एक मैदान का सवाल दो दलों को वाचिक युद्ध के मैदान में ले आया है। इस युद्ध में कोई भी कमतर नहीं है। मोरहाबादी मैदान को लेकर उठे विवाद में सत्तारूढ़ भाजपा जहां झामुमो पर वार करने का कोई मौका नहीं छोड़ रही, वहीं झामुमो भी आरोपों की बौछार होने पर जवाब देने से चूक नहीं रहा। दोनों दलों में वाचिक युद्ध मोरहाबादी मैदान को लेकर हो रहा है। इस मैदान मेें पहले झामुमो 19 अक्टूबर को बदलाव रैली का आयोजन करना चाहता था। पर जब डीसी राय महिमापत रे ने अपरिहार्य कारणों का हवाला देते हुए यह मैदान देने से मना कर दिया तो झामुमो ने हरमू मैदान में बदलाव महारैली की अनुमति मांगी। अनुमति मिल भी गयी है। झामुमो ने तैयारियां शुरू भी कर दीं। पर मैदान के सवाल पर दोनों दलों में वाचिक युद्ध नहीं रुक रहा। दो दलों के आरोप प्रत्यारोपों और उसके परिणामों को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।

मोरहाबादी मैदान के सवाल पर सत्तारूढ़ भाजपा और झामुमो में घमासान की स्थिति है। इसे लेकर दोनों दलों में बयानबाजी तेज हो गयी है और दोनों दलों के प्रवक्ता एक-दूसरे को उनकी औकात बताने में लगे हुए हैं। असल में बदलाव रैली की शुरुआत करनेवाला झामुमो 19 अक्टूबर को मोरहाबादी मैदान में बदलाव महारैली करना चाहता था। इसके परमिशन के लिए झामुमो महासचिव विनोद पांडेय ने डीसी से बात की और डीसी ने मैदान जेसोवा को आवंटित किये जाने का कारण बताते हुए झामुमो को मैदान देने से इंकार कर दिया। इसके बाद झामुमो ने हरमू मैदान में महाबदलाव रैली करने काकी अनुमति मांगी और वह जिला प्रशासन ने अनुमति दे भी दी है। झामुमो रैली की तैयारियों में जुटा हुआ है। इधर सोमवार को भाजपा मुख्यालय में पार्टी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने एक प्रेसवार्ता की और झामुमो को खुली चुनौती देते हुए कहा कि पार्टी की वह राजनीतिक हैसियत नहीं रही कि वह मोरहाबादी मैदान को भर सके। इसलिए वह झूठ बोल रही है। पार्टी की तो इतनी भी औकात नहीं है कि वह प्रभात तारा मैदान के दसवें हिस्से को भर सके। पार्टी को अपनी राजनीतिक हैसियत का अंदाजा हो गया है।

भाजपा को झामुमो की चिंता क्यों सता रही है
इधर, प्रतुल के बयान पर पलटवार करते हुए झामुमो महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की महारैली से भाजपा चिंतित क्यों है। उन्हें अपने घर पर ध्यान देना चाहिए। भाजपा को झामुमो ने उसकी औकात बता दी है, इसलिए पार्टी नेता गली-गली घूम रहे हैं। राजनीतिक साजिश के तहत उन्हें मोरहाबादी मैदान नहीं दिया गया है। झारखंड में विकास बिजली के पोलों पर टंगा हुआ है। सच्चाई क्या है यह सब जानते हैं। सरकार ने 13,000 स्कूलों को बंद कर दिया। अब मुख्यमंत्री रघुवर दास बच्चों से सवाल पूछते हैं। बच्चा स्कूल जायेगा तब न जवाब देगा। रही बात मैदान के भरने की तो 19 अक्टूबर को भाजपा को करारा जवाब मिल जायेगा। जो झामुमो को जानते हैं वे यह भी जानते हैं कि पार्टी रैली करती है तो किस तरह से करती है। और झामुमो की रैलियों में जनसैलाब किस तरह उमड़ता है यह भाजपा भी अच्छी तरह से जानती है। रैली में झामुमो भाजपा को उसकी औकात बता देगी।

