभावी तरीके से खोजने और उनसे निपटने के लिये मदद मिलेगी।
गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जोआकिम लारसौन ने कहा कि बैक्टीरिया कैसे एंटीबायोटिक्स के खिलाफ अपना बचाव करते हैं इस बारे में हम जितना जानेंगे उतनी ही ज्यादा प्रभावी नई दवा विकसित करने की हमारी संभावना बढ़ेगी।
साइंटिफिक जर्नल माइक्रोबायोम में प्रकाशित अध्ययन में दुनियाभर से इंसानों और विभिन्न वातावरणों से जुटाये गये बैक्टीरिया के डीएनए क्रम का विश्लेषण किया गया जिसके बाद नये जीनों का पता चला। क्रिस्टियानसन ने कहा कि प्रतिरोधी जीन अक्सर बेहद दुर्लभ होती हैं और एक नयी जीन का पता लगाया जा सके उससे पहले डीएनए के काफी आंकड़ों के परीक्षण की आवश्यकता होती है।