आज हम खबर विशेष में बात कर रहे हैं झारखंड के कुछ ऐसे राजनेताओं की, जो खुद तो चनाव मैदान से दूर रहेंगे, लेकिन अपनी पत्नियों को चुनावी अखाड़े में उतार कर अपनी राजनीति की चमक को बरकार रखने की कोशिश करेंगे। ये ऐसे नेता हैं, जो अलग-अलग कारणों से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ सकते हैं या अदालती आदेश के कारण उनके चुनाव लड़ने पर रोक लग गयी है। ऐसे नेताओं की विवशता है कि अपनी राजनीतिक पकड़ बरकरार रखने के लिए परिवार के किसी सदस्य को विधानसभा में पहुंचा दें। वहीं, कुछ ऐसे नेता भी हैं, जो प्रमोशन पाकर सांसद बन गये हैं या उम्रदराज होकर रिटायरमेंट के पड़ाव पर पहुंच गये हैं। या कहें कि सक्रिय राजनीति से दूर हो गये हैं। ऐसे नेताओं को अपने क्षेत्र में पकड़ बनाये रखने और राजनीतिक जमीन पर पकड़ बनाये रखने के लिए परिवार के सदस्यों को आगे लाना मजबूरी हो गयी है। ऐसे में इन नेताओं के सामने परिवार के सदस्यों में किसी महिला खास तौर पर पत्नी को आगे करना ज्यादा फायदेमंद लगता है, क्योंकि उन्हें क्षेत्र के लोगों की सहानुभूति भी मिल जाती है। भले ही नेता पति किसी अपराध या जुर्म के कारण सजा पाकर ही चुनाव लड़ने से वंचित क्यों न हुआ हो, उनकी पत्नी या पुत्री को जनता का समर्थन मिल ही जाता है। हाल के दिनों में झारखंड में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिले हैं। इसी का अनुसरण करते हुए ऐसे कई नेताओं की पत्नियां या पत्रियां अभी से ही अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की कोशिश में दिन-रात एक किये हुए हैं। झारखंड में होनेवाले विधानसभा चुनाव को लेकर कौन-कौन से नेता की पत्नियां और पुत्रियां चुनावी तैयारियों में जुटी हैं, इसी पर नजर डालती दीपेश कुमार की रिपोर्ट।
झारखंड में होनेवाले आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर आधा दर्जन से अधिक नेता तैयारी कर रहे हैं। ये ऐसे नेता हैं, जो खुद तो चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन अपनी पत्नी, पुत्री या परिवार की किसी अन्य महिला सदस्य को चुनावी मैदान में उतार कर अपना दमखम दिखायेंगे। कहने का मतलब है कि चुनावी रणक्षेत्र में चेहरा तो इनकी पत्नी और पुत्री का होगा, पर असली शक्ति परीक्षण इन नेताओं का ही होगा। इस बार के विधानसभा चुनाव में कई बड़े नेताओं की जगह उनकी पत्नियां ही चुनाव लड़ेंगी, यह तय है। विभिन्न कारणों से ऐसी स्थितियां बन रही हैं। नेताओं ने इसकी तैयारी भी तेज कर दी है। कुछ नेता अपनी सीट अपने कब्जे में ही बनाये रखने, तो कुछ वैधानिक कारणों से ऐसा कर रहे हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव में आधा दर्जन से अधिक सीटों पर बड़े नेताओं की पत्नियां चुनाव मैदान में दिखेंगी।
चंद्रप्रकाश चौधरी-सुनीता चौधरी
ऐसे नेताओं में सबसे बड़ा नाम पूर्व मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी का है, जो पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा समय से रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे। झारखंड में लंबे समय तक मंत्री भी रहे। अब प्रमोशन पाकर गिरिडीह से सांसद बन गये हैं। पर वह अपनी सीट रामगढ़ में उपस्थिति बनाये रखना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने लोकसभा चुनाव के दौरान ही तैयारी शुरू कर दी थी। तब से ही उनकी पत्नी सुनीता चौधरी क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। उन्हें आजसू से टिकट मिलना तय माना जा रहा