धनबाद। कोयलांचल धनबाद के आसपास स्थापित कोयला आधारित उद्योग, कोयले के लिए तड़प-तड़प कर दम तोड़ रहे हैं और नेता खामोश हैं। इन नेताओं के ही भाई-भतीजे और शागिर्दों के कारण कोलियरियों में उत्पादन और उठाव प्रभावित हो रहा है। हार्डकोक उद्योग कोयलांचल की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख और सशक्त स्तंभ है। इस उद्योग से रोजगार सृजन के तहत लाखों परिवार प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जीविकोपार्जन करते रहे हैं। लोहा और इस्पात उद्योग की प्रगति के साथ राष्ट्र के निर्माण में भी इसकी महती भूमिका रही है। भीषण त्रासदी और विडंबना है कि कोयले की रत्नगर्भा धरती में अवस्थित इस उद्योग को कोयले की कमी का दंश झेलना पड़ रहा है।
उक्त बातें झारखंड पेट्रोलियम डीलर एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष सह जिप सदस्य अशोक कुमार सिंह ने शनिवार को प्रेसवार्त्ता के दौरान कही। दम तोड़ रही हार्डकोक इंडस्ट्री के समर्थन में अशोक ने कई अहम सवाल उठाया। सांसद व विधायक को कटघरे में खड़ा किया। कहा-पिछले दो वर्षों से तो स्थिति बद से बदतर हो गयी है, आवश्यक कोयला के अभाव में इस उद्योग का दम घूंट रहा है। भट्ठों की 30-40 फीसदी चिमनियां ही धुंआ उगल पा रही हैं। जबकि सरकार कौशल विकास केंद्रों के जरिये रोजगार सृजन का वादा और दावा कर रही है। इस उद्योग के लकवाग्रस्त होने से कई छोटे मंझोले कल कारखाने भी बुरी तरह प्रभावित हैं। परिणाम यह है कि पचास हजार से अधिक लोग बेरोजगार हो गये हैं। इनके हिस्से का कोयला अन्य उद्योगों को दिया जाता रहा है। पहले रेल को आपूर्ति की जाती थी, अब झारखंड के अतिरिक्त हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश और बंगाल स्थित पावर प्लांटों को दिया जा रहा है, जो इनके साथ अत्याचार और अन्याय है।
कोयला वितरण नीति में जरूरी संशोधन हो
अशोक ने दम तोड़ रहे हार्डकोक उद्योग के पीड़ा को मीडिया के सामने रखा और कहा कि कोयला वितरण की नीति में जरूरी संशोधन कर इस उद्योग को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। करार के अनुसार कोयला कंपनियों से इन्हें हरहाल में लिंकेज का कोयला मिलना चाहिए। क्योंकि बगैर लिंकेज के कोयले के इस उद्योग का संचालन काफी दुष्कर है। कोयला कंपनी और हार्डकोक उद्योग के करार के मुताबिक इस उद्योग को प्रति माह साढ़े तीन लाख टन कोयले की आपूर्ति की जानी है, लेकिन पिछले एक दशक से कभी इन्हें इतना कोयला नहीं मिला। इस उद्योग के दर्द और मर्म पर सहानुभूति पूर्वक विचार करते हुए रोजगार को बढ़ावा देने के साथ राष्ट्र की बुनियादी ढांचे में योगदान देने की अपील की।