मुंबई। भीमा-कोरेगांव मामले में एनआइए ने शुक्रवार को आठ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है। इनमें फादर स्टेन स्वामी के अलावा आनंद तेलतुंबडे, गौतम नवलखा, हनी बाबू, सागर गोरखे, रमेश गायक, ज्योति जगताप और मिलिंद तेलतुंबडे के नाम शामिल हैं। बता दें कि इससे पहले एनआइए ने रांची के रहनेवाले 83 वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी को गुरुवार को गिरफ्तार किया था। भीमा कोरेगांव से जुड़े मामले की जांच एनआइए कर रही है। उसकी चार्जशीट में शामिल गौतम नवलखा ने इसी साल अप्रैल महीने में एजेंसी के सामने आत्मसमर्पण किया था। नवलखा को तब सुप्रीम कोर्ट ने आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था। उन्हें 2018 के भीमा कोरेगांव दंगे में कथित संलिप्तता को लेकर अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत आरोपी बनाया गया है।
यह है पूरा मामला
बता दें कि पुणे पुलिस ने भीमा कोरेगांव में 31 दिसंबर 2017 की हिंसक घटनाओं के बाद एक जनवरी, 2018 को गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबडे और कई अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ माओवादियों से कथित रूप से संपर्क रखने के कारण मामले दर्ज किये थे।
हालांकि इन कार्यकर्ताओं ने पुलिस के इन आरोपों से इनकार किया था। एक जनवरी 2018 को वर्ष 1818 में हुई कोरेगांव-भीमा की लड़ाई को दो सौ साल पूरे हुए थे। इस दिन पुणे जिÞले के भीमा-कोरेगांव नाम के गांव में दलित समुदाय के लोग पेशवा की सेना पर इस्ट इंडिया कंपनी की सेना की जीत का जश्न मनाते हैं। इस दिन दलित संगठनों ने एक जुलूस निकाला था। इसी दौरान हिंसा भड़क गयी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी।
रांची में स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी का विरोध, मानव शृंखला बनायी
रांची। फादर स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी का सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को विरोध किया। अल्बर्ट एक्का चौक पर विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने मानव शृंखला बनायी और फादर स्टेन स्वामी को समर्थन का एलान किया। उन्होंने कहा कि स्टेन स्वामी की गिरफ्तारी मानवाधिकारों और लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन है। स्टेन स्वामी राज्य के आदिवासियों-मूलवासियों के हक में लगातार आवाज उठाते आये हैं। उन्होंने विस्थापन, कॉरपोरेट द्वारा संसाधनों की लूट और विचाराधीन कैदियों की स्थिति पर बेहद शोधपरक काम किया है। सीएनटी-एसपीटी कानून एवं भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में हुए जनविरोधी संशोधनों का लगातार मुखरता से विरोध करते आये हैं। भीमा कोरेगांव केस सरकार द्वारा प्रायोजित एक आधारहीन और फर्जी मुकदमा है। इसका उद्देश्य सिर्फ देश के शोषित वंचितों के हक की बात करने वाले और सरकार की जनविरोधी नीतियों पर सवाल करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों को सबक सिखाना है। मौके पर ज्यां द्रेज, दयामनी बारला, फिल्मकार श्रीप्रकाश, सिराज दत्ता, सुशांतो मुखर्जी, आलोका कुजूर, विनोद कुमार, भुनेश्वर केवट सहित कई कार्यकर्ता मौजूद थे।