है। क्षेत्र के लोगों का कहना है कि उनकी जीत भी सुनिश्चित है, क्योंकि असली चुनाव तो चंद्रप्रकाश चौधरी ही लड़ेंगे और विरोध में कोई मजबूत प्रतिद्वंदी भी नहीं है। वैसे भी भाजपा के साथ गठबंधन में आजसू यह सीट नहीं छोड़ेगी। भाजपा भी जानती है कि इस सीट पर आजसू मजबूत है। बता दें कि चंद्रप्रकाश चौधरी लगातार इस सीट से चुनाव जीतते रहे हैं। इस बार के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद वे अपनी पत्नी को रामगढ़ से विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी कर चुके हैं।
राजा पीटर-आरती देवी
चंद्रप्रकाश चौधरी के बाद बड़ा नाम है राजा पीटर का, जिनकी पत्नी आरती देवी भी चुनाव मैदान में उतरने को तैयार हैं। पूर्व मंत्री रमेश सिंह मुंडा की हत्या में संलिप्तता के आरोप में जेल में बंद पूर्व मंत्री गोपाल सिंह पातर उर्फ राजा पीटर की पत्नी आरती कुमारी पातर ने एनसीपी के टिकट पर तमाड़ से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। हालांकि, सजा नहीं होने के कारण राजा पीटर ने भी चुनाव लड़ने का अपना विकल्प खुला रखा है। इन दिनों क्षेत्र में उनकी पत्नी आरती देवी की सक्रियता बढ़ी हुई है।
अमित महतो-सीमा महतो
पूर्व विधायक अमित महतो की पत्नी सीमा महतो अभी सिल्ली से विधायक हैं। पिछले उप चुनाव में कद्दावर नेता आजसू प्रमुख सुदेश महतो को हराकर वह विधायक बनी थी। मारपीट के एक मामले में सजा होने के कारण अमित महतो को विधायकी छोड़नी पड़ी और वह चुनाव लड़ने से वंचित हो गये हैं। माना जा रहा है कि एक बार फिर सीमा महतो सिल्ली से ही झामुमो के टिकट पर अजसू प्रमुख से मुकाबला करती नजर आयेंगी। हालांकि इस बार स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है।
योगेंद्र महतो-बबीता महतो
अमित महतो की तरह ही झामुमो के पूर्व विधायक योगेंद्र महतो की पत्नी बबीता महतो भी गोमिया से विधायक हैं। योगेंद्र महतो भी सजायाफ्ता हैं और चुनाव लड़ने से वंचित हैं। सिल्ली के साथ ही पिछले साल गोमिया में भी उपचुनाव हुआ था, जिसमें भाजपा और आजसू को पछाड़ कर बबीता महतो विजयी रही थीं। एक बार फिर यहां से झामुमो की उम्मीदवार वही होंगी, यह तय है। गोमिया में हालांकि राजनीतिक हालात बदल चुके हैं और इस बार आजसू वहां ताकतवर नजर आ रहा है।
संजीव सिंह-रागिनी सिंह
झरिया से भाजपा विधायक संजीव सिंह नीरज सिंह हत्याकांड मामले में जेल में हैं। हालांकि वह सजायाफ्ता नहीं हैं, इसलिए उनके चुनाव लड़ने पर रोक नहीं है। बावजूद इसके माना जा रहा है कि वह इस चुनाव में नहीं उतरेंगे। संभव है, उन्हें पार्टी से टिकट भी न मिले। स्थिति भांपते हुए, उनकी पत्नी रागिनी सिंह राजनीतिक रूप से सक्रिय हो गयी हैं। पिछले एक-दो माह से क्षेत्र में लगातार भ्रमण कर रही हैं। उनका चुनाव लड़ना तय हो गया है। वैसे भी सिंह मेंशन झरिया सीट खोना नहीं चाहता। इसलिए वह पूरा दमखम लगायेगा। यह सीट पारंपरिक रूप से इसी घराने की मानी जाती रही है।
समरेश सिंह और उनकी दो बहुएं
झारखंड के पुराने और राजनीतिक जोड़-तोड़ में माहिर माने जानेवाले बोकारो के समरेश सिंह अब सक्रिय राजनीति में नजर नहीं आते। पर उन्होंने अपनी राजनीतिक सक्रियता बनाये रखने के लिए दोनों बहुओं को आगे किया है। मूल रूप से चंदनकियारी के निवासी समरेश की नजर बोकारो और चंदनकियारी दोनों ही सीटों पर है। दो साल पहले उनकी बड़ी बहु परिंदा सिंह ने पूरे तामझाम के साथ कांग्रेस का दामन थामा था। अब पूर्व विधायक समरेश सिंह को छोड़कर उनका पूरा परिवार कांग्रेसी हो चुका है। चर्चा है कि उनकी दोनों बहुएं विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट की प्रबल दावेदार हैं।