जिला प्रशासन के निर्णय से लोगों को राहत
जेसोवा को पहले ही उसके कार्यक्रम के लिए मोरहाबादी मैदान आवंटित कर चुके जिला प्रशासन का झामुमो को रैली के लिए पार्टी को मैदान न दिये जाने से शहरवासियंों ने राहत की सांस ली है। लोगों को पता है कि मोरहाबादी मैदान में रैली-जुलूस के आयोजन से पूरा शहर प्रभावित हो जाता है। मोरहाबादी मैदान में अनुमति नहीं मिलने के बाद झामुमो ने भी हरमू मैदान में रैली की तैयारियां शुरू कर दीं। पार्टी प्रवक्ता विनोद पांडेय का दावा है कि उस दिन हरमू मैदान के चप्पे-चप्पे पर झामुमो कार्यकर्ता भरे हुए होंगे। पर जहां तक भाजपा का सवाल है तो वह यह कभी नहीं चाहेगी कि झामुमो की इतनी बड़ी रैली राजधानी के बीचो-बीच अवस्थित मैदान में करने में सफल हो जाये। क्योंकि झामुमो की हर सफलता भाजपा के लिए विफलता का कारण बन सकती है। यही कारण है कि भाजपा प्रवक्ता झामुमो पर हमलावर होने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे।

चुनावों से पहले वेब पैदा करना चाहता है झामुमो
सत्तारुढ़ भाजपा के बाद झारखंड में सर्वाधिक विधायकों वाला झामुमो 19 अक्टूबर को हरमू मैदान में आयोजित महारैली के जरिये झारखंड की राजनीति में वेब पैदा करना चाहता है। झामुमो की यह महाबदलाव रैली उस बदलाव यात्रा की आखिरी कड़ी है जिसकी शुरुआत हेमंत सोरेन ने संथाल परगना के साहिबगंज में 26 अगस्त को की थी। इस बदलाव यात्रा का मकसद झामुमो कार्यकर्ताओं में जोश भरने के साथ भाजपा सरकार की विफलता को सामने भी रखना है। साहेबगंज के बरहेट में इस बदलाव यात्रा का शुभारंभ हेमंत सोरेन ने संथाल विद्रोह के नायक सिदो-कान्हू की प्रतिमा पर मार्ल्यापण करके किया था। हेमंत ने इसी विधानसभा सीट से बीते चुनावों में जीत हासिल की है, इसलिए इसी क्षेत्र से उन्होंने अभियान का शुभारंभ किया। इसके बाद उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा सरकार पर तीखे हमले किये। इसी क्रम में रविवार को दुमका में हेमंत सोरेन ने कहा कि अब समय आ गया है कि राज्य की मौजूदा सरकार को जनता उखाड़ फेंके। इस सरकार से किसी का भला होनेवाला नहीं है। कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर इस सरकार की कार्यशैली बतायें और इस सरकार को भगाने का काम करें।
अब पार्टी महाबदलाव रैली को सफल बनाने की तैयारियों में जुटी हुई है। इसके लिए पार्टी कार्यकर्ता दिन रात एक किये हुए हैं। झामुमो की हरमू मैदान में होनेवाली रैली क्या गुल खिलायेगी यह तो समय बतायेगा पर इतना तो साफ हो गया है कि इस रैली को सफल बनाने में झामुमो कोई कसर बाकी नहीं रखेगी। भाजपा हो या झामुमो दोनों दलों के बीच राजनीतिक घमासान का कारण आनेवाला विधानसभा चुनाव है। बीते विधानसभा चुनाव में अपने दम पर भाजपा ने 37 सीटें जीती थीं। वहीं मोदी लहर के बावजूद झामुमो 19 सीटें जीतने में सफल रहा था। इस जीत के बाद आत्मविश्वास के लहर पर सवार भाजपा 65 से अधिक सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। झामुमो ने ऐसा कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है लेकिन उसकी कोशिश बीते चुनाव के दौरान जीती गयी सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखते हुए और अधिक सीटेें जीतने की होगी। अब जब कांग्रेस ने झामुमो को महागठबंधन का नेता मान लिया है तो पार्टी अपनी इस हैसियत को बरकरार रखने में कोई कसर बाकी नहीं रखेगी। भाजपा हो या झामुमो या फिर अन्य कोई दूसरा दल जनता किसके साथ जायेगी और किसके सिर पर ताज सजायेगी तो चुनाव के नतीजे बतायेंगे पर यह तो साफ है ही कि चुनाव से पहले तक दोनों दलों में जुबानी वार का क्रम चलता रहेगा और दोनों दल इसमें कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे।

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