इनकी बोली गोली सी है और क्षेत्र में इनका इकबाल इतना कि इनकी नाफरमानी करने का साहस शायद ही कोई जुटा पाये। ये हैं झारखंड के छह दबंग विधायक। इनमें शामिल हैं बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो, बरही विधायक मनोज यादव, पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव, झारखंड के कृषि मंत्री और सारठ विधायक रणधीर सिंह, डुमरी विधायक जगन्नाथ महतो और भवनाथपुर विधायक भानु प्रताप शाही। इनमें से हरेक शेरदिल है और इनकी अपनी-अपनी व्यक्तिगत विशेषताएं, जो इन्हें एक-दूसरे से अलग करती है। पर दबंगई का कॉमन फैक्टर कमोबेश इनमें से हरेक के व्यक्तित्व का हिस्सा है। इनके क्षेत्र में रसूख का असर यह है कि अधिकारी हो या कोई दूसरा सभी नतमस्तक रहते हैं। प्रदीप यादव तो मुख्यमंत्री रघुवर दास के सामने उनकी आलोचना करने से भी नहीं चूकते। वहीं ढुल्लू महतो का रसूख और इकबाल सिर्फ झारखंड ही नहीं झारखंड के बाहर के लोग भी जानते हैं। ये शेर की तरह राजनीति करते हैं और बेलाग बोलते और दिखते भी हैं। झारखंड के छह दबंग विधायकों की कार्यशैली को रेखांकित करती दयानंद राय की रिपोर्ट।
विधायक ढुल्लू महतो की रग-रग में है दबंगई
ढुल्लू महतो बाघमारा के विधायक हैं। दबंगई इनकी रग-रग में है। इनकी नसों में खून किसी बाघ सा उबलता है। यही वजह है कि क्षेत्र में इनके खिलाफ आवाज उठाने का साहस कोई नहीं करता। इनकी दबंगई का हाल यह है कि जब उनके करीबी राजेश गुप्ता को निश्चितपुर स्थित उनके आवास से 12 मई 2013 को पुलिस ने पकड़ लिया तो ढुल्लू महतो आग बबूला हो गये और वे अपने समर्थकों के साथ आये और पुलिस कस्टडी से गुप्ता को छुड़ा कर ले गये। इस दौरान पुलिस के साथ उनके समर्थकों ने खुल का धक्का-मुक्की की। उनके खिलाफ पुलिस की हिरासत से श्री गुप्ता को छुड़ाने का मामला चल रहा है। इस मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है और 9 अक्टूबर को इसपर फैसला आयेगा। फैसला चाहे जो आये पर यह तो तय है कि ढुल्लू महतो की दबंगई न तो रुकी है और न रुकेगी। परिस्थितियां चाहे जो हो और नतीजा उसका जो निकले।
मुख्यमंत्री के सामने मुख्यमंत्री की आलोचना का साहस रखते हैं प्रदीप
कुटे स्थित नये विधानसभा के गोलाकार गुंबद के नीचे बैठे विधायकों के बीच विधायक प्रदीप यादव की दबंग आवाज गूंज रही थी। यह 13 सितंबर को दोपहर बाद का समय था जब स्पीकर दिनेश उरांव ने प्रदीप यादव को कुछ बोलने को कहा। यह बोलने का बढ़िया मौका था और प्रदीप यादव भला कैसे चूकते। सीएम रघुवर दास के सामने उनकी सरकार की बेलाग-लपेट आलोचना शुरु कर दी। उन्होंने कहा कि सरकार नये एकलव्य विद्यालय तो खोल रही है पर बीते पांच साल में राज्य में कितने विद्यालय बंद कर दिये गये इसपर भी सरकार को सोचना चाहिए। ऐसा नहीं है कि प्रदीप यादव पहली बार ऐसा कर रहे थे। दरअसल दबंगई चाहे उनकी बोली में हो या व्यक्तित्व में उसकी झलक उनके व्यवहार में दिख ही जाती है। पैनम कोल माइंस के कर्ता-धर्ताओं के खिलाफ मोर्चा खोलना हो या कोई अन्य मौका प्रदीप यादव दबंगई का ही दूसरा नाम है।
अपने इस स्वभाव की कीमत उन्हें चुकानी पड़ी है पर वे तो शायद तय कर चुके हैं कि नतीजा कुछ भी हो अपने व्यवहार में बदलाव उन्हें पसंद नहीं।
रॉबिनहुड हैं बरही विधायक मनोज यादव
