रांची। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि विकास के लिए एडवांस प्लानिंग नहीं होने के कारण झारखंड का समुचित विकास नहीं हो पाया है। राज्य के विकास के लिए तीन वर्ष की कार्य योजना बनाने का जिम्मा पद्मश्री अशोक भगत और टी नंदकुमार की अगुवाई वाली टीम को सौंपा गया है। इसमें वर्ष 2022 में झारखंड का नये भारत के निर्माण में क्या योगदान होगा, इसकी रूपरेखा तय की गयी है। हमें इसे धरातल पर उतारना है। मुख्यमंत्री झारखंड मंत्रालय में आयोजित राज्य विकास परिषद की द्वितीय बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि बैठक में जन प्रतिनिधियों से जो सुझाव मिले हैं, उन्हें शामिल किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय असंतुलन के कारण ही झारखंड का गठन किया गया था। आज भी इसके 19 जिले आकांक्षी जिलों की सूची में हैं। इनमें से भी छह जिले अति पिछड़े हैं। राज्य सरकार ने इन जिलों के विकास के लिए विशेष तौर पर 50 करोड़ दिये हैं। उन्होंने कहा कि अभी भी राज्य में राइट टू सर्विस एक्ट सही तरीके से लागू नहीं हो पाया है। झारखंड स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा हुआ था। आज स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के मामले में झारखंड अग्रणी राज्यों में है। यह नीति आयोग ने कहा है। इसी प्रकार क्वालिटी एजुकेशन के सुधार के मामले में झारखंड को काफी सराहना मिल रही है। पोषण के क्षेत्र में झारखंड में व्यापक सुधार हुआ है। नवजात बच्चों की मृत्य दर में पहले की तुलना में कमी आयी है। मातृत्व मृत्यु दर में सुधार तो हुआ है, पर इस क्षेत्र में और काम करने की जरूरत है।
जनप्रतिनिधि निभायें सक्रिय भागीदारी
सीएम ने जनप्रतिनिधियों से विकास योजनाओं में सक्रिय भागीदारी निभाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जिन योजनाओं में जनप्रतिनिधियों की भागीदारी अच्छी रही है, वे योजनाएं काफी सफल रही हैं। खनिज बहुल राज्य झारखंड के खनन क्षेत्र में लोग दूषित जल पीने को मजबूर थे। नरेंद्र मोदी की अगुवायी वाली केंद्र सरकार ने खनन से होनेवाली रायल्टी में से 30 प्रतिशत की राशि उसी क्षेत्र के विकास में खर्च करने को कहा है। राज्य सरकार ने इस राशि से इन क्षेत्रों में पाइपलाइन के माध्यम से शुद्ध पेयजल पहुंचाने का काम शुरू किया है। शनिवार को रामगढ़ में 300 करोड़ रुपये की योजनाओं का शिलान्यास किया जायेगा।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version