एक अध्ययन के अनुसार भारत में करोड़ो लोल अस्थमा की चपेट में आ गए है और ये बीमारी तेजी से लोगों में बढ़ती जा रही है। भारत में अस्थमा से लगभग 1.5 से दो करोड़ लोग प्रभावित हैं। अस्थमा फेफड़ों की एक गंभीर बीमारी है, जो सांस लेने की नली को संकरा कर देती है, जिससे सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न और खांसी आती है।

अस्थमा की स्टैंडर्ड दवाइयां लेने के अलावा विटामिन डी की अतिरिक्त खुराक लेने से इस रोग के जोखिम को आधा किया जा सकता है। विटामिन डी का सप्लीमेंट लेने वाले लोगों में अस्थमा के एक दौरे के बाद इसका खतरा 50 फीसदी तक कम पाया गया। विटामिन डी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करके ऊपरी श्वसन संक्रमण को नियंत्रित करता है, जिससे गले की सूजन कम हो जाती है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, “अस्थमा को समझने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि पहले श्वसन नली के काम को समझ लिया जाए। यह वो नली होती है, जिसके जरिए आपके फेफड़ों में हवा जाती है और बाहर आती है। अस्थमा के लोगों में, इसी वायुमार्ग में सूजन आ जाती है, जिससे उनका गला बहुत अधिक संवेदनशील हो जाता है। इस वजह से, कुछ पदार्थो के प्रति वायुमार्ग कसके प्रतिक्रिया करता है।”

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि ऐसा होने पर आसपास की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। नतीजतन, वायुमार्ग संकरा हो जाता है, जिससे फेफड़ों में बहने वाली हवा कम हो जाती है। इस प्रकार, वायुमार्ग की कोशिकाएं सामान्य से अधिक बलगम बनाने लगती हैं। ये सभी अस्थमा के लक्षण हो सकते हैं। वायुमार्ग में सूजन हो सकती है।

 

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