एनोस एक्का-मेनन एक्का-आइरीन एक्का
इस कड़ी में तीसरा बड़ा नाम है राज्य के पूर्व मंत्री एनोस एक्का का। पारा शिक्षक हत्याकांड में निचली अदालत से आजीवन कारावास की सजा पाये एनोस एक्का हालांकि जेल से बाहर आ गये पर वह चुनाव नहीं वड़ सकते। उनके विधानसभा क्षेत्र में पिछले साल हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी मेनन एक्का झारखंड पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं। उन्हें झामुमो का समर्थन भी मिला था। परं वह इसे जीत में बदलने में असफल रहीं। अब जब एनोस बाहर आ गये हैं, तो उनके समर्थक दुगने उत्साह के साथ चुनावी तैयारी में जुट गये हैं। इसी बीच एनोस एक्का ने बेटी आइरीन एक्का को चुनाव लड़ाने की घोषणा कर नया राजनीतिक ट्विस्ट ला दिया है। अब कयास यह लगाया रहा है कि संभवत उनकी पुत्री उनके विधानसभा क्षेत्र कोलेबिरा से चुनाव लड़ें और पत्नी को वह सिमडेगा से चुनाव लड़ा सकते हैं।
सुखदेव भगत-अनुपमा भगत
लोहरदगा से कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत की पत्नी अनुपमा भगत जिला परिषद की अध्यक्ष हैं और राजनीति में सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं। सुखदेव भगत भी राजनीति में काफी सक्रिय. हैं और अब पत्नी को भी आगे बढ़ा रहे हैं। उन्हें लेकर क्षेत्र में कई तरह की चर्चाएं तेज हैं। कहा जा रहा है कि वह अपनी पत्नी को भी विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। संभव है उनकी पत्नी लोहरदगा से चुनाव लड़ें और सुखदेव भगत अपनी सीट बदल लें।
प्रदीप बलमुचू-सिंड्रेला बलमुचू
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप बलमुचू अपना क्षेत्र घाटशिला छोड़ना नहीं चाहते। इसे देखते हुए जब वह राज्यसभा सांसद थे तब से बेटी सिंड्रेला बलमुचू को राजनीति में उतार कर तैयारी शुरू कर दी थी। अज उनकी पुत्री पूरी तरह राजनीतिक में सक्रिय हैं और लगातार क्षेत्र भ्रमण कर रही हैं। अब प्रदीप बलमुचू स्वयं भी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि यदि पार्टी सहमत हुई, तो दोनों पिता-पुत्री अगल-बगल की सीटों पर चुनाव लड़ते नजर आ सकते हैं।
स्व. नीरज सिंह-पूर्णिमा सिंह
झरिया में रघुकुल और सिंह मेंशन का टकराव हर जुबान पर है। पिछले विधानसभा चुनाव में मौजूदा विधायक संजीव सिंह के खिलाफ पूर्व मेयर नीरज सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार थे। अब नीरज सिंह नहीं हैं। उनकी हत्या के आरोप में संजीव सिंह जेल में हैं। ऐसे में स्व. नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह ने इस सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। यहां से दो महिलाओं की जंग रोचक होने की उम्मीद की जा रही है।
योगेंद्र साव-निर्मला देवी-अंबा कुमारी
राज्य के एक और पूर्व मंत्री योगेंद्र साव भी सजायाफ्ता होने के कारण चुनाव लड़ने से वंचित हैं। पर उनकी जगह उनकी पत्नी निर्मला देवी उसी बड़कागांव सीट से जीतकर विधायक बनी है। वह भी कई मामलों को लेकर विवादों से घिरी रही हैं। ऐसे में उनकी पुत्री अंबा देवी अब राजनीति में सक्रिय हो गयी हैं। लगातार वह क्षेत्र में जा रही हैं। कार्यक्रमों में भाग ले रही हैं। आंदोलनों में भाग ले रही हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि दोनों मां-बेटी इस बार विधानसभा चुनाव में नजर आ सकती हैं।