मनोज यादव बरही के विधायक हैं। क्षेत्र में इनकी लोकप्रियता इतनी है कि उन्हें बच्चा-बच्चा जानता है और वे क्षेत्र की हरेक जनता को जानते हैं। उनकी इसी लोकप्रियता को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने उन्हें चतरा लोकसभा सीट से 2019 के लोकसभा चुनावों में अपना उम्मीदवार बनाया था। हालांकि वे जीत हासिल नहीं कर सके पर सम्मानजनक वोट लाने में सफल रहे। वे दबंग तो हैं पर जरा दूसरी किस्म के। उन्हें बरही का रॉबिनहुड कहा जा सकता है। जनता के हक के लिए अधिकारियों से उलझने में वे देर नहीं करते पर आम जनता के प्रति उनका नजरिया सहानुभूति पूर्ण है। यदि क्षेत्र का कोई आदमी किसी समस्या से परेशान हो और उनके पास चला जाये तो लभग यह गारंटी है कि उनकी मदद वे जरुर करेंगे। अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से वे दबंगई नहीं दिखाते। हाल यह है कि ताकत तो मनोज यादव पूरी रखते हैं पर इसका बेजा इस्तेमाल नहीं करते।
जनता के हक के लिए वे अधिकारियों से भिड़ने को तैयार रहते हैं और बतौर जनप्रतिनिधि उन्हें ऐसा करना भी चाहिए।
शिवेंदु को धमकाया था विधायक भानु प्रताप शाही ने
भवनाथपुर विधायक भानु प्रताप शाही भाजपा के प्रति नरम रवैया रखने के लिए जाने जाते हैं पर उनकी दबंगई भी जगजाहिर है। आइएएस अधिकारी शिवेंदु को उन्होंने ऐसा हड़काया था कि फिर शिवेंदु झारखंड छोड़कर ही चले गये। भानु प्रताप शाही शेरदिल हैं और यही उनका अंदाज है। सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर उनका एक पेज है। पेज का नाम है। आइ सपोर्ट भानु प्रताप शाही। इसमें उनकी नीले रंग का गोगल्स पहने और फ्रेंच कट दाढ़ी रखे तस्वीर है। यह तस्वीर ही उनकी दबंगई जाहिर करने के लिए काफी है। इस पेज पर उन्होंने लिख रखा है कि जनता की खुशहाली उनकी पहली प्राथमिकता है। भानु प्रताप शाही पर करप्शन के मामले चल रहे हैं और इडी तथा सीबीआई इन मामलों में उनपर जांच कर रही है। भानु आपराधिक मामले में जेल की सजा भी काट चुके हैं। भानु झारखंड सरकार में स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं।
क्षेत्र के लोगों के लिए टाइगर हैं जगन्नाथ महतो
डुमरी से झामुमो विधायक जगन्नाथ महतो को टाइगर कहा जाता है। इनकी दबंगई का पहला परिचय इनका चेहरा ही देता है। मनोज यादव की तरह ही जगन्नाथ महतो क्षेत्र की जनता के हित के लिए किसी से भी भिड़ने को तैयार रहते हैं। इनके माय नेता प्रोफाइल पर झांके तो इनपर अटेंप्ट टू मर्डर के दो मामले चल रहे हैं। इसके अलावा इनपर और भी कई मामले दर्ज हैं। आठवीं पास जगन्नाथ महतो नारायण महतो के बेटे हैं और 2014 के विधानसभा चुनावों के दौरान इनकी घोषित संपत्ति करीब 60 लाख थी। साफ है कि मामले चाहे जितने हों पर दबंगई में कोई कसर बाकी जगन्नाथ महतो भी नहीं रखते।
दबंगई का दूसरा नाम हैं रणधीर सिंह
झारखंड के कृषि मंत्री और सारठ विधायक रणधीर सिंह भी कम दबंग नहीं हैं। इनके खिलाफ सारठ से कांग्रेस की जिला परिषद सदस्य पिंकी कुमारी ने असॉल्ट कंप्लेन दर्ज कराया है। हालांकि रणधीर सिंह इसे छवि खराब करने की साजिश बताते हैं। पिंकी का आरोप है कि रणधीर सिंह ने उन्हें थप्पड़ मारा। हालांकि मामले में भाजपा के सदस्यों ने पिंकी कुमारी के खिलाफ भी मामला दर्ज कराया है। पर यह तो सच है कि रणधीर सिंह भी दबंगई का दूसरा नाम ही हैं। वे झाविमो से जीते हैं और भाजपा में आने के बाद कृषि मंत्री बनने में सफल रहे।